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भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' को WHO से मिली आपात इस्तेमाल की मंजूरी
भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' को WHO से मिली आपात इस्तेमाल की मंजूरी।

भारत बायोटेक की 'कोवैक्सिन' को WHO से मिली आपात इस्तेमाल की मंजूरी

Nov 03, 2021
05:56 pm

क्या है खबर?

कोरोना वायरस के खिलाफ तैयार की गई वैक्सीन 'कोवैक्सिन' को वैश्विक स्तर पर आपात इस्तेमाल की सूची में शामिल कराने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की मंजूरी हासिल करने में लगी हैदराबाद की भारत बायोटक कंपनी को बुधवार को आखिरकार सफलता मिल गई। WHO की तकनीकी समिति ने वैक्सीन डाटा का बारीकि से अध्ययन करने के बाद इसे वैश्विक स्तर पर आपात इस्तेमाल की सूची में शामिल करने की सिफारिश की। उसके बाद WHO ने इसे मंजूरी दे दी।

मंजूरी

TAG की सिफारिश के बाद WHO ने दी मंजूरी

कावैक्सिन को मंजूरी देने के बाद WHO ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। WHO ने ट्वीट किया, 'दुनिया भर के नियामक विशेषज्ञों से बने तकनीकी सलाहकार समूह (TAG) ने यह निर्धारित किया है कि कोवैक्सीन कोरोना से सुरक्षा के लिए WHO के मानकों को पूरा करती है। वैक्सीन का लाभ जोखिम से कहीं अधिक हैं और इसका उपयोग दुनिया भार में किया जा सकता है। वहीं, गर्भवती महिलाओं के वैक्सीनेशन के लिए संबंधित डेटा अपर्याप्त हैं।'

समीक्षा

SAGE ने भी की थी 'कोवैक्सिन' के डाटा की समीक्षा- WHO

कोवैक्सिन की मंजूरी को लेकर WHO ने कहा, 'कोवैक्सिन को लेकर भारत बायोटेक द्वारा उपलब्ध कराए गए डाटा की WHO के स्ट्रेटेजिक एडवाइजरी ग्रुप ऑफ एक्सपर्ट्स ऑन इम्यूनाइजेशन (SAGE) ने भी समीक्षा की थी। उसके बाद इस वैक्सीन की दो खुराक को चार सप्ताह के अंतराल में 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों में उपयोग की सिफारिश की गई है।' बता दें कि WHO ने वैक्सीन को मंजूरी TAG की सिफारिश के बाद ही दी गई है।

जानकारी

विदेश जाने वाले भारतीयों को मिलेगी राहत

कोवैक्सिन को WHO की मंजूरी मिलने का मतलब यह है कि अब इसे अन्‍य देशों में मान्‍यता मिल सकेगी। इसके बाद यह वैक्‍सीन लगवारे वाले भारतीयों को अब विदेशों में यात्रा के दौरान अनिवार्य क्वारंटाइन या अन्य प्रतिबंधों का सामना नहीं करना पड़ेगा।

आभार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने WHO का जताया आभार

कोवैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने ट्वीट कर WHO का आभार जताया है। उन्होंने लिखा, 'यह समर्थ नेतृत्व की निशानी है, यह मोदी जी के संकल्प की कहानी है, यह देशवासियों के विश्वास की ज़ुबानी है, यह आत्मनिर्भर भारत की दिवाली है।' इसी तरह WHO की दक्षिण-पूर्वी एशिया की शाखा ने ट्वीट किया, 'स्वदेश निर्मित कोरोना वैक्सीन कोवैक्सिन को आपात इस्तेमाल की मंजूरी मिलने के लिए भारत को बधाई।'

शेल्फ लाइफ

CDSCO ने 'कोवैक्सीन' की शेल्फ लाइफ को 12 महीने किया

WHO से मंजूरी मिलने से पहले केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) ने कोवैक्सीन के इस्तेमाल के लिए उपयुक्त होने (शेल्फ लाइफ) की अवधि बढ़ाकर निर्माण की तारीख से 12 महीने तक कर दिया था। इसको लेकर भारत बायोटेक ने ट्वीट किया था, 'CDSCO ने इस्तेमाल के लिए कोवैक्सीन के उपयुक्त होने की अवधि निर्माण की तारीख से 12 महीने तक बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। यह वैक्सीन की प्रभावशीलता के लिए बड़ी उपलब्धि है।'

आवेदन

भारत बायोटेक ने मई में किया था आवेदन

भारत सरकार ने कोवैक्सिन को जनवरी में आपात इस्तेमाल की मंजूरी देते हुए कंपनी को इसके तीसरे चरण का ट्रायल जल्दू पूरा करने के निर्देश दिए थे। उसके बाद से भारत में तो इसका इस्तेमाल शुरू हो गया था, लेकिन उसे WHO की मंजूरी नहीं मिली थी। इसको देखते हुए कंपनी ने मई के तीसरे सप्ताह में तीसरे चरण के क्लिनिकल ट्रायल के आधार पर वैश्विक स्तर पर आपात इस्तेमाल की मंजूरी के लिए WHO में आवेदन किया था।

जांच-पड़ताल

लंबी जांच-पड़ताल के बाद दी गई मंजूरी

बता दें कि पिछले कुछ महीनों से लगातार उम्मीदें जताई जा रही थी कि कोवैक्सिन को जल्द ही मंजूरी मिल जाएगी, लेकिन WHO के तकनीकी सलाहकार समूह (TAG) द्वारा बार-बार नए-नए डाटा मांगने से इसकी मंजूरी आगे बढ़ती गई। भारत बायोटेक की तरफ से भी मांगे गए सभी दस्तावेज सौंपे जा रहे थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी G-20 समिट के दौरान कोवैक्सिन को जल्द मंजूरी देने की अपील की थी। इसके बाद आखिरकार मंजूरी मिल गई।

पृष्ठभूमि

भारत बायोटेक ने ICMR के साथ मिलकर तैयार की है कोवैक्सिन

बता दें भारत बायोटेक ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है और यह पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है।इसे कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। 3 जुलाई को वैक्सीन के तीसरे चरण के ट्रायल के परिणाम जारी किए थे। जिसमें इसे गंभीर लक्षणों के खिलाफ 93.4 प्रतिशत, हल्के लक्षणों के खिलाफ 78 प्रतिशत, डेल्टा वेरिएंट के खिलाफ 65 प्रतिशत, बिना लक्षणों वाले मरीजों पर 63 प्रतिशत प्रभावी बताया था।