स्वदेशी कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवैक्सिन' के तीसरे चरण के ट्रायल की राह साफ
भारत की स्वदेशी कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवैक्सिन' के तीसरे चरण के इंसानी ट्रायल का रास्ता साफ हो गया है और अगले महीने ये ट्रायल शुरू हो सकता है। इस वैक्सीन को विकसित कर रही कंपनी भारत बायोटेक ने अपने आवेदन में कहा है कि वह तीसरे चरण में 18 साल से अधिक उम्र के 28,500 लोगों पर वैक्सीन का ट्रायल करेगी। ये ट्रायल दिल्ली, मुंबई, पटना और लखनऊ समेत 10 राज्यों की 19 जगहों पर होगा।
एक बार लौटा दिया गया था भारत बायोटेक का प्रस्ताव
भारत बायोटेक ने अपनी वैक्सीन के अंतिम चरण के ट्रायल की मंजूरी लेने के लिए ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के पास 2 अक्टूबर को आवेदन दाखिल किया था। हालांकि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने इस प्रस्ताव को लौटा दिया था और कुछ बदलाव करने का सुझाव दिया था। बता दें कि पूरे डाटा का विश्लेषण करने के बाद SEC ही DCGI को प्रस्तावों को मंजूरी देने की सलाह देती है।
इस शर्त के साथ की गई तीसरे चरण की मंजूरी देने की सिफारिश
SEC से प्रस्ताव वापस मिलने के बाद भारत बायोटेक ने जरूरी बदलाव कर इसे फिर से DCGI के पास भेजा और अब कोवैक्सिन के पहले और दूसरे चरण के डाटा का विश्लेषण करने के बाद SEC ने इसे तीसरे चरण की मंजूरी देने की सिफारिश की है। हालांकि उसने लक्षणों वाले मरीजों के प्राइमरी एफिशिएंसी एंडपॉइंट में हल्का सा बदलाव करने की शर्त भी रखी है। प्राइमरी एफिशिएंसी एंडपॉइंट के जरिए कोई वैक्सीन कितनी प्रभावी है, यह जांचा जाता है।
पहले चरण के ट्रायल में प्रभावी साबित हुई थी कोवैक्सिन
बता दें कि पहले चरण के ट्रायल में कोवैक्सिन को पूरी तरह से सुरक्षित पाया गया था और ये कोरोना वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज और टी-सेल पैदा करने में भी कामयाब रही थी। अभी इसका दूसरे चरण का ट्रायल चल रहा है और इसके नतीजे आना बाकी हैं। जानवरों में हुई स्टडीज में भी पाया गया था कि ये वैक्सीन कोरोना वायरस के खिलाफ मजबूत इम्युनिटी प्रदान करती है। इसके अगले साल बाजार में आने की उम्मीद है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के साथ मिलकर विकसित की गई है कोवैक्सिन
हैदराबाद स्थित भारत बायोटेक कंपनी पुणे स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के साथ मिलकर कोवैक्सिन को विकसित किया है। NIV ने बिना लक्षण वाले कोरोना मरीज से वायरस का स्ट्रेन आइसोलेट किया और इसे भारत बायोटेक को भेजा था। उसके बाद कंपनी ने इसका इस्तेमाल करते हुए हैदराबाद में 'इनएक्टिवेटेड' वैक्सीन बनाने का काम शुरू किया। इंसानी ट्रायल के लिए मंजूरी लेने से पहले कंपनी ने चूहों और दूसरे जानवरों पर इसका ट्रायल किया था।
भारत में ये वैक्सीनें भी इंसानी ट्रायल में
बता दें कि कोवैक्सिन के अलावा दो ऐसे ही वैक्सीने हैं जिनका भारत में इंसानी ट्रायल चल रहा है। इसमें ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन भी शामिल है जिसका अगस्त से तीसरे चरण का ट्रायल चल रहा है औऱ नवंबर तक ये ट्रायल पूरा हो सकता है। इसके अलावा जायडस कैडिला की वैक्सीन का भी पहले और दूसरे चरण का ट्रायल चल रहा है और कंपनी तीसरे चरण के ट्रायल की अनुमति का इंतजार कर रही है।