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स्टडी: स्कूलों और बच्चों से कम, बंद सार्वजनिक स्थलों से ज्यादा फैलता है कोरोना वायरस

स्टडी: स्कूलों और बच्चों से कम, बंद सार्वजनिक स्थलों से ज्यादा फैलता है कोरोना वायरस

May 07, 2020
05:09 pm

क्या है खबर?

कोरोना वायरस के प्रसार में सार्वजनिक कार्यक्रमों और स्थलों की बड़ी भूमिका के बारे में तो सबको पहले से ही पता है, अब अलग-अलग 14 स्टडीज में सामने आया है कि ऑफिस और रेस्टोरेंट्स जैसे बंद सार्वजनिक स्थलों में ये वायरस सबसे अधिक तेजी से फैलता है। हालांकि स्कूल कोरोना वायरस के प्रसार का एक बड़ा केंद्र नहीं हैं और बच्चों के परिवार के किसी सदस्य को संक्रमित करने की संभावना बेहद कम रहती है।

स्टडी

नौ देशों में की गईं स्टडीज

ये 14 स्टडीज नौ अलग-अलग देशों में की गई हैं और इनमें चीन, ईरान, दक्षिण कोरिया, सिंगापुर, आइसलैंड, फ्रांस, ताइवान, जापान और अमेरिका में कोरोना वायरस के प्रसार की चेन के बारे में अध्ययन किया गया है। इन स्टडीज में बंद सार्वजनिक कार्यक्रमों और भीड़ वाले निवास स्थानों में कोरोना वायरस फैलने की सबसे अधिक संभावना जताई गई है और खुले और हवादार स्थानों के महत्व पर जोर दिया गया है।

अध्ययन

कोरोना के 10-20 प्रतिशत मामलों के लिए घरेलू संपर्क जिम्मेदार

कुछ स्टडीज में सामने आया कि घरेलू संपर्क (परिवार के सदस्यों को संक्रमित करना) कोरोना वायरस के 10-20 प्रतिशत मामलों का जिम्मेदार है, वहीं पांच से 10 प्रतिशत मामलों का कारण यातायात, डाइनिंग और मनोरंजन को पाया गया। 'द लांसेट' में प्रकाशित एक स्टडी में लिखा है, "हमारा अध्ययन बताता है कि COVID-19 ज्यादातर करीबी संपर्क के द्वारा फैलता है, विशेषकर जब संपर्क लंबे समय के लिए और बंद मंडली में हो।"

उदाहरण

इन मामलों का दिया गया उदाहरण

स्टडी में सिंगापुर का उदाहरण दिया गया है जहां सेंकेंडरी संपर्क के जरिए संक्रमण के कुल मामलों में से आधे से अधिक चर्च के एक कार्यक्रम से संबंधित हैं। वहीं अन्य 23 प्रतिशत मामले एक पारिवारिक कार्यक्रम से संबंध रखते हैं। इसी तरह अमेरिका के बॉस्टन में बेघरों के एक आश्रम के 408 लोगों में से 147 (36 प्रतिशत) को संक्रमित पाया गया। वहीं चीन में एक नर्सिंग होम के 89 सदस्यों में से 57 (64 प्रतिशत) संक्रमित पाए गए।

जानकारी

चीन में वायरस के प्रसार में जनसंख्या घनत्व की बड़ी भूमिका

एक स्टडी के अनुसार, चीन में कोरोना वायरस के प्रसार में शहरों के जनसंख्या घनत्व ने बड़ी भूमिका अदा की। इसमें कहा गया है कि चीन में जनसंख्या घनत्व का जनसंख्या, औसत तापमान और औसत नमी के मुकाबले वायरस के प्रसार पर ज्यादा असर पड़ा।

बच्चे

बच्चे और स्कूल नहीं हैं प्रसार का केंद्र

इन स्टडीज में एक और चीज समान पाई गई और वो थी स्कूलों का प्रसार का एक मुख्य केंद्र न होना, विशेषकर 10 साल से कम उम्र के बच्चों का। परिवार के सदस्यों को संक्रमित करने के मामलों में भी बच्चे इसके कारण नहीं रहे। ऑक्सफोर्ड की एक स्टडी में पाया गया कि एक संक्रमित बच्चा तीन अलग-अलग स्कूलों में गया और बड़ी संख्या में लोगों से मिला, इसके बावजूद इनमें से किसी व्यक्ति को संक्रमित नहीं पाया गया।

अन्य मामले

आइसलैंड में 10 साल से कम उम्र को कोई बच्चा संक्रमित नहीं

एक ऑस्ट्रेलियाई स्टडी में भी कहा गया है कि बच्चों के घरेलू संक्रमण का कारण होने की बहुत कम संभावना है और ये बर्ड फ्लू के बिल्कुल विपरीत है जिसमें 54 प्रतिशत मामलों का कारण बच्चे रहे। इसी तरह आइसलैंड में हजारों लोगों की स्क्रीनिंग में 10 साल से कम उम्र के किसी भी बच्चे को कोरोना वायरस से संक्रमित नहीं पाया गया। ॉ इस सबके बावजूद कोरोना वायरस के घरेलू प्रसार के मामले SARS और MERS से अधिक हैं।

जानकारी

खुद को घर में क्वारंटाइन करने वालों ने नहीं फैलाई बीमारी

चीन की एक रिसर्च में सामने आया है कि जिन लोगों ने खुद को अपने ही घर में क्वारंटाइन किया, उन्होंने अन्य किसी सदस्य को संक्रमित नहीं किया। इससे संकेत मिलते हैं कि अगर उचित नियमों का पालन हो तो होम क्वारंटाइन प्रभावी साबित होगा।

लॉकडाउन

लॉकडाउन से बाहर निकलने का रास्ता दिखा सकती हैं स्टडीज

ऐसे समय में जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के खतरे के बीच अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए लॉकडाउन से बाहर आने में जुटी है, ये स्टडीज देशों को रास्ता दिखा सकती हैं। इनकी विस्तृत समीक्षा से अंदाजा लगाया जा सकता है कि किस क्षेत्र और स्थान पर लॉकडाउन में ढील दी जा सकती है और किसमें नहीं। भारत भी लॉकडाउन से बाहर आने के दौर में है और ये स्टडीज उसके लिए भी फायदेमंद हो सकती हैं।