मानसून की बेरुखी: 122 सालों में सबसे सूखा रहा अगस्त, सामान्य से 33 प्रतिशत कम बारिश
अगस्त का महीना खत्म होने को है, लेकिन देश के कई हिस्से अभी भी बारिश को तरस रहे हैं। हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और पूर्वोत्तर के कुछ राज्यों को छोड़कर बाकी जगहों पर अब तक सामान्य से भी कम बारिश हुई है। अगस्त महीने में हुई कम बारिश ने पिछले 122 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मानसून की बेरुखी ने किसानों के साथ ही सरकार की चिंता भी बढ़ा दी है।
अगस्त में 33 प्रतिशत कम हुई बारिश
भारतीय मौसम विभाग (IMD) के आंकड़ों के मुताबिक, 1 से 21 अगस्त के दौरान मध्य भारत में सामान्य से 36 फीसदी कम बारिश हुई है। 1 से 28 अगस्त तक की अवधि में यह कमी बढ़कर 42 फीसदी हो गई है। अब तक अगस्त में देश भर में 160.3 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई है, जो सामान्य (241 मिलीमीटर) से 33 प्रतिशत कम है। ये साल 1901 के बाद से अब तक का सबसे सूखा अगस्त है।
अब तक 9 प्रतिशत कम बरसे बादल
29 अगस्त तक देश में सामान्यत: 241 मिलीमीटर बारिश होती है, लेकिन इस बार केवल 160 मिलीमीटर ही हुई है। ये सामान्य से 9 प्रतिशत कम है। अगर ये आंकड़ा 10 प्रतिशत पर पहुंच जाता तो इसे सूखा साल घोषित करना पड़ता। दक्षिण भारत में 61 प्रतिशत, मध्य भारत में 44 प्रतिशत और उत्तर पश्चिमी भारत में 35 प्रतिशत बारिश कम हुई है। अगर सितंबर में सामान्य बारिश हुई तो भी इसकी भरपाई होने की संभावना बेहद कम है।
क्या सितंबर में होगी अच्छी बारिश?
IMD प्रमुख मृत्युंजय महापात्र के मुताबिक, 2 सितंबर से बारिश में थोड़ा सुधार हो सकता है। तब बंगाल की उत्तरी खाड़ी के ऊपर एक चक्रवात विकसित होने की संभावना है। इससे कम दबाव का क्षेत्र निर्मित होगा और पूर्व, मध्य और दक्षिण भारत के हिस्सों में बारिश हो सकती है। 4 सितंबर के बाद से करीब 10 दिनों तक मानसून की आखिरी बारिश हो सकती है। 15 सितंबर के बाद से देश में मानसून की विदाई शुरू हो जाती है।
इस साल क्यों कम हुई बारिश?
मौसम विशेषज्ञ बारिश की कमी के लिए मौटे तौर पर अल नीनो प्रभाव को जिम्मेदार मान रहे हैं। महापात्र के मुताबिक, "इस साल एक तरफ अल नीनो सक्रिय हो गया, जबकि हिंद महासागर द्विध्रुव (IOD) अगस्त में उम्मीद के मुताबिक सकारात्मक नहीं हुआ। इस दौरान दक्षिण चीन सागर पर केवल 2 चक्रवात आए, जो सामान्यतः 4-5 बार आते हैं। इन चक्रवातों का असर बंगाल की खाड़ी तक होता है और इससे देश में बारिश ज्यादा होती है।"
न्यूजबाइट्स प्लस
अल नीनो एक तरह की मौसमी घटना है, जिसकी वजह से मध्य और पूर्वी भूमध्यरेखीय प्रशांत महासागर में समुद्री सतह का तापमान ,सामान्य से 4-5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो जाता है। इसके चलते पूर्व से पश्चिम की ओर बहने वाली हवाएं कमजोर पड़ती हैं। अगर अल नीनो दक्षिण अमेरिकी क्षेत्र में सक्रिय होता है, तो भारत में कम बारिश होती है। 1957 से अब तक अल नीनो की वजह से भारत में 9 बार बड़े स्तर पर सूखा पड़ा है।