विदेशी चंदा पाने में असमर्थ लगभग 6,000 NGO को सुप्रीम कोर्ट से भी नहीं मिली राहत
क्या है खबर?
विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम (FCRA) लाइसेंस निरस्त होने के बाद विदेशी चंदा हासिल करने में असमर्थ लगभग 6,000 गैर-सरकारी संगठनों (NGO) को सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली है।
कोर्ट ने उन्हें कोई अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए कहा कि वे सुझावों के साथ संबंधित अधिकारियों के पास जा सकते हैं और वो ही इस पर फैसला लेंगे।
समय से आवेदन न करने के कारण इन NGO के FCRA लाइसेंस निरस्त हुए हैं।
याचिका
अमेरिकी NGO ने दाखिल की थी याचिका
सुप्रीम कोर्ट में ये याचिका अमेरिका की NGO 'ग्लोबल पीस इनिशिएटिव' ने दाखिल की थी। याचिका में दलील दी गई थी कि FCRA लाइसेंसेज के निरस्त होने से देश में कोविड-19 से संबंधित राहत अभियानों पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है।
इसमें कहा गया है कि इन NGO ने करोड़ो भारतीयों की मदद की है।
वकील संजय हेगड़े ने दो हफ्ते के अंदर आवेदन करने पर NGO के FCRA लाइसेंस को आगे बढ़ाने का निर्देश देने की भी अपील की।
सवाल
सरकार ने याचिका पर खड़े किए सवाल
सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने याचिका पर सवाल खड़े करते हुए कहा, "ये NGO अमेरिका की है। ये ह्यूस्टन में है। लाइसेंस के नवीनीकरण के लिए आवेदन करने वाली हजारों NGO का लाइसेंस पहले ही बढ़ा दिया गया है। मुझे समझ ही नहीं आ रहा कि इस याचिका का मकसद क्या है। कुछ तो छूट रहा है।"
अगली सुनवाई की तारीख तय नहीं की गई है।
पृष्ठभूमि
क्या है पूरा मामला?
भारत में काम कर रही किसी भी NGO को विदेशी चंदा हासिल करने के लिए सरकार से FCRA लाइसेंस की जरूरत पड़ती है।
31 दिसंबर, 2021 तक देश में ऐसी 22,797 NGO रजिस्टर्ड थीं और 1 जनवरी, 2022 को इनकी संख्या घटकर 16,829 रह गई।
इसका मतलब 5,968 NGO के FCRA लाइसेंस आगे नहीं बढ़ाया गया। इनमें से 5,789 NGO समय पर आवेदन नहीं कर पाए, वहीं 179 के आवेदन को रद्द कर दिया गया।
नाम
इन बड़ी NGO का लाइसेंस किया गया निरस्त
जिन NGO का लाइसेंस रद्द किया गया है, उनमें ऑक्सफैम इंडिया ट्रस्ट, जामिया मिल्लिया इस्लामिया, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और लेप्रोसी मिशन जैसी बड़ी NGO शामिल हैं।
पहले सरकार के मदर टेरेसा के 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' NGO का लाइसेंस भी आगे नहीं बढ़ाने की खबर आई थी, लेकिन बाद में उसका लाइसेंस बढ़ा दिया गया।
सरकार इससे पहले भी लगभग 6,000 NGO के लाइसेंस निरस्त कर चुकी है। मौजूदा प्रकरण के बाद ऐसे NGO की संख्या लगभग 12,000 हो गई है।