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    देश की अदालतों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित हैं 4,984 मामले- एमिकस क्यूरी
    भारत का सुप्रीम कोर्ट।

    देश की अदालतों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबित हैं 4,984 मामले- एमिकस क्यूरी

    लेखन भारत शर्मा
    Feb 04, 2022
    05:35 pm

    क्या है खबर?

    दोषी व्यक्तियों को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका से समान रूप से प्रतिबंधित किए जाने की मांग वाली एक याचिका पर गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई।

    इसमें सांसदोें और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों के शीघ्र निपटान और विशेष अदालतों के गठन के मामले में सहायता के लिए एमिकस क्यूरी (न्याय मित्र) ने चौंकाने वाली रिपोर्ट प्रस्तुत की।

    उन्होंने बताया कि देश की विभिन्न अदालतों में सांसदों और विधायकों के खिलाफ 4,984 मामले लंबित हैं।

    पृष्ठभूमि

    अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की थी याचिका

    बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करते हुए जनप्रतिनिधियों, लोक सेवकों और न्यायपालिका के सदस्यों से संबंधित आपराधिक मामलों का एक साल में निपटान के लिए विशेष अदालतों की स्थापना के लिए पर्याप्त बुनियादी ढांचा प्रदान करने की मांग की थी।

    इसके अलावा दोषियों को विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका से समान रूप से प्रतिबंधित करने की भी मांग की थी।

    सुनवाई

    सुप्रीम कोर्ट ने की थी एमिकस क्यूरी की नियुक्ति

    इस मामले में साल 2018 से लेकर अब तक सात सुनवाई हो चुकी है। इनमें साल 2018 में दो, 2020 में तीन और 2021 में दो सुनवाई हुई थी।

    इनमें सुप्रीम कोर्ट ने सांसद और विधायकों के खिलाफ मामलों के शीघ्र निपटान और विशेष अदालतों के गठन के मामले में कोर्ट की मदद के लिए अधिवक्ता हंसरिया को एमिकस क्यूरी नियुक्त किया था।

    इसके अलावा उन्हें सांसदों और विधायकों के खिलाफ दर्ज मामलों पर नजर रखने को कहा था।

    रिपोर्ट

    एमिकस क्यूरी ने अपनी रिपोर्ट में दी 4,984 मामले लंबित होने की जानकारी

    एमिकस क्यूरी हंसरिया ने विभिन्न उच्च न्यायालयों द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई अपनी रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत किया।

    उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा कई निर्देशों और निरंतर निगरानी के बावजूद 1 दिसंबर, 2021 तक देश की विभिन्न अदालतों में सांसदों, विधायकों और विधान परिषद सदस्यों के खिलाफ कुल 4,984 मामले लंबित थे और इनमें से 1,899 मामले पांच वर्ष से अधिक पुराने हैं।

    हालात

    लगातार बढ़ रही है लंबित मामलों की संख्या

    अधिवक्ता स्नेहा कलिता के माध्यम से दाखिल रिपोर्ट में कहा गया है, "दिसंबर 2018 में लंबित मामलों की संख्या 4,110 थी, जो अक्टूबर 2020 में बढ़कर 4,859 पर पहुंच गई।"

    उन्होंने कहा, "4 दिसंबर, 2018 के बाद 2,775 मामलों के निस्तारण के बावजूद सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामले 4,122 से बढ़कर 4,984 पर पहुंच गए। इससे स्पष्ट है आपराधिक पृष्ठभूमि वाले अधिक लोग संसद और विधानसभाओं में पहुंच रहे हैं। ऐसे में लंबित मामलों का त्वरित निस्तारण जरूरी है।"

    गठन

    कुछ राज्यों ने गठित की गई है विशेष अदालतें- रिपोर्ट

    रिपोर्ट में कहा गया है कि सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की तेजी से सुनवाई तथा केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) और अन्य एजेंसियों द्वारा शीघ्रता से जांच कराने की मांग वाली याचिका सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्देश दिए हैं।

    इनकी पालना में हाई कोर्ट की ओर से प्रस्तुत की गई रिपोर्ट में सामने आया है कि कुछ राज्यों में विशेष अदालतें गठित हुई हैं, जबकि अन्य में संबद्ध क्षेत्राधिकार की अदालतें निर्देशों की पालना में सुनवाई कर रही है।

    जिम्मेदारी

    "दोहरी जिम्मेदारी उठा रहे हैं न्यायाधीश"

    रिपोर्ट में कहा गया है, "क्षेत्राधिकार वाली अदालतें सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई के साथ खुद को आवंटित अन्य दायित्वों का भी निर्वहन कर रही हैं। इससे मामलों की सुनवाई में लगातार देरी हो रही है।"

    एमिकस क्यूरी ने सुप्रीम कोर्ट से सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई कर रहीं अदालतों को विशेष रूप से इन्हीं मामलों की सुनवाई करने और उसके बाद अन्य मामलों की सुनवाई करने के निर्देश देने की मांग की है।

    जानकारी

    केंद्र सरकार ने दाखिल नहीं किया जवाब- रिपोर्ट

    रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 अगस्त, 2021 के आदेश के अनुसार, त्वरित जांच और सुनवाई के लिए अदालतों को बुनियादी ढांचे मुहैया कराने के लिए निगरानी समिति के गठन से जुड़े मुद्दे पर केंद्र सरकार द्वारा कोई जवाब दाखिल नहीं किया गया है।

    मांग

    एमिकस क्यूरी ने सुप्रीम कोर्ट से की यह मांग

    एमिकस क्यूरी ने सुप्रीम कोर्ट से सांसदों और विधायकों के खिलाफ मामलों की सुनवाई करने वाली अदालतों को इंटरनेट सुविधा के माध्यम से अदालती कार्यवाही के संचालन के लिए आवश्यक बुनियादी मुहैया कराने, वर्चुअल मोड पर अदालतों के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए धन उपलब्ध कराने के निर्देश देने की मांग की है।

    इसके अलावा सभी हाई कोर्ट को आवश्यक सुविधाओं का प्रस्ताव बनाकर भेजने के निर्देश देने की भी मांग की है।

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