जनगणना को एक बार फिर टाला गया, अब लोकसभा चुनाव के बाद होने की संभावना
क्या है खबर?
भारत में 2021 में होने वाली जनगणना को एक बार फिर से टल गई है।
सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की प्रशासनिक सीमाएं फ्रीज करने के लिए समयसीमा को 1 जनवरी, 2024 तक बढ़ा दिया गया है। यह जानकारी महारजिस्ट्रार और जनगणना आयुक्त द्वारा भेजे गए पत्र में सामने आई है।
बता दें, जनगणना को महामारी के कारण हुई देरी के कारण लगातार टाला जा रहा है और संभावना है कि अब यह 2024 लोकसभा चुनाव के बाद होगी।
जानकारी
पहले भी कई बार बढ़ चुकी है समयसीमा
गौरतलब है कि प्रशासनिक सीमाएं फ्रीज करने के लिए समयसीमा को 2 बार बढ़ाया जा चुका है। पहले यह समयसीमा 30 जून 2023 तक बढ़ाई गई थी, जबकि इससे पहले समयसीमा को 31 दिसंबर, 2022 तक बढ़ाया गया था।
बयान
सरकार जनगणना को लेकर ला सकती है विधेयक
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मई में कहा था केंद्र सरकार जन्म और मृत्यु से संबंधित डाटा को मतदाता सूची और समग्र विकास प्रक्रिया से जोड़ने के लिए संसद में एक विधेयक लाने की योजना बना रही है।
उन्होंने कहा था, "जनगणना विकास के एजेंडे का आधार होती है। डिजिटल, पूर्ण और सटीक जनगणना आंकड़ों के बहुआयामी लाभ होंगे और इनके आधार पर योजना बनाने से यह सुनिश्चित होगा कि विकास सबसे गरीब लोगों तक पहुंचे।"
जनगणना
जनगणना में देरी के क्या मायने हैं?
भारत में 1881 के बाद से हर 10 साल पर जनगणना हो रही है और इसके चलते डाटा का तुलनात्मक अध्यन करना आसान होता है। समय पर जनगणना नहीं होने के कारण इस डाटा में एक गैप विकसित हो जाता है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, किसी देश के आर्थिक और सामाजिक कल्याण के लिए तय समय पर जनगणना होना जरूरी है। जनगणना के कारण वर्तमान का वर्णन और भविष्य का अनुमान लगाना संभव होता है।
बजट
जनगणना के लिए घटाया गया है बजट
वित्त वर्ष 2023-24 के लिए पेश किए बजट में जनगणना के लिए आवंटित बजट को घटा दिया गया था।
पिछले साल के बजट में 3,676 करोड़ रुपये आवंटित हुए थे, जिसे इस बार घटाकर 1,564 करोड़ रुपये कर दिया गया था।
बता दें कि जनगणना के दौरान सर्वेक्षण और सांख्यिकी पर आने व्यय समेत विभिन्न योजनाओं के लिए होने वाले खर्च के लिए 2021-22 में 505.12 रुपये करोड़ का बजट आवंटित हुआ था।
न्यूजबाइट्स प्लस
न्यूजबाइट्स प्लस
केंद्र सरकार जनगणना के जरिए भारत की जनसंख्या और उसके विभिन्न पहलुओं की जानकारी एकत्रित करती है। अंग्रेजों के शासन के दौरान पहली बार वर्ष 1881 में जनगणना हुई थी और इसके बाद से हर 10 साल के अंतराल पर जनगणना की जा रही है।
भारत की आजादी के बाद जनणगना के कार्य के लिए भारत के महारजिस्ट्रार का पद बनाया गया था। देश में आखिरी जनगणना 11 साल पहले वर्ष 2011 में हुई थी।