हरियाणा: जींद के कृषि विभाग ने लड्डू-समोसों पर खर्च कर दिए 40 लाख रुपये
दिल्ली-NCR क्षेत्र में बढ़ते वायु प्रदूषण के कारणों में आस-पास के राज्यों के किसानों द्वारा पराली जलाने को प्रमुख माना गया था। सरकार के निर्देश पर हरियाणा सरकार की ओर से जागरुकता अभियान चलाया गया, लेकिन इसमें जींद के कृषि विभाग ने वह कारनामा कर दिखाया, जिस पर विश्वास करना मुश्किल हो रहा है। दरअसल, जींद कृषि विभाग ने अभियान में किसानों को नाश्ते के रूप में लड्डू-समोसा खिलाने पर चार महीनों में 40 लाख रुपये खर्च कर दिए।
RTI के तहत मिली सूचना में हुआ खुलासा
RTI कार्यकर्ता सूरजमल नैन ने RTI के तहत जींद कृषि विभाग से जुलाई 2018 से अक्टूबर 2018 तक हुए खर्च की जानकारी मांगी थी। इसमें विभाग की ओर से बताया कि हर गांव में दो मीटिंग कर टैंट लगवाया और किसानों को इकट्ठा किया। उन्हें नाश्ते में एक समोसा, दो लड्डू और दो गुलाब जामुन खिलाए गए। इसमें प्रति किसान 57 रुपये खर्चा आया। किसान को 120 रुपए प्रति थाली के हिसाब से खाना भी खिलाया गया।
RTI कार्यकर्ता ने विभाग पर लगाया फर्जी बिल बनाने का आरोप
जींद कृषि विभाग की ओर से जानकारी उपलब्ध कराए जाने के बाद RTI कार्यकर्ता नैन ने विभाग पर फर्जी बिल बनाने का आरोप लगाया है। उन्होंने इसको लेकर राज्य के गृहमंत्री अनिल विज से भी शिकायत की है। उनका आरोप है कि एक ही दुकान के नाम से दो-दो बिल काटे गए हैं। एक कार्यक्रम जुलाना में आयोजित किया गया और टैंट 40 किलोमीटर की दूरी से मंगवाया गया। यह भी विभाग की प्रक्रिया पर सवाल खड़े करता है।
ढाबे पर खाने का दिखाया 40,000 हजार का बिल
RTI कार्यकर्ता नैन ने दावा किया है कि विभाग की ओर से एक छोटे से ढाबे में चार कुर्सियां रखी गई थीं और वहां किसानों की संख्या बहुत कम रही थी। इसके बाद भी विभाग ने ढाबे पर किसानों को खाना खिलाने के लिए सरकार को 40,000 रुपये का बिल भेजा है। उन्होंने कहा कि विभाग ने अधिकतर जगह तो टैंट ही नहीं लगाए गए। इसके बाद भी इसका खर्चा पांच लाख रुपये से ज्यादा का दिखाया गया है।
विभाग ने भ्रष्टाचार के आरोपों को बताया निराधार
RTI कार्यकर्ता नैन की ओर से विभाग पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के बाद विभाग ने इस पर प्रतिक्रिया दी है। कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर सुरेंद्र मलिक का कहना है कि लगाए गए सभी आरोप निराधार हैं। विभाग किसानों के लिए पहले भी कई अच्छी योजनाएं लेकर आया है। यह अभियान भी उसी के तहत आयोजित किया गया था। हर गांव में यह दो बार आयोजित किया गया था। ऐसे में कुल 612 कैंप आयोजित किए गए थे।
सबसे प्रदूषित शहरों की सूची में 17वें स्थान पर है जींद
कृषि विभाग की ओर से जब यह जागरुकता कार्यक्रम चलाया गया था, उस दौरान विश्व के प्रदूषित शहरों की सूची में जींद का 20वां स्थान था। इसके बाद किसानों को जागरुक करना शुरू किया। अब जींद 17वें स्थान पर पहुंच गया है।