
हरियाणा: CID विवाद थमने के बाद भी खट्टर और विज के बीच क्यों जारी है तनातनी?
क्या है खबर?
पिछले सप्ताह तक हरियाणा के मुख्यमंत्री और गृह मंत्री अनिल विज के बीच क्रिमिनल इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (CID) को लेकर तनातनी जारी थी।
23 जनवरी को एक ऑर्डर जारी हुआ और विज से CID का प्रभार वापस ले लिया गया।
दोनों के बीच CID को लेकर विवाद फिलहाल थम गया है, लेकिन दोनों के बीच तनातनी आगे भी जारी रहने के आसार लग रहे हैं।
आइये, दोनों के बीच की इस तनातनी की वजह जानने की कोशिश करते हैं।
विवाद
क्या था CID विवाद?
विज का कहना था कि CID का प्रभार संभाल रहे DGP अनिल कुमार राव उनकी बजाय सीधे मुख्यमंत्री खट्टर को रिपोर्ट कर रहे थे।
इसे लेकर विज ने पार्टी हाई कमान में शिकायत की, लेकिन यहां भी बात नहीं बनी। हरियाणा भाजपा के प्रभारी अनिल जैन ने कहा कि खट्टर ही सर्वेसर्वा है।
इसके बाद खट्टर और विज का बयान सामने आया और दोनों ने कहा कि उनके बीच कोई विवाद नहीं है और सब कुछ सामान्य है।
शुरुआत
2014 से चल रही खट्टर-विज के बीच तनातनी
खुलेआम भले ही दोनों एक-दूसरे के बीच सब कुछ सामान्य होने की बात कह रहे हैं, लेकिन मौका मिलने पर एक-दूसरे पर निशाना साधने से चूकते भी नहीं है।
दोनों के बीच तकरार की शुरुआत 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनावों से शुरू हुई थी। तब पार्टी पहली बार राज्य में सत्ता में आई थी।
पार्टी के लंबे समय से विधायक और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के कार्यकर्ता रहे विज खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मान रहे थे।
मुख्यमंत्री की कुर्सी
खट्टर को मिला मोदी के करीबी होने का फायदा
विज का मुख्यमंत्री बनने का सपना उस समय टूट गया, जब मुख्यमंत्री पद के लिए खट्टर के नाम का ऐलान किया गया।
मोदी ने हरियाणा के संगठन सचिव का पद संभाला था। उस समय संघ के प्रचारक रहे खट्टर ने मोदी के साथ काम किया था।
इसके अलावा खट्टर ने कई मौकों पर गुजरात जाकर मोदी की चुनावों में मदद की थी। इसलिए जब हरियाणा में भाजपा की सत्ता आई तो मुख्यमंत्री की कुर्सी पर खट्टर बैठे।
जानकारी
पहले कार्यकाल में विज को मिले कई विभाग
हरियाणा में जब भाजपा को जीत मिली तो विज समेत कई लोग मुख्यमंत्री पद की कतार में थे, लेकिन खट्टर ने यह बाजी अपने हाथ कर ली। छह बार के विधायक रहे विज को कई विभाग दिए गए, लेकिन दोनों के बीच तकरार जारी रही।
हरियाणा
फिर आता है 2019 का चुनाव
2019 के विधानसभा चुनावों में पहले कार्यकाल में मंत्री रहे ओम प्रकाश धनखड़, कैप्टन अभिमन्यु और रामबिलास शर्मा जैसे कई बड़े चेहरे चुनाव हार जाते हैं, लेकिन विज एक बार फिर चुनकर विधानसभा पहुंचते हैं।
अपने दम पर बहुमत लाने में असफल रही भाजपा दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी (JJP) के सहयोग से सरकार बनाती है।
पार्टी हाई कमान की सिफारिश पर वित्त मंत्रालय खट्टर के पास रहता है और दुष्यंत चौटाला को उप मुख्यमंत्री बनाया जाता है।
जानकारी
'राजनीतिक संतुलन' साधने के लिए विज को मिला गृह मंत्रालय
जननायक जनता पार्टी के पक्ष में न सिर्फ उप मुख्यमंत्री का पद आया बल्कि उसे 11 विभाग दिए गए, जिसमें राजस्व, खाद्य आपूर्ति आदि शामिल है। वहीं 'राजनीतिक संतुलन' बनाने के लिए विज को गृह मंत्री बनाया गया।
तनातनी
खट्टर से तनातनी के बीच पार्टी हाई कमान के पास पहुंचे विज
बीते तीन दशकों में विज हरियाणा के पहले गृह मंत्री हैं।
CID के साथ उनकी खींचतान दिसंबर में शुरू हुई। उन्होंने अनिल कुमार राव को CID का प्रभारी बनाने के फैसले का विरोध किया था। उन्होंने पार्टी हाई कमान से शिकायत लगाई कि CID न तो उन्हें रिपोर्ट करती है और न ही उनसे सलाह लेती है।
साथ ही उन्होंने खट्टर के हस्तक्षेप को लेकर भी नाराजगी जताई और 9 IPS अधिकारियों के तबादले पर भी असंतोष जाहिर किया था।
जानकारी
विज से ले लिया गया CID का प्रभार
इसके बाद विज से CID का प्रभार ले लिया गया। हरियाणा भाजपा के प्रभारी अनिल जैन ने कहा कि मुख्यमंत्री सरकार के मुखिया है और वो अपनी मर्जी का विभाग अपने पास रख सकते हैं।