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    सबरीमाला ही नहीं मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश पर भी होगी सुनवाई

    सबरीमाला ही नहीं मस्जिद और अन्य धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश पर भी होगी सुनवाई

    लेखन मुकुल तोमर
    Nov 14, 2019
    06:16 pm

    क्या है खबर?

    केरल के सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर दायर पुनर्विचार याचिकाओं पर सुनवाई कर रही सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने मामले को सात सदस्यीय बेंच के पास भेज दिया।

    सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, ये सात सदस्यीय बेंच सबरीमाला ही नहीं बल्कि मस्जिद और अन्य धर्मों के धार्मिक स्थलों में महिलाओं के प्रवेश और उनके साथ होने वाले भेदभाव पर भी सुनवाई करेगी।

    आदेश

    सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा?

    मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, "मस्जिद में महिलाओं में प्रवेश, दाउदी बोहरा समुदाय में महिलाओं के जननांगों को विकृत करने के मामलों और समुदाय से बाहर विवाह करने वाली पारसी महिलाओं के फायर टेंपल्स में प्रवेश के मुद्दों को सबरीमाला मामले के साथ मिलाया जाएगा और बड़ी बेंच इस पर सुनवाई करेगी।"

    पांच सदस्यीय बेंच ने अन्य धर्मों से जुड़े इन मुद्दों पर बड़ी बेंच में सुनवाई पर आम सहमति से फैसला सुनाया।

    सुप्रीम कोर्ट की नीति

    CJI गोगोई बोले, सबरीमाला जैसे मुद्दों पर समान नीति की जरूरत

    फैसला पढ़ते हुए मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने कहा, "धार्मिक स्थलों पर महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी का मामला केवल सबरीमाला तक सीमित नहीं है और अन्य धर्मों में भी ये प्रचलित है।"

    उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट को सबरीमाला मंदिर जैसे स्थलों पर एक समान नीति बनानी चाहिए। CJI ने कहा कि कोर्ट किसी धर्म की प्रथाओं में दखल दे सकता है या नहीं, इस मुद्दे पर बड़ी बेंच को विचार करने की जरूरत है।

    सबरीमाला मामला

    क्या था सबरीमाला मंदिर का क्या पूरा मामला?

    बता दें कि 28 सितंबर, 2018 को सबरीमाला मंदिर मामले पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर में रजस्वला उम्र (10 से 50 साल) की महिलाओं के प्रवेश पर लगी पाबंदी को हटा दिया था।

    4-1 के बहुमत से सुनाए गए अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट बेंच ने सदियों से चली आ रही इस प्रथा को लिंग आधारित भेदभाव बताया था और सभी आयु वर्गों की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत दी थी।

    जानकारी

    सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ हुए प्रदर्शन

    इस फैसले के बाद हजारों साल पुरानी परंपरा को खत्म किए जाने पर भक्तों ने नाराजगी जताई थी और प्रदर्शन किया था। मामले पर राजनीति भी खूब हुई थी और भाजपा और कांग्रेस दोनों ने ही सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया था।

    पुनर्विचार याचिकाएं

    फैसले के खिलाफ दायर हुईं 65 पुनर्विचार याचिकाएं

    इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 65 पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गईं थीं जिन पर CJI गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय बेंच सुनवाई कर रही थी।

    अब सुप्रीम कोर्ट की इस बेंच ने 3:2 के बहुमत से इसे बड़ी बेंच के पास भेज दिया।

    CJI गोगोई के अलावा न्यायाधीश आरएफ नरीमन, न्यायाधीश एएम खानविलकर, न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूढ और न्यायाधीश इंदू मल्होत्रा इस बेंच में शामिल अन्य सदस्य थे।

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