UNSC की खुली बहस की अध्यक्षता करेंगे मोदी, पहली बार भारतीय प्रधानमंत्री को मिली ये उपलब्धि
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की एक खुली बहस की अध्यक्षता करेंगे। ये पहला मौका होगा जब भारत का कोई प्रधानमंत्री UNSC की किसी बहस की अध्यक्षता करेगा।
ये बहस समुद्री सुरक्षा से संबंधित मुद्दों पर होगी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन समेत कई देशों के राष्ट्राध्यक्ष इसमें हिस्सा लेंगे।
बहस वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए शाम 5:30 बजे शुरू होगी और इसका UNSC की वेबसाइट पर लाइव प्रसारण किया जाएगा।
मुद्दा
बहस में होगी समुद्री अपराधों से निपटने और सहयोग बढ़ाने पर चर्चा
प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता वाली इस बहस का मुद्दा 'समुद्री सुरक्षा बढ़ाना- अंतरराष्ट्रीय सहयोग का मसला' होगा। इसमें समुद्री अपराधों से निपटने के तरीकों और समुद्री क्षेत्र में समन्वय मजबूत करने पर चर्चा होगी।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के अलावा अन्य कई सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष और सरकारी अधिकारी भी इस बैठक में शामिल होंगे। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र (UN) के अधिकारी और प्रमुख क्षेत्रीय संगठन भी इस बहस में शामिल होंगे।
बयान
पहली बार खुली बहस में समुद्री सुरक्षा पर खास तौर पर होगी चर्चा
भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि यूं तो UNSC पहले भी कई बार समुद्री सुरक्षा और अपराधों पर चर्चा कर चुका है, लेकिन पहली बार इतनी उच्च स्तरीय खुली बहस में विशेष मुद्दे के तौर पर इस पर समग्र चर्चा की जाएगी।
मंत्रालय ने कहा कि चूंकि कोई भी एक देश समुद्री सुरक्षा के विभिन्न पहलुओं का हल नहीं कर सकती, इसलिए UNSC में इस पर विस्तृत चर्चा करना बेहद अहम है।
अध्यक्षता
अगस्त महीने के लिए UNSC का अध्यक्ष बना है भारत
गौरतलब है कि भारत ने हाल ही में फ्रांस से UNSC की अध्यक्षता संभाली है और वो अगस्त महीने के लिए इसका अध्यक्ष बना है।
UN में भारत के स्थायी प्रतिनिधि राजदूत टीएस तिरूमूर्ति ने पहले ही साफ कर दिया था कि अपनी अध्यक्षता के दौरान भारत समुद्री सुरक्षा, अमन बहाली और आतंकवाद-रोधी आदि तीन मुद्दों पर उच्च स्तरीय बैठक करेगा।
अब सबसे पहले समुद्री सुरक्षा पर बहस होने जा रही है।
UNSC
एक-एक महीने के लिए अध्यक्ष बनता है UNSC का हर सदस्य
बता दें कि UNSC में पांच स्थायी सदस्यों के साथ-साथ 10 अस्थायी सदस्य होते हैं और हर सदस्य को उनके अंग्रेजी नामों के अक्षरों के क्रम के अनुसार बारी-बारी से एक महीने के लिए अध्यक्षता दी जाती है।
स्थायी सदस्यों में अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस और ब्रिटेन शामिल हैं और इनके पास वीटो करने की ताकत है। वीटो का मतलब 'न कहने' का अधिकार होता है और ये देश किसी भी प्रस्ताव को वीटो करके रोक सकते हैं।