श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 18 दिन में 80 लोगों की मौत, RPF के आंकड़ों में खुलासा
क्या है खबर?
लॉकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने के लिए चलाई जा रही श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में लोगों की मौत का मामला गरमाया हुआ है।
मीडिया रिपोर्ट्स में मजदूरों की मौत का प्राथमिक कारण भूख-प्यास बताया जा रहा है तो रेलवे उनकी बीमारी को जिम्मेदार ठहरा रही है।
हालांकि, अभी तक ट्रेनों में हुई मौत की पुख्ता संख्या सामने नहीं आ रही थी, लेकिन अब रेलवे सुरक्षा बल (RPF) ने 80 लोगों की मौत का रिकॉर्ड प्रस्तुत किया है।
मौत
18 दिन में हुई 80 लोगों की मौत
हिंदुस्तान टाइम्स ने RPF द्वारा जारी आंकड़ों के आधार पर रिपोर्ट प्रकाशित की है कि श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 9 से 27 मई के बीच यानी 18 दिन में कुल 80 लोगों की मौत हुई है।
इससे पहले का आंकड़ा अभी तक नहीं मिल पाया है। इस रिकॉर्ड के हिसाब से स्पेशल ट्रेनों में प्रतिदिन औसतन 4.44 लोगों की मौत हुई।
ये आंकड़े रेलवे द्वारा ट्रेनों में मजदूरों को सभी सुविधाएंउपलब्ध कराने के दावों की पोल खोल रहे हैं।
उम्र
चार से 85 साल के बीच है मृतकों की उम्र
RPF की और से जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार पूर्व मध्य रेलवे, पूर्वोत्तर रेलवे, नॉर्थन रेलवे और उत्तर मध्य रेलवे जोन सहित कई अन्य जोन में हुई कुल 80 मौतों में मृतकों की संख्या चार से 85 साल के बीच है।
पूर्वोत्तर रेलवे जोन में 18, उत्तर रेलवे में 10, उत्तर मध्य में 19 और पूर्वी तट रेलवे में 13 मौतें हुई हैं। ऐसे में रेलवे ने अब इन सभी मौतों की जांच में जुट गया है।
बयान
जल्द ही जारी किया जाएगा पूरा रिकॉर्ड
RPF के एक अधिकारी ने मृतकों की संख्या की पुष्टि करते हुए कहा कि यह पहली बार है जब श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में हुई मौतों का आधिकारिक आंकड़ा जारी किया गया है।
उन्होंने बताया कि अब तक मिली जानकारी के आधार पर 18 दिन का रिकॉर्ड तैयार किया गया है। जल्द ही अन्य राज्यों से संपर्क कर मौतों का अंतिम आंकड़ा जारी किया जाएगा।
हालांकि, अधिकारी ने मजूदरों की मौत के पीछे के कारणों का खुलासा नहीं किया है।
रेलवे
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने दिया बड़ा बयान
श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में 18 दिन में 80 लोगों की मौत के मामले में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष वीके यादव ने कहा कि ट्रेनों में एक भी व्यक्ति की मौत होना बड़ी क्षति है। भारतीय रेलवे की एक नियंत्रण प्रणाली है। बीमार होने पर ट्रेन को रोका जाता है और उसका इलाज कराकर जान बचाने का प्रयास किया जाता है।
उन्होंने कहा कि ट्रेनों में कई यात्रियों का इलाज कराने के साथ कई डिलीवरी भी हुई हैं।
जानकारी
भूख-प्यास से मौत होने के आरोप लगाना ठीक नहीं
रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष ने कहा कि इस परिस्थतियों में यात्रा करने वाले मजदूरों की दुर्दशा की वह कल्पना कर सकते हैं। सभी मौतों की जांच कराई जा रही है, लेकिन उससे पहले मजदूरों की मौत भूख-प्यास से होने का आरोप लगाना ठीक नहीं है।
अपील
रेल मंत्री ने की लोगों से अपील
रेल मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार पहले से बीमारी से जूझ रहे लोगों से श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में यात्रा नहीं करने की अपील की थी।
इसी तरह उन्होंने अति आवश्यक होने पर ही अन्य बीमारी से पीड़ित 10 साल से कम और 65 साल से अधिक उम्र के लोगों केवल श्रमिक स्पेशल ट्रेन में ही यात्रा करने की अपील की थी।
उन्होंने कहा कि रेलवे यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।
नोटिस
मानवाधिकार आयोग ने जारी किया रेलवे और राज्यों को नोटिस
गत दिनों श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में तीन दिन में नौ लोगों की भूख-प्यास से मौत होने की सूचना पर हड़कंप मच गया था।
इसको लेकर जहां सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे व राज्यों को मजदूरों से किराया नहीं लेने तथा तमाम व्यवस्थाएं करने के निर्देश दिए थे।
इसी तरह राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने केंद्रीय गृह सचिव, रेलवे बोर्ड के चेरमैन और बिहार तथा गुजरात के मुख्य सचिवों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
विवरण
प्रवासी मजदूरों के लिए किया 3,840 ट्रेनों का संचालन
रेलवे के रिकॉर्ड के अनुसार देश में श्रमिकों के लिए 1 मई से ट्रेनों का संचालन किया गया था। उसके बाद से अब तक कुल 3,480 ट्रेनों का संचालन किया जा चुका है और इनके जरिए 50 लाख से अधिक मजदूरों को उनके घर तक पहुंचा दिया गया है।
इनमें से 80 फीसदी मजदूर उत्तर प्रदेश और बिहार के रहने वाले हैं। इसी तरह राज्यों के आपसी सहयोग के करीब 40 लाख मजदूर सड़क मार्ग से अपने घर पहुंचे हैं।