कोरोना ने दूसरी बीमारियों के खिलाफ लड़ाई पर डाला असर, इलाज से दूर रहे लाखों मरीज
क्या है खबर?
कोरोना महामारी ने बीते दो सालों के दौरान न सिर्फ लाखों लोगों की जान ली है बल्कि दूसरी बीमारियों से जूझ रहे लोगों की मुश्किलें भी बढ़ा दी हैं।
इस वक्त दुनियाभर की सरकारें कोरोना महामारी से निपटने को प्राथमिकता दे रही हैं, जिससे एड्स, टीबी और मलेरिया जैसी बीमारियों के खिलाफ चल रही लड़ाईयां प्रभावित हुई हैं।
एक रिपोर्ट में सामने आया है कि इस वजह से अब तक हासिल की गईं उपलब्धियों का असर कम होने लगा है।
जानकारी
ग्लोबल फंड ने जारी की रिपोर्ट
मलेरिया और एड्स के खिलाफ लड़ाई के लिए आर्थिक मदद देने वाले अंतरराष्ट्रीय संगठन ग्लोबल फंड की रिपोर्ट में बताया है कि कोरोना के कारण दूसरी बीमारियों के खिलाफ लड़ाईयां धीमी हुई हैं। 100 गरीब देशों के आंकड़ों के आधार पर यह रिपोर्ट बनी है।
कोरोना संकट
टीबी का इलाज पाने वाले मरीजों की संख्या हुई कम- रिपोर्ट
रिपोर्ट में बताया गया है कि कोरोना महामारी के कारण 2019-20 में ड्रग-रजिस्टेंस टीबी का उपचार पाने वाले लोगों की संख्या 19 प्रतिशत कम हुई है।
इसके अलावा एक्सटेंसिवली ड्रग-रजिस्टेंस टीबी का सामने करने वाले 37 प्रतिशत कम मरीज इलाज के लिए आगे आए। वहीं एंटीरेट्रोवायरल और टीबी ट्रीटमेंट ले रहे HIV-पॉजिटिव टीबी मरीजों की संख्या भी 16 प्रतिशत कम हुई है।
यह उन देशों के आंकड़े हैं, जहां ग्लोबल फंड की मदद जाती है।
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HIV की टेस्टिंग और रोकथाम पर पड़ा सबसे ज्यादा असर
रिपोर्ट कहती है कि महामारी के कारण HIV पीड़ित लोगों की टेस्टिंग और रोकथाम पर सबसे बुरा असर पड़ा है।
2019 के मुकाबले HIV रोकथाम और इलाज कराने वालों की संख्या 11 फीसदी गिर गई है, जबकि HIV टेस्टिंग में 22 फीसदी की गिरावट देखी गई है।
अधिकतर देशों में कोरोना से जुड़ी पाबंदियों के कारण HIV के इलाज में बुरा असर पड़ा है। वहीं कोरोना के कारण आर्थिक संकट झेलने वाले लोग भी चिकित्सीय सहायता पाने से वंचित रहे।
जानकारी
2020 में 10 लाख कम मरीजों का हुआ इलाज
2019 की तुलना में 2020 में लगभग 10 लाख कम मरीजों का इलाज हुआ था। इसकी सबसे बड़ी वजह लॉकडाउन के कारण आने-जाने पर लगी पाबंदी और स्वास्थ्य व्यवस्था का ध्यान महामारी पर केंद्रित होना रहा।
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मलेरिया के खिलाफ पर कम असर
मलेरिया के खिलाफ लड़ाई पर कोरोना का कम असर हुआ है, लेकिन जरूरी स्वास्थ्य उत्पादों की आपूर्ति पर प्रभाव देखा गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि व्यवधानों के बावजूद सामुदायिक और स्वास्थ्यकर्मियों की वजह से मलेरिया के खिलाफ लड़ाई स्थिर रही।
महामारी के दौरान मलेरिया के संदिग्ध मामलों के टेस्ट और इलाज करवाने वालों की संख्या में क्रमश: 4.3 प्रतिशत और 0.5 प्रतिशत गिरावट देखी गई। वहीं मच्छरदानी वितरण जैसी गतिविधियों में इजाफा देखा गया है।
जानकारी
सरकारों को नए तरीके अपनाने की जरूरत- रिपोर्ट
रिपोर्ट में बताया गया है कि कई देशों में कोरोना का प्रकोप कम हो रहा तो कई जगह यह लगातार बढ़ता जा रहा है। ऐसे में सरकारों को अपनी नीतियों पर दोबारा ध्यान देने और लड़ाई के नए तरीकों अपनाने की जरूरत है।