कश्मीर में घुसपैठ करने की कोशिश में हैं 300 आतंकी, सक्रिय हुए लॉन्च पैड- रिपोर्ट
पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा (LoC) के उस पार आतंकी कैंप फिर से सक्रिय कर दिए हैं। साथ ही आतंकी संगठन अल बद्र के दोबारा सिर उठा लेने के बाद अगले हफ्तों में कश्मीर में आतंकी घटनाएं बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। बताया जा रहा है कि LoC के पार करीब 225-250 और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार करीब 30-40 आतंकी कश्मीर में घुसपैठ के लिए तैयार हैं। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
सुरक्षा एजेंसियों ने पहचाने 14 लॉन्च पैड्स
टाइम्स नाउ की रिपोर्ट के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियां ने 14 ऐसे लॉन्च पैड्स की पहचान की है, जहां आतंकी एकजुट हो रहे हैं। इनमें से तंगधार, नौगाम, उरी, पूंछ और पलनवाला इलाके में एक-एक, माछल, कृष्णा घाटी और नौशेरा में दो-दो और भींबर गली में तीन लॉन्च पैड हैं। सबसे अधिक आतंकी पीर पंजाल की पहाड़ियों के उत्तर में स्थित लॉन्च पैड पर हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने इनकी घुसपैठ के संभावित रास्ते का भी पता लगा लिया है।
अल बद्र की मदद कर रहा पाकिस्तान- रिपोर्ट
सरकारी सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान अल बद्र संगठन को फिर से खड़ा करने में मदद कर रहा है। LoC के पास स्थित अथमुकाम और शारडी के बीच इसके दौ कैंप स्थापित किए गए हैं।
करीब 70 युवा हए आतंकी संगठनों में भर्ती
अगर भर्ती की बात करें तो इस साल 15 जुलाई तक 69 युवा आतंकी संगठनों में भर्ती हुए थे। पिछले साल इसी दौरान यह संख्या 85 थी। आतंकी संगठनों में जाने वाले युवाओं में से अधिकतर शोपियां, कुलगाम और पुलवामा के रहने वाले हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस महानिदेशक (DGP) दिलबाग सिंह ने कहा था कि तकनीक की मदद से युवाओं को आतंकी संगठन में शामिल होने से पहले ही रोक लिया जाता है।
कुछ हफ्तों से बढ़ी है आतंकी घटनाएं
जम्मू-कश्मीर में सीमा पर कुछ समय शांति रहने के बाद पिछले कुछ हफ्तों से आतंकी घटनाओं में इजाफा देखा जा रहा है। साथ ही सुरक्षाबलों पर हो रहे हमलों में विदेशी आतंकियों की भागीदारी भी बढ़ी है। इस साल जम्मू-कश्मीर में 86 आतंकवादी मारे गए हैं। इनमें से 36 आतंकियों को जून-जुलाई में हुए 16 एनकाउंटरों में ढेर किया गया है। अकेले जुलाई में 10 से अधिक एनकाउंटरों में चार पाकिस्तानी आंतकियों समेत 20 से ज्यादा आतंकी मारे गए हैं।
सीजफायर के बाद रही थी शांति
भारत और पाकिस्तान ने सीजफायर समझौते का पालन करने का फैसला लेते हुए 25 फरवरी को एक बयान जारी किया था। दोनों देशों के संबंधों के बीच इसे महत्वपूर्ण पड़ाव के तौर पर देखा गया था। उम्मीद की जा रही थी कि इससे इलाके में शांति बनी रहेगी और साथ ही कश्मीर में घुसपैठ और आतंकी घटनाओं में भी कमी आएगी। घाटी में शांति थोड़े ही समय रही और अब एक बार फिर घुसपैठ की घटनाएं बढ़ने लगी हैं।