युद्धबंदियों से जुड़े नियमों की वजह से भारतीय पायलट को हाथ भी नहीं लगा सकता पाकिस्तान
बुधवार सुबह पाकिस्तान नेभारतीय हवाई सीमा का उल्लंघन किया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों ने भारतीय सीमा में घुसकर सेना के ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की, लेकिन भारत ने इसका कड़ा जवाब देते हुए पाकिस्तानी विमानों को खदेड़ दिया। इस कार्रवाई में एक पाकिस्तानी विमान ढेर हो गया, वहीं भारत के मिग 21 विमान को भी नुकसान पहुंचा है। पाकिस्तान ने एक भारतीय पायलट को भी हिरासत में लिया है।
कौन होते हैं युद्धबंदी
युद्धबंदियों से जुड़े नियम पहली बार साल 1929 जेनेवा कन्वेंशन में शामिल किए गए थे। 1949 में दूसरे विश्व युद्ध के बाद इन्हें संशोधित किया गया था। इन नियमों के मुताबिक, युद्धबंदियों का दर्जा केवल अंतरराष्ट्रीय सैन्य विवादों में पकड़े गए लोगों पर लागू होता है। आमतौर पर युद्धबंदी वो सैनिक होते हैं जो दुश्मन देश की सेना की गिरफ्त में आ जाते हैं। इसमें उन लोगों को भी परिभाषित किया गया है जिन्हें यह दर्जा दिया जा सकता है।
जेनेवा कन्वेंशन में किए गए हैं प्रावधान
ऐसी स्थिति में दूसरे देश द्वारा पकड़े गए लोगों और सैनिकों को युद्धबंदी कहा जाता है। तीसरे जेनेवा कन्वेंशन में युद्धबंदियों की सुरक्षा के लिए कई प्रावधान किये गए हैं। इसमें उनके अधिकारों और उनकी रिहाई से जुड़े नियमों को परिभाषित किया गया है। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय मानवता कानून (IHL) के भी नियम हैं, जिनका पालन किया जाना जरूरी है। आइये जानते हैं कि दुनियाभर में युद्धबंदियों के लिए क्या नियम है।
क्या है जेनेवा कन्वेंशन?
जेनेवा कन्वेंशन सिलेसिलेवार तरीके से हुई अंतरराष्ट्रीय कूटनीति से जुड़ी बैठकें हैं। इनमें सैन्य विवादों में पकड़े गए सैनिकों, डॉक्टरों और नागरिकों के साथ मानवीय व्यवहार सुनिश्चित करने के लिए नियम और कानून बनाए गए थे। सबसे पहला जेनेवा कन्वेंशन 1864 में सामने आया था, लेकिन दूसरे विश्व युद्ध की समाप्ति के बाद साल 1949 में इस संशोधित किया गया। दुनियाभर के देशों को युद्धबंधियों के साथ जेनेवा कन्वेंशन के नियमों के तहत व्यवहार करना होता है।
क्या है युद्धबंदियों से जुड़े नियम
युद्धबंदियों पर युद्ध में भाग लेेने के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है। उनको हिरासत में लिया जाना किसी प्रकार की सजा नहीं बल्कि उनको युद्ध में दोबारा भाग लेने से रोकने की प्रक्रिया है। युद्ध या ऐसी स्थिति खत्म होते ही उनकी रिहाई और स्वदेश वापसी के नियम हैं। युद्धबंदियों पर युद्ध अपराधों के लिए मुकदमा चलाया जा सकता है। युद्धबंदियों के हर हाल में मानवीय व्यवहार होना चाहिए। उनकी हर प्रकार की हिंसा से रक्षा होनी चाहिए।
क्या है दूसरे नियम?
जेनेवा कन्वेंशन के मुताबिक, युद्धबंदियों को हिंसा, धमकी, अपमान से बचाना और लोगों में उनके बारे में उत्सुकता पैदा नहीं करनी चाहिए। IHL के कानून के मुताबिक, युद्धबंदियों के रहने, खाने, कपड़े, साफ-सफाई और स्वास्थ्य का ध्यान रखा जाना चाहिए।