मथुरा: जन्माष्टमी के मौके पर हुई भारी भीड़, दम घुटने से दो श्रद्धालुओं की मौत
क्या है खबर?
उत्तर प्रदेश के मथुरा में कृष्ण जन्माष्टमी के मौके पर मंदिर में दम घुटने से दो लोगों की मौत हो गई। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आधी रात को मथुरा के बांके बिहारी मंदिर में अचानक भीड़ बढ़ने के कारण एक महिला और एक पुरुष की दम घुटने से जान चली गई।
बता दें, मथुरा को भगवान श्री कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है और हर साल जन्माष्टमी के मौके पर यहां भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
हादसा
छह लोगों को आईं चोटें- पुलिस
NDTV से बात करते हुए मथुरा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी अभिषेक यादव ने बताया कि जन्माष्टमी के पावन मौके पर मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या अचानक बढ़ गई। आरती के दौरान लोग परिसर की तरफ आने लगे, जिससे यहां भारी भीड़ हो गई। इस दौरान एक महिला और एक पुरुष की दम घुटने से मौत हो गई।
उन्होंने बताया कि अत्याधिक भीड़ होने के कारण छह लोगों को चोटें आई हैं, जिनका अस्पताल में इलाज चल रहा है।
जानकारी
कैसे हुआ हादसा?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मंदिर के 4 नंबर गेट पर भीड़ बढ़ने के कारण एक श्रद्धालु बेहोश हो गया था। जब तक पुलिसकर्मी उसे निकालकर बाहर ले जाते, तब तक मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जमा हो गई थी। इससे श्रद्धालुओं का दम घुटने लगा और रात करीब 2 बजे यह हादसा हो गया।
मृतकों की पहचान नोएडा निवासी निर्मला देवी और राम प्रसाद विश्वकर्मा के तौर पर हुई है, जो मूल रूप से मध्य प्रदेश के रहने वाले थे।
तैनाती
मौके पर मौजूद थे वरिष्ठ अधिकारी
जन्माष्टमी के मौके को देखते हुए जिलाधिकारी, पुलिस अधीक्षक समेत पुलिस और प्रशासन के तमाम वरिष्ठ अधिकारी मंदिर स्थल पर ही तैनात थे। हादसा होते ही पुलिसकर्मियों ने पीड़ितों को वहां से निकालकर अस्पताल पहुंचाया।
बताया जा रहा है कि जिन दो लोगों की मौत हुई है, उनके परिजन बिना पोस्टमार्टम के ही शव ले गए हैं। वहीं छह घायलों में से एक को छोड़कर बाकी सभी को अस्पताल से छुट्टी मिल गई है।
जानकारी
योगी आदित्यनाथ ने किए थे मंदिर में दर्शन
इससे पहले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मथुरा पहुंचकर कृष्ण जन्मभूमि मंदिर में भगवान के दर्शन किए थे। इस मौके पर उन्होंने राज्य की सांस्कृतिक और आध्यत्मिक विरासत को सहेजने और आगे ले जाने की बात दोहराई।
उन्होंने कहा, "भगवान कृष्ण करीब 5,000 साल पहले धरती पर आए थे और उनकी लीलाएं आज भी देश और दुनिया के हर कोने में मनाई जा रही हैं। उनकी सीख हमारे कामों और विचारों को प्रभावित करती हैं।"