लॉकडाउन में घर जाने के दौरान दुघर्टना में हुई 198 प्रवासी मजदूरों की मौत- रिपोर्ट
देश में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए लॉकडाउन लागू किया गया था। यह करीब दो महीने चला और अब सरकार ने इससे बाहर निकलने के लिए 'अनलॉक 1' लागू कर दिया है। लॉकडाउन में सड़क दुर्घटनाओं में भारी कमी आने की बात कही जा रही है। हालांकि, लॉकडाउन के दौरान आवश्यक सेवाओं से जुड़े वाहनों का संचालन होने के चलते देश में कुल 1,461 दुर्घटनाएं हुई हैं। इनमें 198 प्रवासी मजदूरों सहित कुल 750 लोगों की मौत हुई है।
सेव लाइफ फाउंडेशन की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
सड़कर सुरक्षा को लेकर काम करने वाले सेव लाइफ फाउंडेशन की द्वारा जारी की गई रिपोर्ट में दुर्घटना के इन आंकड़ों का खुलासा किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार देश में 25 मार्च को लागू किए गए लॉकडाउन से लेकर 31 मई को खत्म हुए लॉकडाउन के चौथे चरण तक देश में 1,461 दुर्घटनाएं हुईं। इन दुघर्टनाओं में कुल 750 लोगों की मौत हुई थीं। इनमें 198 प्रवासी मजदूर शामिल थे। इसी तरह 1,390 लोग घायल हुए हैं।
उत्तर प्रदेश में हुई सबसे ज्यादा मौतें
रिपोर्ट के अनुसार लॉकडाउन के दौरान हादसों में सबसे ज्यादा मौत 245 उत्तर प्रदेश में हुई है। यह कुल मौत का 30 प्रतिशत हिस्सा है। उसके बाद तेलंगाना में 56, मध्य प्रदेश में 56, बिहार में 43, पंजाब में 38, महाराष्ट्र में 36 लोगों की मौत हुई है। इसी तरह प्रवासी मजदूरों की मौत की बात करें तो उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 94, मध्य प्रदेश 38, बिहार 16, तेलंगाना 11 और महाराष्ट्र में 9 मजदूरों की मौत हुई हैं।
तेज रफ्तार और चालकों की थकान बनी हादसों का कारण
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि लॉकडाउन में ये हादसे सड़कों के खाली होने पर तेज रफ्तार में वाहन चलाने के कारण हुए हैं। इसके अलावा कुछ मामलों में चालकों की अनिंद्रा और अत्यधिक थकान भी प्रमुख कारण बनकर सामने आया है।
मृतकों में 27 प्रतिशत प्रवासी मजदूर शामिल
रिपोर्ट के अनुसार दुघर्टना में मरने वालों में 27 प्रतिशत प्रवासी मजदूर और 5 प्रतिशत पुलिस, डॉक्टर सहित आवश्यक सेवाओं से जुड़े अन्य लोग शामिल थे। इसी तरह 68 प्रतिशत लोग पैदल यात्री या फिर दुपहिया और तिपहिया वाहनों में सवार थे। जिन्हें तेज रफ्तार वाहनों ने कुचल दिया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 200 से अधिक लोगों की मौत वाणिज्यिक वाहनों में यात्रा करने के दौरान हुई है। यह वह इनमें यात्रा नहीं करते तो बच सकते थे।
लॉकडाउन के चौथे चरण में हुई सबसे अधिक मौत
फाउंडेशन के संस्थापक पियूष तिवारी ने बताया कि लॉकडाउन के चौथे चरण में सबसे अधिक 322 मौते हुई हैं। यह कुल मौत का 43 प्रतिशत हिस्सा है। इसी तरह 60 प्रतिशत प्रवासी मजदूरों की मौत लॉकडाउन के तीसरे चरण में हुई थी, जबकि चौथे चरण में महज 19 प्रतिशत प्रवासी मजदूरों की मौत हुई थी। उन्होंने बताया कि तीसरे और चौथे चरण में हादसे बढ़ने का कारण यह था कि राज्यों ने लॉकडाउन में ढील देना शुरू कर दिया था।
43 प्रतिशत दुघर्टनाएं आमने-सामने की भिड़ंत से हुई
रिपोर्ट के अनुसार कुल हादसों में 43 प्रतिशत मौत वाहनों की आमने-सामने की भिड़ंत में हुई है। इसी तरह 15 प्रतिशम मौत वाहनों की तेज रफ्तार के कारण हुई है। इसी तरह सबसे गंभीर हादसे तेज रफ्तार वाहनों के कारण ही हुए हैं।