#Exclusive: लोग कहते थे सरकारी नौकरी की कोशिश करो, जिद में फुटबॉलर बने निशु कुमार
क्या है खबर?
भारत में फुटबॉल देखने और खेलने वालों की संख्या क्रिकेट की तुलना में बेहद कम है। यदि उत्तर प्रदेश की बात करें तो यह संख्या और भी कम हो जाती है।
इसके बावजूद कम संसाधनों और बिना सपोर्ट के मुजफ्फरनगर के निशु कुमार ने फुटबॉलर बनने का सपना देखा।
आज 22 साल के निशु बेंगलुरु FC का अहम हिस्सा हैं।
निशु ने न्यूजबाइट्स के साथ बातचीत में अपने संघर्ष और करियर समेत कई मुद्दों पर बात की।
आइए जानें।
परिचय
भारत के लिए डेब्यू पर गोल दागने वाले बेहद कम फुटबॉलर्स में से एक हैं निशु
राइट बैक और लेफ्ट बैक दोनो पोजीशन पर खेलने की कला रखने वाले निशु को 2011 में AIFF एलीट अकादमी में ट्रेनिंग के लिए चुना गया था।
2015 से लगातार बेंगुलरु FC के लिए खेलने और अब तक पांच खिताब जीत चुके निशु ने अंडर-19 और अंडर-23 के अलावा सीनियर इंडियन टीम को भी रिप्रजेंट किया है।
साल 2018 में ओमान के खिलाफ सीनियर डेब्यू करते हुए निशु ने पहला गोल दागा था।
शुरुआत
क्रिकेट की छांव के बीच इस तरह आया फुटबॉल खेलने का विचार
निशु के गांव में ज़्यादातर बच्चों को क्रिकेट खेलना पसंद था, लेकिन उनके घर के पास एक मैदान था जहां लोग फुटबॉल भी खेलते थे।
उन्होंने बताया, "घर के पास वाले ग्राउंड पर सीजन के हिसाब से मैच होते थे। वहां खेलने वाले मेरे कुछ सीनियर्स स्पोर्ट्स कॉलेज में रहते थे। स्पोर्ट्स हॉस्टल में रहने और उनके बेहतरीन खेल ने मुझे काफी प्रभावित किया। यहीं से मेरे मन में फुटबॉल के लिए प्यार बढ़ गया।"
लोगों की प्रतिक्रिया
शुरुआत में लोगों को लगता था कि मैं समय बर्बाद कर रहा- निशु
निशु ने जब फुटबॉल खेलना शुरु किया और वह मैच खेलने के लिए बाहर आने-जाने लगे तो गांव के लोगों की प्रतिक्रिया काफी अजीब रही।
उन्होंने बताया, "मेरे पापा के दोस्त लोग उनसे कहते थे कि फुटबॉल में समय बर्बाद करने की बजाय उसे सरकारी नौकरी की तैयारी करने को बोलो। सबको लगता था कि फुटबॉल खेलकर मैं क्या कर लूंगा। ज़्यादातर लोगों को लगता था कि मैं समय बर्बाद कर रहा हूं।"
चंडीगढ़ फुटबॉल अकादमी
ट्रॉयल्स में जाने पर लगा कि आगे का सफर काफी मुश्किल है- निशु
चंडीगढ़ फुटबॉल अकादमी में ट्रॉयल के दौरान निशु और दो अन्य खिलाड़ी लगभग 350 फुटबॉलर्स के बीच चुने गए थे।
ट्रॉयल के बारे में निशु ने कहा, "चंडीगढ़ फुटबॉल अकादमी में ट्रॉयल के दौरान मैंने देखा कि वहां बहुत ही अच्छे खिलाड़ी थे तो मुझे लगा कि मेरा यहां नहीं होने वाला है। ट्रेनिंग के लिए सारी सुविधाओं को मैंने पहली बार देखा था। वहां सिलेक्ट होने के बाद कठिन मेहनत करने का हौंसला अपने आप आ गया।"
यादगार लम्हा
2016 AFC कप फाइनल हमेशा यादगार रहेगा- निशु
बेंगलुरु के लिए पहले साल में बहुत ज़्यादा मौके नहीं पा सकने वाले निशु को 2016 में AFC कप के फाइनल जैसे बड़े मैच में खेलने का मौका मिला।
निशु ने कहा, "मुझे उम्मीद नहीं थी कि इतने बड़े मैच में खेलने का मौका मिलेगा। मैं इतना नर्वस था कि मुझे रात में नींद नहीं आई। अल्बर्ट सर ने मुझे मौका दिया और यह मैच मेरे लिए हमेशा यादगार रहेगा।"
पहचान और सम्मान
पांच सालों में बदल गई लोगों की मेरे प्रति सोच- निशु
पिछले पांच सालों से निशु को टीवी पर खेलते देखकर अब लोगों की उनके प्रति सोच काफी बदल गई है।
उन्होंने बताया, "मैं अकादमी में जाने लगा और फिर बेंगलुरु के लिए खेलने लगा। टीवी पर मुझे देखकर लोगों की सोच बदल गई। इंडिया के लिए खेला तो लोग और भी बदले।"
निशु ने आगे कहा कि अब लोग उन्हें सम्मान देते हैं और उनका हौंसला बढ़ाते हैं।
भारतीय टीम
लंबे समय तक भारत के लिए खेलना चाहता हूं- निशु
निशु ने कहा कि हर खिलाड़ी की तरह वह भी भारत के लिए खेलने का सपना देखते थे और डेब्यू पर गोल दागने से यह और भी यादगार बन गया।
उन्होंने आगे कहा, "मैं टीम में अपनी जगह पक्की करना चाहता हूं। लंबे समय तक मैं भारत के लिए खेलना चाहता हूं।"
निशु ने यह भी कहा कि सुनील छेत्री जैसे महान खिलाड़ी के साथ खेलना उनके लिए सौभाग्य की बात है।