#ChampsYouShouldKnow: जानें भारतीय फुटबॉल के पथ प्रदर्शक बाईचुंग भूटिया के जीवन से जुड़ी बातें
भारतीय फुटबॉल वर्तमान समय में काफी तेजी के साथ ऊपर आ रहा है और वर्तमान समय देश में कई अच्छे खिलाड़ी हैं। 1995 में भारतीय टीम में एक 19 साल का युवा खिलाड़ी आया और जब उसने संन्यास लिया तो वह लीजेंड बन चुका था। हम बात कर रहे हैं 1995 से लेकर 2010 तक भारतीय फुटबॉल को लोकप्रियता दिलाने वाले और शानदार प्रदर्शन करने वाले पू्र्व कप्तान बाईचुंग भूटिया की। जानिए उनके महान करियर से जुड़ी कुछ रोचक बातें।
मां-बाप भूटिया को खेल में नहीं जाने देना चाहते थे
भूटिया का जन्म 15 दिसंबर, 1976 को सिक्किम के एक किसान परिवार में हुआ था। भूटिया के माता-पिता नहीं चाहते थे कि वह खेल में अपना करियर बनाएं। हालांकि पिता की मौत के बाद भूटिया को उनके अंकल ने फुटबॉल खेलने के लिए प्रेरित किया और भारतीय फुटबॉल को एक जादूगर मिला। भूटिया ने सिक्किम के कई स्कूल और लोकल क्लबों के लिए खेला और सबको दिखाया कि उनके पास कितना टैलेंट है।
अन्य खेलों में भी माहिर थे भूटिया
भूटिया, फुटबॉल जितना बेहतरीन खेलते थे उतना ही बेहतर वह अन्य खेलों में भी थे। भूटिया ने अपने स्कूल के लिए फुटबॉल के अलावा बैडमिंटन, बास्केटबॉल और एथलेटिक्स में भी शानदार प्रदर्शन किया था।
स्कूल छोड़ा और ईस्ट बंगाल क्लब ज्वाइन कर लिया
1992 में हुए सुब्रतो कप में 15 वर्षीय भूटिया ने शानदार प्रदर्शन किया था और उन्हें टूर्नामेंट का बेस्ट प्लेयर चुना गया था। उनके इस प्रदर्शन ने पूर्व भारतीय गोलकीपर भास्कर गांगुली को काफी प्रभावित किया और उन्होंने भूटिया को कोलकाता आने में काफी मदद की। भूटिया ने मात्र 16 साल की उम्र में ही स्कूल छोेड़कर ईस्ट बंगाल क्लब ज्वाइन कर लिया था। ईस्ट बंगाल आने के बाद भूटिया ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
फुटबॉल स्कूल चलाते हैं भूटिया
भूटिया ने अक्टूबर 2010 में पुर्तगाली फुटबॉल मैनेजर कार्लोस क्विरोज और नाईक (Nike) के साथ भागेदारी में दिल्ली में फुटबॉल स्कूल खोला। स्कूल का नाम बाईचुंग भूटिया फुटबॉल स्कूल है।
भारत के लिए गोल दागने वाले सबसे युवा खिलाड़ी थे भूटिया
भूटिया ने 10 मार्च, 1995 को 19 साल की उम्र में नेहरू कप में थाईलैंड के खिलाफ भारतीय फुटबॉल टीम के लिए अपना डेब्यू किया था। नेहरू कप में भूटिया ने उजबेकिस्तान के खिलाफ गोल दागा और भारतीय टीम के लिए गोल दागने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने। हालांकि 5 नवंबर, 2004 को जेरी ज़िर्सांगा ने 16 साल 311 दिन की उम्र में भारतीय टीम के लिए गोल दागकर भूटिया का रिकॉर्ड तोड़ दिया था।
पद्म भूषण से नवाजित हो चुके हैं भूटिया
भूटिया को फुटबॉल के लिए अर्जुन अवार्ड व देश का चौथा सबसे बड़ा नागरिक सम्मान पद्म भूषण दिया जा चुका है।किसी फुटबॉलर के नाम पर फुटबॉल स्टेडियम होने वाले पहले भारतीय भूटिया ही हैं।भूटिया दो बार 'AIFF प्लेयर ऑफ द ईयर' भी रह चुके हैं।
यूरोपियन कॉन्ट्रैक्ट साइन करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी थे भूटिया
1999 में भूटिया ने इंग्लिश क्लब बरी के साथ तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट साइन किया। इस तरह भूटिया यूरोपियन कॉन्ट्रैक्ट साइन करने वाले पहले तथा यूरोपियन क्लब के लिए प्रोफेशनली खेलने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी बने थे। इस कॉन्ट्रैक्ट से पहले भूटिया ने इंग्लिश क्लब्स फुलहम, वेस्ट ब्राम अलवियन और एस्टन विला के लिए भी ट्रॉयल दिया था लेकिन फेल हो गए थे। 2005 में भूटिया ने मलेशियन क्लब Selangor MK Land के साथ भी कॉन्ट्रैक्ट साइन किया था।
क्लब और नेशनल लेवल पर गोलस्कोरिंग आंकड़ें
भूटिया ने अपने लगभग 23 साल के लंबे क्लब करियर में कुल 227 मुकाबले खेले जिनमें उन्होंने 114 गोल दागे। भारतीय फुटबॉल टीम के लिए भूटिया ने 107 मुकाबलों में 42 गोल दागे थे।