भारतीय फुटबॉल टीम में हेड कोच की जगह ले सकते हैं ये 5 बेहतरीन मैनेजर्स

भारतीय फुटबॉल टीम AFC एशियन कप से बाहर हो चुकी है और हेड कोच स्टीफन कोंन्सटेन्टाइन ने भी अपना पद छोड़ दिया है। हालांकि कोंन्सटेन्टाइन के अंडर टीम ने अदभुत प्रदर्शन किया और फीफा रैंकिंग में 100 के अंदर पहुंचे। इसके अलावा सात साल बाद एशियन कप के लिए क्वालीफाई भी किया। भारतीय टीम अब हुंकार भरने लगी है और इसे जारी रखना होगा। इसके लिए टीम को एक बेहतरीन हेड कोच की जरूरत है।
एश्ले वेस्टवुड ने बेंगलुरु FC को मैनेज किया था और दो साल में क्लब को एक आईलीग और एक फेडरेशन कप जिताया था। वह भारतीय फुटबॉल को बेहतर तरीके से समझते हैं और अपने खिलाड़ियों का 100 प्रतिशत पिच पर निकलवाने का गुण रखते हैं। हालांकि बेंगलुरु के अलावा उन्होंने पेनांग FA और ISL क्लब ATK को मैनेज किया है लेकिन उनका रिकॉर्ड काफी खराब रहा था। वेस्टवुड ने किसी नेशनल टीम को मैनेज नहीं किया है।
भारतीय फुटबॉल टीम के लिए अलबर्ट रॉका आदर्श कोच साबित हो सकते थे लेकिन अभी कुछ दिनों पहले ही वह चीन अंडर-23 टीम के कोच बने हैं। रॉका ने बेंगलुरु FC को AFC कप के फाइनल में पहुंचाया था और उनके अंडर ISL में भी बेंगलुरु पहले सीजन में ही फाइनल तक पहुंची थी। वह बार्सिलोना के असिस्टेंट कोच भी रह चुके हैं और भारतीय फुटबॉल को इंटरनेशनल लेवल पर काफी आगे ले जाने की क्षमता रखते हैं।
भारतीय फुटबॉल में 18 साल की कोचिंग का अनुभव रखने वाले डेरिक परेरा नए खिलाड़ियों को तैयार करने के लिए जाने जाते हैं। ISL क्लब FC गोवा के टेक्निकल डॉयरेक्टर परेरा आईलीग सेकेंड डिवीजन में FC गोवा रिजर्व टीम को मैनेज कर रहे हैं। वह भारतीय फुटबॉल को काफी अच्छे से समझते हैं लेकिन उनके पास इंटरनेशनल लेवल पर कोचिंग करने का अनुभव नहीं है। हालांकि वह एक मजबूत टीम तैयार कर सकते हैं जो काफी आगे जा सकती है।
एंटोनी हे को उनके फुटबॉल के प्रति जुनून के लिए जाना जाता है और उन्हें आखिरी बार 2018 में AFF सुजुकी कप में म्यांमार को कोचिंग देते हुए देखा गया था। उस टूर्नामेंट में वह म्यांमार को सेमीफाइनल में पहुंचाकर इतिहास रचने से काफी करीबी अंतर से चूक गए थे। फिलहाल एंटोनी खाली हैं और वह भारतीय फुटबॉल टीम को नेशनल लेवल पर काफी आगे ले जा सकते हैं। यदि वह आते हैं तो भारतीय फैंस उन्हें जरूर पसंद करेंगे।
बाईचुंग भूटिया ने भारतीय फुटबॉल टीम के लिए इंटरनेशनल लेवल पर जो किया है वह शायद ही कोई कर पाएगा। उन्होंने लगभग एक दशक से ज़्यादा का समय भारतीय टीम की नीली जर्सी में बिताया है तो क्यों ना उन्हें एक बार फिर भारतीय टीम के साथ जोड़ा जाए। भूटिया के पास इंटरनेशनल लेवल से लेकर यूरोप तक का अनुभव है। वह खेल को और भारतीय खिलाड़ियों को अच्छे से समझते भी हैं।