#Exclusive: कोरोना वायरस से लड़ाई की कहानी, एक महीने में ठीक हुए वॉरियर की जुबानी
देश में कोरोना वायरस संक्रमितों की संख्या बढ़कर 1.5 लाख पहुंच गई है। इसी बीच राहत की बात यह भी है कि महामारी को हराकर घर लौटने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। ऐसे ही कोरोना वायरस से ठीक होकर घर लौटे एक शख्स से हमने बात की। हरियाणा में हिसार जिले के रहने वाले 29 वर्षीय संदीप छिंपा एक महीने तक अस्पताल में भर्ती रहे। उनके 10 टेस्ट हुए, जिनमें से छह की रिपोर्ट पॉजीटिव आई।
संक्रमण कैसे हुआ, इसका कुछ पता लगा?
न्यूजबाइट्स हिंदी से बात करते हुए संदीप ने बताया कि उनका दिल्ली में ट्रासंपोर्ट का काम है। वो अधिकतर समय अपने ऑफिस में रहते थे और सिर्फ जरूरी सामान लेने ही बाहर निकलते थे। उन्होंने कहा, "मुझे नहीं पता मैं कैसे संक्रमित हुआ। मैं कभी भीड़ वाली जगह नहीं गया। जिस ट्रक में सवार होकर मैं हिसार आया, उसके ड्राइवर का टेस्ट नेगेटिव आया था। रास्ते में हम दोनों ने एक ही थाली में खाना खाया था।"
संक्रमण की पुष्टि होने के बाद अस्पताल में किया गया भर्ती
संदीप ने बताया कि उन्होंने हिसार आने के बाद सरकारी अस्पताल में जांच करवाई थी। डॉक्टरों ने उनका COVID-19 टेस्ट किया और उन्हें क्वारंटाइन में रहने की सलाह दी। अगले दिन फिर डॉक्टरों ने उनको जांच के लिए बुलाया और टेस्ट किया। टेस्ट करने के बाद उनको घर भेज दिया गया। शाम तक उनकी रिपोर्ट आई, जिसमे उनके संक्रमित होने की पुष्टि हुई। उसके बाद उन्हें 25 अप्रैल को अस्पताल में भर्ती किया गया और 25 मई को छुट्टी मिली।
दोबारा टेस्ट के बाद संदीप को भेज दिया गया घर
हमने संदीप से पूछा कि जब डॉक्टरों को उनके संक्रमित होने का शक था तो टेस्ट के बाद उन्हें घर क्यों भेजा? संदीप ने कहा, "भर्ती करने की बजाय डॉक्टरों ने मुझे घर भेज दिया। अगर उनको लगता है कि कोई व्यक्ति संक्रमित हो सकता है तो उन्हें अस्पताल में भर्ती करना चाहिए। यहां शायद डॉक्टरों से गलती हुई।" संदीप को अग्रोहा मेडिकल कॉलेज, हिसार में भर्ती किया गया था और उनके परिवार वालों को भी क्वारंटाइन किया गया था।
संक्रमण की पुष्टि के बाद क्या प्रतिक्रिया रही?
संदीप से हमने पूछा कि जब टेस्ट की रिपोर्ट आई तो क्या उन्हें डर लगा? इसके जवाब में उन्होंने कहा, "मेरे अंदर कोई लक्षण नहीं थे, इसलिए कोई डर नहीं लगा। फिर डॉक्टरों ने मेरा हौंसला बढ़ा दिया कि कई बार गड़बड़ी की वजह से भी गलत रिपोर्ट आ जाती है। दोबारा सैंपल लेंगे तो ठीक रिपोर्ट आएगी, लेकिन जब क्वारंटाइन के लिए घरवालों को एंबुलेंस में लेकर गए तो मैं थोड़ा घबरा गया था।"
घरवालों को कैसे समझाया?
संदीप ने बताया, "मैंने घरवालों को हौसला दिया कि डरने की जरूरत नहीं है। मैं अलग कमरे में रहा था तो किसी के संपर्क में नहीं आया। मैंने घरवालों को बोला कि आपको संक्रमण नहीं होगा। थोड़े दिन में घर वापस आ जाओगे।"
अस्पताल में इलाज कैसे शुरू हुआ?
संदीप ने बताया कि अस्पताल में भर्ती होने के बाद भी उनमें कोई लक्षण नहीं थे। इस वजह से डॉक्टरों ने उनको कोई दवा नहीं दी। इससे संदीप को लगा कि उनका इलाज नहीं किया जा रहा है, जिसके बाद उन्होंने डॉक्टरों से इस बारे में बात की। डॉक्टरों ने संदीप को बताया कि लक्षण दिखने के बाद ही उन्हें दवा दी जाएगी, तब तक उन्हें आराम करना चाहिए। इसके बाद उन्हें एक-दो दवाएं दी जाने लगीं।
अस्पताल में देखभाल के इंतजाम पर ये बोले संदीप
संदीप ने बताया कि अस्पातल में देखभाल के लिए पर्याप्त इंतजाम थे। दिन में तीन बार कमरों को सैनिटाइज किया जाता था। सुबह-शाम डॉक्टर आकर सेहत की जानकारी लेते थे। दिन में कई बार नर्सें आकर जांच करती थीं। संदीप ने कहा, "डॉक्टर और नर्सों ने मुझे बहुत सहयोग किया। वो दिन-रात इतनी गर्मी में PPE सूट पहने काम कर रहे हैं, जबकि वो सूट पहनने पर थोड़ी ही देर में पसीना आ जाता है।"
अस्पताल में कैसे काटे दिन?
संदीप ने कहा, "मैं अस्पताल में खुद को फिट रखने के लिए मैं अनुलोम-विलोम, कपालभाति आदि करता था। जब मैं गया तो वहां कोई अन्य मरीज नहीं था। बाद में दूसरे मरीज आए तो हम पर्याप्त दूरी बरतते हुए एक-दूसरे से बात करते रहते थे।"
छह टेस्ट की रिपोर्ट आईं पॉजीटिव
संदीप ने बताया कि एक महीने अस्पताल में रहने के कारण उनके परिजन थोड़ा घबरा गए थे, लेकिन अच्छी बात यह रही कि उनके परिवार या उनके करीबी लोगों तक संक्रमण नहीं पहुंचा था। संदीप ने बताया, "इस दौरान मेरी तीन रिपोर्ट पॉजीटिव आ गई थी। चौथी-पांचवी नेगेटिव आई, लेकिन जब छुट्टी मिलने वाली थी तो छठी रिपोर्ट फिर पॉजीटिव आ गई। फिर सातवीं और आठवीं रिपोर्ट भी पॉजीटिव आई। नौंवी और दसवीं रिपोर्ट नेगेटिव आने पर मुझे छुट्टी मिली।"
संदीप के बाद भर्ती हुए कई मरीजों को पहले मिली छुट्टी
संदीप ने कहा कि अस्पताल में रहने के दौरान कई मरीज उनके बाद भर्ती हुए और उनसे पहले ठीक होकर घर चले गए। जब हमने उनसे पूछा कि इस सब के बीच उन्होंने खुद को मजबूत कैसे रखा? इस पर संदीप ने कहा, "मजबूत रखने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था। मैं कमजोर पड़ जाता तो परिवार वाले और घबरा जाते। मेरी पत्नी प्रेग्नेंट हैं। दूसरी बात ये कि मुझमें कोई लक्षण नहीं था।"
"घबराने की नहीं, सावधानी बरतने की जरूरत"
संदीप ने कहा कि COVID-19 एक महामारी है। इससे सावधान रहने की जरूरत है, घबराने की नहीं। जो लोग लंबे समय से बीमार हैं, बुजुर्ग हैं और गर्भवती महिलाएं हैं, उन्हें अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है। लोगों को खानपान और कसरत पर ध्यान देना चाहिए, साफ-सफाई का विशेष ख्याल रखना चाहिए और नकारात्मक न सोचें। नकारात्मक सोचने से आदमी ज्यादा बीमार होता है। अंत में उन्होंने कहा, "बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है। इंडिया जीतेगा कोरोना हारेगा।"