आई-लीग: भारत के टॉप फ्लाइट फुटबॉल लीग के इंट्रेस्टिंग फैक्ट जिन्हें आप जरूर जानना चाहेंगे
पहले नेशनल फुटबॉल लीग (NFL) के रूप में जानी जाने वाली आई-लीग 1996-97 से भारत की टॉप-फ्लाइट फुटबॉल लीग है। टूर्नामेंट के इतिहास में गर्व के कई लम्हें भरे हैं। भारतीय फुटबॉल को बेहतर बनाने की कोशिश करने वालों के आंसू और पसीने भी इसमें लगे हुए हैं। हालांकि इसको बेहद कम कवरेज मिलती है और यही कारण है कि इसकी बेहद कम जानकारी ही आम लोगों तक पहुंच पाती है। आइए आपको बताते हैं आई-लीग के कुछ इंट्रेस्टिंग फैक्ट।
टूर्नामेंट का इतिहास
फिलहाल आई-लीग 1937 में भारत में फुटबॉल को बेहतर खेल बनाने कि लिए स्थापित किए गए ऑल इंडिया फुटबॉल फेडरेशन (AIFF) के अंडर है। हालांकि इससे पहले टूर्नामेंट इंडियन फुटबॉल एसोसिएशन के अंडर थी जो कि केवल वेस्ट बंगाल तक ही सीमित है। NFL की लोकप्रियता में काफी गिरावट देखने को मिली जिसकी वजह से 2007-08 में इसे आई-लीग नाम से दोबारा लॉन्च किया गया। JCT क्लब NFL की पहली चैंपियन थी।
आई-लीग के कुछ इंट्रेस्टिंग फैक्ट
2007-08 सीजन में शुरु किए आई-लीग टूर्नामेंट में देश की टॉप-11 टीमें भिड़ती हैं। डेम्पो स्पोर्ट्स क्लब ने आई-लीग का पहला सीजन जीता था। इसके अलावा डेम्पो के नाम सबसे ज़्यादा पांच बार आई-लीग जीतने का रिकॉर्ड भी दर्ज है। आई-लीग के एक सीजन में सबसे ज़्यादा गोल दागने का रिकॉर्ड रैंटी मार्टिंस के नाम है। उन्होंने एक सीजन में ही 32 गोल दागे थे।
इंटरनेशनल कम्प्टीशन में आई-लीग क्लब्स
आई-लीग जीतने वाली टीम को एशिया के सबसे बड़े क्लब कम्प्टीशन AFC चैंपियन्स लीग के क्वालीफाइंड स्टेज में हिस्सा लेने का मौका मिलता है। हालांकि कुछ क्लबों ने UEFA यूरोपा लीग के समकक्ष लीग AFC कप में भी हिस्सा लिया है। डेम्पो और ईस्ट बंगाल ने AFC कप के सेमीफाइनल तक का सफर तय किया है। 2016 में बेंगलुरु FC ने AFC कप का फाइनल खेला था जिसमें उन्हें इराकी क्लब अल-कुवा अल-जाविया के खिलाफ हार झेलनी पड़ी थी।
टूर्नामेंट को हमेशा समस्याओं का सामना करना पड़ा
आई-लीग के साथ हमेशा वित्तीय समस्याएं रही हैं। कई सफल क्लबों को अपना क्लब चलाने के लिए उचित वित्तीय मदद नहीं मिलने की वजह से बंद होना पड़ा। JCT, चिराग यूनाइटेड और महिंद्रा यूनाइटेड जैसी टीमों को वित्तीय समस्या से जूझने की वजह से ही बंद होना पड़ा था। ऐसा इसलिए होता है क्योंक टीमों को उनके व्यापार ने बेहद कम कमाई मिलती है और टेलीविजन का पूरा रेवेन्यू सीधा AIFF की जेब में जाता है।
आई-लीग में दिए जाने वाले अवार्ड
सीजन के अंत में आई-लीग अपने बेस्ट टैलेंट को सम्मानित करती है। अवार्ड के लिए साल का बेस्ट विदेशी और भारतीय खिलाड़ी, साल का बेस्ट युवा खिलाड़ी और साल के बेस्ट फैंस हेड कोच और खिलाड़ी को चुना जाता है। आई-लीग जीतने वाली टीम को एक करोड़ रूपए की धनराशि दी जाती है। दूसरे स्थान पर रहने वाली टीम को Rs 60 लाख और तीसरे स्थान पर रहने वाली टीम को Rs 40 लाख की धनराशि दी जाती है।
आई-लीग हीरो रह चुके हैं भारत के महान फुटबॉलर्स
भले ही आज के समय में भारत के बड़े टैलेंट इंडियन सुपर लीग (ISL) में खेलने का निर्णय लेते हैं लेकिन पहले ऐसा नहीं था। बाईचुंग भूटिया, सुनील छेत्री और गुरप्रीत सिंह संधू जैसे भारत के शानदार फुटबॉलर्स आई-लीग में खेल चुके हैं और टूर्नामेंट के हीरो रह चुके हैं। छेत्री आई-लीग में 93 गोल्स के साथ सबसे ज़्यादा गोल दागने वाले भारतीय खिलाड़ी हैं तो वहीं उनके साथी भूटिया 89 गोल्स के साथ दूसरे नंबर पर हैं।