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    #NewsBytesExclusive: पोस्ट कोविड इफेक्ट को कितनी गंभीरता से लेने की जरूरत? जानिए विशेषज्ञ की राय

    #NewsBytesExclusive: पोस्ट कोविड इफेक्ट को कितनी गंभीरता से लेने की जरूरत? जानिए विशेषज्ञ की राय
    लेखन चंद्रशेखर कुमार
    Sep 29, 2021, 10:32 am 1 मिनट में पढ़ें
    #NewsBytesExclusive: पोस्ट कोविड इफेक्ट को कितनी गंभीरता से लेने की जरूरत? जानिए विशेषज्ञ की राय
    डॉक्टर डीके झा (असोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन, रिम्स, रांची)

    अधिकांश लोगों में कोरोना वायरस के संक्रमण के हल्के लक्षण पाए गए हैं। कोरोना से रिकवर होने के बाद भी कई मरीजों में इसके लक्षण दिखते हैं। इसे ही पोस्ट कोविड या लॉन्ग टर्म कोविड इफेक्ट कहा जाता है। आमतौर पर बुजुर्गों और पुरानी बीमारियों से पीड़ित लोगों में पोस्ट कोविड के लक्षण देखने को मिले हैं। इसके बारे में हमने डॉक्टर डीके झा (असोसिएट प्रोफेसर, डिपार्टमेंट ऑफ मेडिसिन, रिम्स, रांची) से बात की, जानिए उन्होंने क्या कुछ कहा।

    कोरोना से रिकवरी के बाद क्या लक्षण दिख सकते हैं?

    कोरोना वायरस का टेस्ट निगेटिव आने के बाद भी यदि किसी व्यक्ति में असामान्य लक्षण पाए जाते हैं, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को सांस लेने में परेशानी, तेज बुखार, छाती में दर्द, अत्यधिक कमजोरी, बाल झड़ना, मांसपेशियों में दर्द, नींद में परेशानी, सिरदर्द, याददाश्त कमजोर होना, त्वचा पर रैशेज पड़ना और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हों, तो उन्हें अलर्ट हो जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में मरीज को किसी चिकित्सक से परामर्श लेना चाहिए।

    आंकड़े देते हैं हमें अलर्ट

    अक्टूबर, 2020 में यूनाइडेट किंगडम स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ रिसर्च (NIHR) के आंकड़े हमें आगाह करते हैं। NIHR द्वारा किए गए शोध में बताया गया था कि 10-20 फीसदी लोगों में रिकवरी के एक महीने बाद भी कोरोना के लक्षण पाए गए हैं। वहीं 11 से 17 साल के कोरोना संक्रमित हो चुके लोगों पर किए गए शोध में 15 महीनों बाद भी 14 फीसदी लोगों में लक्षण देखे गए हैं।

    दिल के मरीजों के लिए घातक है पोस्ट कोविड इफेक्ट

    डॉक्टर झा ने हमें बताया कि सामान्यत: कोरोना से ठीक हुए लोगों में हृदय से संबंधित जटिलताएं बढ़ जाती हैं। यह संक्रमण हृदय से संबंधित मांसपेशियों पर अटैक करता है, जिससे भविष्य में हार्ट फेल्योर या दिल से संबंधित रोगों का जोखिम बढ़ जाता है। केवल गंभीर ही नहीं, बल्कि मामूली लक्षण वाले मरीजों में भी इसका खतरा बना रहता है। यह संक्रमण हृदय के पूरे फंक्शन को प्रभावित करता है। खासतौर पर बुजुर्गों को एहतियात बरतने की जरूरत है।

    फेफड़े की कार्यक्षमता भी होती है प्रभावित

    कोरोना पूरे शरीर को प्रभावित करता है। इसका असर हमारी श्वसन प्रणाली पर भी पड़ता है। डॉक्टर झा के अनुसार, जो लोग पुरानी बीमारियों या फेफड़े से संबंधित रोगों से ग्रसित हैं, उनपर पोस्ट कोविड इफेक्ट का जोखिम बढ़ जाता है। निमोनिया और डीप वेन थ्रोम्बोसिस के कारण फेफड़ों में सूजन आती है। इसके कारण सांस लेने में दिक्कत होने लगती है। उन्होंने कहा कि ऐसे में कोई भी मरीज खुद से पुरानी दवाइयां लेने की भूल ना करे।

    मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानी की न करें अनदेखी

    कोरोना से रिकवरी के महीनों बाद कई मरीजों में अवसाद के लक्षण पाए गए हैं। जिनमें पहले मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियां नहीं थीं, उनका मेंटल हेल्थ भी खराब हुआ है। कई लोगों में एंग्जाइटी, डिप्रेशन और पैनिक अटैक के लक्षण पाए गए हैं। डॉक्टर झा ने हमें बताया कि जिस तरह की परेशानी या लक्षण दिखे, उसी प्रकार के डॉक्टर या विशेषज्ञ से इलाज करवाना चाहिए। मेंटल हेल्थ संबंधी परेशानियों के लिए किसी अच्छे मनोचिकित्सक से परामर्श जरूर लें।

    मानसिक स्वास्थ्य संबंधी रोगों का उपचार

    डॉक्टर झा कहते हैं कि मानसिक स्वास्थ्य के मरीजों को काउंसलिंग की मदद से उबरने में मदद मिलती है। यदि डिप्रेशन की समस्या बढ़ती है, तो मरीज को मूड-एलिवेटर और एंटी-डिप्रेशन की दवाइयां दी जाती हैं। परिवार के लोग ऐसे मरीजों की विशेष देखभाल करें।

    पोस्ट कोविड होने पर कौन सी जांच कराएं?

    जांच के बारे में डॉक्टर झा कहते हैं कि पोस्ट कोविड इफेक्ट होने पर डॉक्टर लक्षणों के आधार पर मरीज की जांच करते हैं। सीटी स्कैन, एक्स-रे और अन्य शारीरिक जांच की जाती हैं। मरीज के फूंकने की क्षमता भी परखी जाती है। हार्ट के फंक्शन का पता लगाने के लिए इको और थकावट के लिए हिमोग्लोबिन टेस्ट की जाती है। शरीर में ब्लड प्रेशर लेवल, शुगर लेवल, ऑक्सीजन लेवल और शरीर के तापमान की रीडिंग भी ली जाती है।

    क्या पोस्ट कोविड के मरीज सामान्य जिंदगी जी सकते हैं?

    डॉक्टर झा के अनुसार, ऐसा नहीं है कि पोस्ट कोविड इफेक्ट होने के बाद सभी मरीजों की जिंदगी खराब हो जाती है। अधिकांश लोग इससे ठीक होकर सामान्य जिंदगी जीने लगते हैं। कुछ लोगों में रिकवरी के कुछ सप्ताह या महीनों बाद इसके लक्षण दिखाई देते हैं। वहीं, कुछ मरीजों को अस्पताल में भी भर्ती होने की जरूरत नहीं पड़ती है। जिन मरीजों में पोस्ट कोविड के हल्के लक्षण पाए गए हैं, वे आसानी से रिकवर कर जाते हैं।

    रिकवरी के बाद भी फॉलो-अप है सबसे जरूरी

    डॉक्टर झा ने कहा कि कई मरीज कोरोना संक्रमण से रिकवर होने के बाद अपने स्वास्थ्य का फॉलो-अप नहीं करते हैं। किसी भी तरह के पोस्ट कोविड लक्षण होने पर उसकी अनदेखी करने से परेशानी गंभीर हो जाती है। इस महामारी में फोन और वीडियो कॉलिंग के द्वारा भी अपने डॉक्टर से नियमित सलाह लेते रहें। एक महीने या दो महीने में अपने बॉडी की पूरी जांच कराएं, ताकि खतरे को पहले से टाला जा सके।

    लाइफस्टाइल में बदलाव करके करें बचाव

    डॉक्टर झा कहते हैं कि कोरोना से ठीक होने के बाद लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। उनका लाइफस्टाइल भी खराब हो जाता है। ऐसे में पौष्टिक और संतुलित भोजन लें। डाइट में फल और सब्जियों को शामिल करें। शरीर को हाइड्रेटेड रखने के लिए नियमित पानी पीएं। विशेषज्ञ से सलाह लेने के बाद रोजाना 20-30 मिनट एक्सरसाइज करें। पर्याप्त नींद लें और आराम करें। तनाव को अपने मन-मस्तिष्क पर हावी ना होने दें।

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