#NewsBytesExclusive: कोविड-19 ने बदलीं भारतीय कंप्यूटर यूजर्स की जरूरतें- जिंक फाउंडर अर्नव
भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ रहे कंप्यूटर और IT मार्केट्स में शामिल है और पिछले दो साल में इसने कोविड-19 लॉकडाउन जैसी चुनौतियों का सामना किया है। कोविड-19 महामारी के चलते लोगों ने घरों में ज्यादा वक्त बिताना शुरू किया और 'वर्क फ्रॉम होम' से लेकर ऑनलाइन क्लासेज जैसी जरूरतों के चलते IT प्रोडक्ट्स की मांग बढ़ी। न्यूजबाइट्स ने जिंक (ZinQ) टेक्नोलॉजीस फाउंडर अर्नव मुतनेजा से बात की और मार्केट में आए बदलावों को समझने की कोशिश की।
अचानक बढ़ गई कई प्रोडक्ट्स की बिक्री
अर्नव ने बताया कि पिछले एक-डेढ़ साल में मार्केट में बढ़त दर्ज की गई है, लेकिन प्रोडक्ट कैटेगरीज में बदलाव भी देखने को मिले हैं। उन्होंने कहा, "हमारी कंपनी को कई IT प्रोडक्ट्स बिकने की उम्मीद कम थी, लेकिन अचानक उनकी मांग बढ़ गई। घरों में डेस्कटॉप सेटअप से आने वाले यूजर्स इसके लिए जिम्मेदार रहे।" उन्होंने कहा, "इनपुट डिवाइसेज और लैपटॉप कूलिंग पैड्स की बिक्री इसलिए बढ़ी क्योंकि लोग अपना 'वर्क फ्रॉम होम सेटअप' तैयार कर रहे थे।"
शुरू में मार्केट को समझने में लगा वक्त
जिंक टेक्नोलॉजीस फाउंडर ने बताया कि कोविड-19 की शुरुआत के साथ मार्केट में आए बदलाव को समझने में वक्त लगा। उन्होंने कहा, "शुरुआत में नए प्रोडक्ट्स की बढ़ी मांग के चलते प्लानिंग चुनौती बनी क्योंकि इनवेंटरी के लिए सही प्रोडक्ट्स ऑर्डर करना जरूरी था। हालांकि, इसे समझने में ज्यादा वक्त नहीं लगा और हमने नए ट्रेंड्स के हिसाब से अपना प्रोडक्ट पोर्टफोलियो तैयार किया।" अर्नव ने बताया कि कंपनी का फोकस मोबाइल एक्सेसरीज के बजाय IT प्रोडक्ट्स पर आ गया।
सामान्य ब्रैंड्स के लिए छोटा हुआ एक्सेरीज मार्केट
ज्यादातर स्मार्टफोन कंपनियां अपने डिवाइसेज की फास्ट चार्जिंग टेक्नोलॉजी से जुड़े चार्जर उनके साथ देती हैं। इसके अलावा बाकी मोबाइल एक्सेसरीज भी लेकर आ रही हैं। अर्नव ने कहा, "शुरू में हमारा फोकस मोबाइल एक्सेसरीज पर रहा, लेकिन इनकी तुलना में IT प्रोडक्ट्स ज्यादा बिके।" उनके मुताबिक, "यूजर्स उसी ब्रैंड की एक्सेसरीज इस्तेमाल करना चाहते हैं, जिसका स्मार्टफोन इस्तेमाल कर रहे हैं। ऐसे में बाकी ब्रैंड्स के लिए एक्सेसरीज मार्केट अब सामान्य नहीं रह गया है।"
इन प्रोडक्ट्स की बिक्री में दिखी बढ़त
कोविड-19 महामारी के दौर में वेब कैमरा, कीबोर्ड-माउस जैसे इनपुट डिवाइसेज और लैपटॉप कूलिंग पैड की सेल ज्यादा होने की बात अर्नव ने कही। उन्होंने बताया कि वाई-फाई राउटर्स जैसे डिवाइसेज को पावर बैकअप देने वाले राउटर UPS को भी ढेरों लोगों ने खरीदा।
भारत में बढ़ी प्रोडक्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग
अपने टेक ब्रैंड का उदाहरण देते हुए अर्नव ने कहा, "जब हमने 2019 में शुरुआत की तो लगभग पूरी तरह आयात पर निर्भर थे, लेकिन अब हमारी लगभग 90 प्रतिशत प्रोडक्ट मैन्युफैक्चरिंग भारत में ही हो रही है।" प्रोडक्ट्स की क्वॉलिटी से जुड़े सवाल पर उन्होंने बताया कि चीन या दूसरे देशों से आने वाले कंपोनेंट्स को कई क्वॉलिटी चेक्स से गुजरना होता है और कंपनियां अपनी डाटाशीट के हिसाब से अलग-अलग कीमत वाले कंपोनंट्स चुनती हैं।
चाइनीज ब्रैंड्स का मार्केट शेयर ज्यादा क्यों?
चाइनीज ब्रैंड्स के भारतीय मार्केट में बड़े शेयर पर अर्नव ने कहा, "चीन मौजूदा इकोसिस्टम के साथ एक ग्लोबल फैक्ट्री की तरह है, जो एक प्रोडक्ट बनाकर दुनियाभर में उसके लाखों यूनिट्स बेचती है। वहीं, भारत में किसी मैन्युफैक्चरर को अपना प्रोडक्ट ब्रैंड एक्सक्लूसिव रखना होता है।" उन्होंने कहा, "भारतीय मैन्युफैक्चरर्स सीमित संख्या में प्रोडक्ट्स बनाते हैं और उनसे मिलने वाला प्रॉफिट बढ़ाने के लिए उन्हें कीमत ज्यादा रखनी पड़ती है। प्रोडक्शन ज्यादा हो तो कीमत कम की जा सकेगी।"
भारत में इकोसिस्टम तैयार करना जरूरी
अर्नव मानते हैं कि भारतीय मैन्युफैक्चरर्स को देश में एक इकोसिस्टम तैयार करने की जरूरत है, जिसके लिए सरकार का सहयोग भी लेना होगा। उन्होंने कहा, "सरकार भारत में मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी कई योजनाएं भी लेकर आई है, जिनमें सेल्स और मैन्युफैक्चरिंग प्रोग्राम्स शामिल हैं। अगले पांच से सात साल में भारत ऐसी स्थिति में पहुंच सकता है, जहां कीमत के मामले में स्थानीय और चाइनीज मैन्युफैक्चरर्स एक-दूसरे को टक्कर देंगे।"
ब्रैंड्स को बनानी चाहिए अपनी पहचान
मार्केट में ढेरों विकल्प मौजूद हैं और ऐसे में अर्नव ने भारतीय ब्रैंड्स को पहले अपनी पहचान बनाने की सलाह दी है। अर्नव ने कहा, "किसी भी नए ब्रैंड को ऐसे फ्लैगशिप प्रोडक्ट के साथ मार्केट में कदम रखना चाहिए, जो उसकी पहचान बने। खुद को मौजूदा विकल्पों से अलग दिखाने के बजाय अगर बेसिक प्रोडक्ट के साथ कदम रखा जाए तो बड़े ब्रैंड्स को टक्कर नहीं दी जा सकेगी, इसलिए बाकियों से अलग पहचान बनाना जरूरी है।"