'जरा हटके जरा बचके' रिव्यू: पटरी से उतरी फिल्म को विक्की कौशल भी नहीं बचा पाए
विक्की कौशल और सारा अली खान बीते कुछ दिनों से अपनी फिल्म 'जरा हटके जरा बचके' का प्रमोशन कर रहे थे। वे अलग-अलग शहरों में फिल्म का प्रमोशन करते दिखे। निर्देशक लक्ष्मण उतेकर की यह फिल्म लंबे समय से चर्चा में थी। 2 जून को फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। फिल्म के गाने सोशल मीडिया पर छाए हुए हैं। क्या गानों की ही तरह फिल्म भी कमाल कर पाई है? आगे जानिए।
मिडिल क्लास कपल और उसके सपनों का घर
यह इंदौर में रहने वाले एक मिडिल क्लास कपल, कपिल और सौम्या की कहानी है। बड़ा परिवार और छोटा घर होने के कारण दोनों को निजी समय नहीं मिल पाता है। ऐसे में सौम्या शहर में अपना घर चाहती है। सरकारी आवास योजना का लाभ लेने के लिए कपल योग्य नहीं है, इसलिए आवेदन के लिए दोनों कागजी तौर पर तलाक लेते हैं। झूठा तलाक, घर खरीदने का संघर्ष और संयुक्त परिवार के ताने-बाने की कहानी है यह फिल्म।
बेकार लेखन ने बर्बाद किया अच्छा प्लॉट
फिल्म में हंसते-हंसाते एक अच्छा संदेश देने की कोशिश दिखाई देती है, लेकिन यह कोशिश बुरी तरह असफल रही है। कॉमेडी के नाम पर बेकार पंचलाइन, फिजूल के किरदार और उनकी ओवरएक्टिंग हंसाने की बजाए सिर पीटने पर मजबूर करते हैं। फिल्म के कच्चे लेखन ने एक अच्छे प्लॉट को बर्बाद कर दिया। रिश्तों और युवा जोड़े के सपनों की जिस भावना के साथ फिल्म शुरू होती है, वह कुछ देर में ही छू मंतर हो जाती है।
इधर से उधर लुढ़कती रहती है फिल्म
घर खरीदने को केंद्र में रखकर निर्देशक ने इसमें कई सामाजिक संघर्ष को दिखाना चाहा है, लेकिन वे इन कड़ियों को आपस में जोड़ने में कामयाब नहीं रहते हैं। फिल्म कॉमेडी से आर्थिक संघर्ष, संघर्ष से रोमांस, रोमांस से पारिवारिक ड्रामा, परिवार से सरकारी घपलेबाजी पर बिना किसी ठोस कड़ी के लुढ़कती रहती है। ऐसे में दर्शक भी खुद से पूछने लगेंगे कि आखिर वे देख क्या रहे हैं।
सारा के अभिनय ने और कमजोर कर दी फिल्म
फिल्म का स्क्रीनप्ले जहां पहले से ही कमजोर है, उसकी बची हुई जान सारा के अभिनय ने निकाल दी। कई जगह उनके खराब अभिनय के कारण दृश्य अपनी कॉमेडी से चूक गए। वहीं भावुक दृश्यों में उनका अभिनय देखकर हंसी छूट जाती है। ऐसा लगता है सारा कैमरे पर नहीं, स्कूल के किसी प्ले में अभिनय कर रही हैं। उनका हंसना, चिल्लाना, रोना कुछ भी दर्शकों तक नहीं पहुंच पाता है।
फिर खराब स्क्रिप्ट का शिकार हुए विक्की
विक्की एक मंझे हुए अभिनेता हैं, लेकिन उनके हाथ में एक बचकानी स्क्रिप्ट पकड़ा दी जाए, तो वह अकेले फिल्म को कितना संभालते? वह आर्थिक रूप से परेशान, पत्नी से दूर और फ्रॉड के शिकार व्यक्ति के रूप में अच्छा अभिनय कर रहे होते हैं कि बेतुकी कॉमेडी के नाम पर कभी उनके नकली दांत लगा दिए जाते हैं, तो कभी मुंह में शैंपू पोत दिया जाता है। अब आप दृश्य पर हंसेंगे या इस दमदार कलाकार पर तरस खाएंगे?
बेहतरीन लगे शारिब हाशमी
फिल्म में शारिब हाशमी का किरदार मीठी खीर का काम करता है। फिल्म में वह एक चौकीदार की भूमिका में हैं। एक उनका ही किरदार है, जिसमें कॉमेडी और इमोशन नपी-तुली मात्रा में है।
इन वजहों से बची फिल्म की जान
तमाम खामियों के बाद भी अगर दर्शक सिनेमाहॉल में टिके होते हैं, तो उसकी वजह हैं फिल्म के गाने। अमिताभ भट्टाचार्य का लेख, सचिन-जिगर का संगीत और अरिजीत सिंह, शिल्पा राव जैसे गायकों के गाने आपको फिल्म से बांधकर रखते हैं। बैकग्राउंड म्यूजिक ने भी फिल्म की जान बनाए रखी है। इसके अलावा फिल्म अंत में एक खूबसूरत संदेश देती है, जो दिल छूने वाला है। विक्की और शारिब को पर्दे पर देखना भी अच्छा लगता है।
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- इस फिल्म को देखने की एकमात्र वजह विक्की कौशल ही हैं। अगर आप उनके प्रशंसक हैं, तो इस फिल्म पर पैसे खर्च किए जा सकते हैं। उनके अलावा इस फिल्म में कुछ नहीं है। क्यों न देखें?- अगर आपके पास फालतू का समय और फालतू के पैसे नहीं हैं, तो इस फिल्म से "जरा हटके, जरा बचके" ही रहें। न्यूजबाइट्स स्टार- 1/5