'ऊंचाई' रिव्यू: बड़जात्या की टिपिकल ड्रामा फिल्म बनकर रह गई एक अच्छी कहानी
सूरज बड़जात्या की नई फिल्म 'ऊंचाई' का उनके प्रशंसक इंतजार कर रहे थे। लंबे समय बाद राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म सिनेमाघरों में आई है। फिल्म में अमिताभ बच्चन, अनुपम खेर और बोमन ईरानी मुख्य भूमिका में हैं। इनके अलावा फिल्म में डैनी डेनजोंगपा, नीना गुप्ता, परिणीति चोपड़ा और सारिका ठाकुर भी हैं। ट्रेलर देखकर ही अनुमान था कि फिल्म बड़जात्या की अन्य फिल्मों की तरह बड़ी स्टारकास्ट और गीत-संगीत से भरी है। आइए, विस्तार से जानते हैं कैसी है 'ऊंचाई'।
क्या एवरेस्ट बेसकैंप की ट्रेकिंग पूरी कर पाएंगे तीन बुजुर्ग दोस्त?
फिल्म की कहानी तीन दोस्त, अमित (अमिताभ), ओम (अनुपम) और जावेद (बोमन) की है जो अपने दिवंगत दोस्त भुपेन (डैनी) की अस्थियां लेकर एवरेस्ट बेसकैंप पहुंचना चाहते हैं। अमित इस फैसले को लेकर दृढ़ है जबकि ओम इसको लेकर बेहद सशंकित। जावेद को भी यह फैसला प्रैक्टिकल नहीं लगता। खैर, तीनों पूरी तैयारी करके इस सफर पर निकलते हैं। इनके इस सफर के साथ ही फिल्म दोस्ती, रिश्तेदारी, प्यार और परिवार की गहराइयों को भी छूती चलती है।
सहज और सरल दिखे सभी कलाकार
अमिताभ, अनुपम और बमन तीनों ही दिग्गज अभिनेता हैं। अनुपम का बड़जात्या के साथ पुराना नाता है और यह सहजता पर्दे पर भी नजर आती है। अमिताभ भी इससे पहले इस तरह का किरदार '102 नॉट आउट' और 'पीकू' में निभा चुके हैं। यहां भी उनके अभिनय में वही सरलता है। बमन और नीना गुप्ता की केमिस्ट्री काफी दिलचस्प लगती है। इन सभी दिग्गज कलाकारों के सामने परिणीति चोपड़ा का अभिनय बहुत फीका पड़ गया।
फिर दिखा बड़जात्या का पुराना अंदाज
'ऊंचाई' बड़जात्या की फिल्मों का आधुनिक संस्करण है। उनकी फिल्मों के केंद्र में हमेशा एक बड़ा परिवार और उनके बीच के रिश्ते रहे हैं। इस फिल्म में भी परिवार की वही भव्यता है, लेकिन ये परिवार दोस्तों के रूप में है। ट्रिप प्लान करते हुए इनके बीच की रार-तकरार, घरवालों की प्रतिक्रिया और एक-दूसरे का कभी साथ न छोड़ने की भावना फिल्म के प्लॉट को खूबसूरत बनाते हैं। एक फैमिली ट्रिप की छोटी-छोटी झलकियां इसे दर्शकों से बखूबी जोड़ती हैं।
गीत और संगीत हैं 'ऊंचाई' की गहराई
फिल्म का सबसे मजबूत तत्व संगीत है। फिल्म में दृश्यों और संवादों से ज्यादा इसका बैकग्राउंड स्कोर कहानी कहता है। दोस्तों के बीच की शरारतें, पति-पत्नी की तकरार, कॉमेडी और पहाड़ चढ़ने का दृढ़ निश्चय, फिल्म का संगीत ये सारे तत्व दर्शकों तक भरपूर पहुंचाता है। इरशाद कामिल के लिखे हुए गीत 'ऊंचाई' को गहराई तक ले गए। फिल्म में उनके गाने शालीन, मधुर और गहरे हैं। फिल्म के संवाद भी चुपके से गहरी बातें कहते हैं।
अच्छे प्लॉट के बावजूद क्यों ढीली रह गई फिल्म?
दो घंटे 53 मिनट की इस फिल्म में तीनों मुख्य किरदारों की अपनी निजी समस्याएं और उलझे हुए रिश्ते भी हैं। इन दोस्तों की जिंदादिली और दोस्ती से हटकर कहानी कभी दो पीढ़ियों के टकराव पर पहुंच जाती है, तो कभी भाइयों के झगड़े पर। हर किरदार अपने मन में एक बोझ लिए घूम रहा है। इन चीजों को स्क्रिप्ट में ज्यादा जगह दी गई है जिससे यह लंबी फिल्म कई दर्शकों के लिए बोझ बन गई।
जोश के साथ शुरू हुई फिल्म आखिर में फीकी रह गई
एवरेस्ट बेसकैंप तक ट्रेकिंग, यह अपने आप में ऐसा विषय है जिसे सुनकर ही किसी में भी जोश भर जाए। फिल्म के संवाद इस जोश को बरकरार रखते हैं। ढलती उम्र के बावजूद ये तीनों दोस्त ट्रेकिंग के लिए पूरी तैयारी से निकलते हैं। ट्रेक पूरा होते-होते कहानी में इतने मोड़ आते हैं, क्लाइमैक्स इतना फिल्मी होता है कि जिस जोश के साथ फिल्म शुरू हुई थी, अंत में वह धरा का धरा रह जाता है।
फिल्म देखें या न देखें?
क्यों देखें?- तीनों मुख्य कलाकारों के प्रशंसकों को इस फिल्म को देखने की वजह ढूंढने की जरूरत नहीं है। रोडट्रिप वाली फिल्में पहले पसंद की हैं, तो यह फिल्म भी अच्छी लगेगी। पहाड़ों से प्यार है या ट्रेकिंग के शौकीन हैं तो यह फिल्म देख सकते हैं। क्यों न देखें?- सूरज बड़जात्या की टिपिकल भारी-भरकम फैमिली ड्रामा पसंद नहीं करते हैं, तो यह फिल्म आपको काफी लंबी और बोझिल लगेगी। न्यूजबाइट्स स्टार- 2.5/5
न्यूजबाइट्स प्लस
पहली बार राजश्री प्रोडक्शन की फिल्म का डिस्ट्रीब्यूशन यशराज फिल्म्स ने किया है। फिल्म को पहले सीमित सिनेमाघरों में ही रिलीज किया गया है। फिल्म की मांग बढ़ने पर सक्रीन्स बढ़ाए जाएंगे। 1994 की फिल्म 'हम आपके हैं कौन' इसी तर्ज पर रिलीज हुई थी।