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'छोरी' रिव्यू: हॉरर के मोर्चे पर कमजोर, लेकिन बांधे रखती है फिल्म
फिल्म ‘छोरी’ का रिव्यू

'छोरी' रिव्यू: हॉरर के मोर्चे पर कमजोर, लेकिन बांधे रखती है फिल्म

Nov 26, 2021
02:55 pm

क्या है खबर?

अभिनेत्री नुसरत भरूचा काफी समय से हॉरर फिल्म 'छोरी' को लेकर सुर्खियों में थीं। आज यानी 26 नवंबर को उनकी यह फिल्म अमेजन प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है। यह मराठी फिल्म 'लपाछपी' का हिंदी रीमेक है। विशाल फुरिया इस फिल्म के निर्देशक थे और हिंदी रीमेक के निर्देशन की कमान भी उन्होंने ही संभाली है। फिल्म में नुसरत के अलावा मीता वशिष्ट, राजेश जैस और सौरभ गोयल ने अहम भूमिका निभाई है। आइए जानते हैं कैसी है 'छोरी'।

कहानी

आठ माह की गर्भवती साक्षी से होती है फिल्म की शुरुआत

आठ महीने की गर्भवती नुसरत भरूचा उर्फ साक्षी अपने पति हेमंत (सौरभ गोयल) के साथ शादीशुदा जिंदगी का लुत्फ उठा रही होती है, लेकिन उनकी जिंदगी में यू टर्न तब आता है, जब स्थानीय दबंग चंदेल का लोन ना चुका पाने के कारण कुछ गुंडे घर में घुसकर हेमंत की धुनाई करते हैं। चंदेल के गुंडों से बचने के लिए हेमंत और साक्षी अपने ड्राइवर कजला (राजेश जैस) की सलाह पर 300 किलोमीटर दूर उसके गांव में छिप जाते हैं।

कहानी

साक्षी को गांव में महसूस होने लगती हैं अजीब घटनाएं

गांव पहुंचने के बाद कजला की पत्नी भन्नो देवी (मीता वशिष्ट) साक्षी की देखभाल का आश्वासन देती है। धीरे-धीरे साक्षी भी उसके साथ महफूज महसूस करने लगती है, लेकिन समय बीतने के साथ साक्षी को वहां कुछ अजीबो-गरीब घटनाओं का अहसास होने लगता है। बाद में भन्नो देवी का बिगड़ा व्यवहार भी उसे हैरान करता है। अब यह सब साक्षी का भ्रम है या सचमुच उस जगह पर भूतों का वास है, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।

अभिनय

नुसरत के संजीदा अभिनय ने जीता दिल

फिल्म में नुसरत का अभिनय देखने के बाद आप यही कहेंगे कि उनका काम काबिल-ए-तारीफ है। डर, हैरानी, मजबूती, उन्होंने हर भाव को चेहरे पर बखूबी उतारा है। अपने करियर के शुरुआती दौर में पर्दे पर ग्लैमर का तड़का लगाने वाली नुसरत अब यह साबित कर चुकी हैं कि वह फिल्मों में महज शोपीस नहीं, बल्कि उससे बढ़कर हैं। सशक्त महिला की भूमिका में उन्होंने 'छोरी' में बेहतरीन काम किया है और अपने अभिनय की एक अलग छाप छोड़ी है।

एक्टिंग

अन्य कलाकारों में मीता वशिष्ट ने किया प्रभावित

अभिनेत्री मीता वशिष्ट ने भी अदाकारी के मामले में नुसरत के कदम से कदम मिलाए हैं। उनके किरदार को इतने रूप दिए गए हैं कि आप धीरे-धीरे उनसे बंधते चले जाते हैं। मीता ने एक अच्छी और बुरी महिला की भूमिका के साथ पूरा इंसाफ किया है। नुसरत के बाद अगर किसी कलाकार अपने अभिनय से प्रभावित किया है तो वह मीता ही हैं। राजेश जैस, सौरभ गोयल, पल्लवी अजय और यानीना भारद्वाज भी अपने-अपने किरदार में ठीक लगे हैं।

निर्देशन

औसत रहा निर्देशन

विशाल फुरिया ने 'छोरी' का निर्देशन करते दौरान समय का ध्यान नहीं रखा। मराठी फिल्म 'लपाछपी' 2016 में आई थी। दोनों फिल्मों में पांच साल का फासला है, लेकिन निर्देशक के रीमेक को भी ओरिजिनल फिल्म की तरह ही रखा है। हालांकि, फिल्म में निर्देशक ने विजुअल्स के साथ ऑडियो इफैक्ट्स पर भी काफी ध्यान दिया है। यहां स्थिति, संवाद और वातावरण से हॉरर पैदा करने की कोशिश की गई है, जिसके चलते साधारण दृश्य भी रोमांचक बन गए हैं।

खामियां

कहां रह गईं कमियां?

फिल्म कहने को तो हॉरर है, लेकिन यह डराने में उतनी कामयाब नहीं हो पाती। फिल्म में माना कि गीत-संगीत की गुंजाइश नहीं थी, लेकिन बैकग्राउंड संगीत का अगर इसे साथ मिलता तो यह असरदार हो सकती थी। फिल्म में कुछ सीन दोहराए गए हैं, जिन्हें अगर काट दिया जाता तो फिल्म को आराम से 10-15 मिनट छोटा किया जा सकता था। फिल्म को ढ़ंग से कसा नहीं गया। क्लाइमैक्स को भी और दमदार बनाया जा सकता था।

फैसला

देखें या ना देखें?

अगर आप हॉरर फिल्मों के शौकीन हैं तो 'छोरी' शायद आपकी कसौटी पर खरी ना उतरे। इसे देख आपको सिहरा देने वाली अनुभूति नहीं होगी। हॉरर फैक्टर को फिल्म में ज्यादा नहीं भुना गया है, लेकिन फिल्म आपको बोर नहीं करेगी। इसमें कुछ सामाजिक संदेश दिए गए हैं। फिल्म भ्रूण हत्या जैसे कई अहम मुद्दों को उठाने में सफल रही है। नुसरत और मीता की अदाकारी भी इस फिल्म से बांधे रखती है। हमारी तरफ से 'छोरी' को तीन स्टार।

जानकारी

हॉरर फिल्म 'डिबुक' भी अमेजन प्राइम पर हुई थी रिलीज

बीते 29 अक्टूबर को इमरान हाशमी की हॉरर फिल्म 'डिबुक' भी अमेजन प्राइम पर रिलीज हुई थी। फिल्म में इमरान के साथ निकिता दत्ता नजर आई थीं। जय के निर्देशन में बनी इस फिल्म में भी डरा कर रख देने वाला हॉरर कंटेंट मिसिंग था।