'मर्डर मुबारक' रिव्यू: सब पर भारी पंकज त्रिपाठी की अदाकारी, पर कमजोर कहानी ने फेरा पानी
'जरा हटके जरा बचके' के बाद से ही प्रशंसक सारा अली खान की अगली फिल्म की राह देख रहे थे और अब आखिरकार उनका यह इंतजार खत्म हो गया है। सारा 15 मार्च को अपनी नई फिल्म 'मर्डर मुबारक' के साथ OTT प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर हाजिर हो गई हैं। फिल्म में उनके साथ विजय वर्मा और करिश्मा कपूर जैसे कलाकार भी हैं। होमी अदजानिया के निर्देशन में बनी 'मर्डर मुबारक' कैसी है, जानने के लिए आगे पढ़िए।
रईस लोगों की शान-ओ-शौकत दिखाती फिल्म
कहानी 'द रॉयल दिल्ली क्लब' की है, जहां इतने रईस लोग जाते हैं कि उनके दिखावे के आगे बड़े से बड़ा फेंकू भी शर्मा जाए। उनकी हवाइयां तब उड़ती हैं, जब क्लब में एक शख्स की मौत होने पर एक के बाद एक हर कोई ACP भवानी सिंह (पंकज त्रिपाठी) की रडार पर आता है। क्लब के रईस सदस्यों के चेहरे से मुखौटा कैसे उतरता है और असली कातिल कौन है, ये बताया तो कुछ देखने के लिए बचेगा नहीं।
कलाकारों की फौज में चमके पंकज
संजय कपूर, टिस्का चोपड़ा और डिंपल कपाड़िया का एक अलग ही रंग देखने को मिलता है, लेकिन कलाकारों की फौज में पंकज अलग ही चमकते हैं। खासतौर से हत्या की जांच करने का उनका अंदाज बड़ा मजेदार है, जो पूरी फिल्म में समा बांधकर रखता है। उन्होंने फिर साबित कर दिया है कि उनके अभिनय का कोई तोड़ नहीं है। फिल्म में करिश्मा भी कमाल की लगी हैं, लेकिन सारा और विजय का अभिनय और अंदाज खास दिलचस्पी नहीं जगाता।
होमी का औसत निर्देशन
'कॉकटेल' और 'अंग्रेजी मीडियम' जैसी फिल्मों के निर्देशक होमी ने 'मर्डर मुबारक' के निर्देशन की जिम्मेदारी संभाली, वहीं दिनेश विजान फिल्म के निर्माता हैं। होमी एक बेहतरीन निर्देशक हैं, लेकिन इस बार उनका स्टाइल दर्शकों के मुताबिक नहीं लगता। भले ही रोमांच के साथ कॉमेडी का तड़का भी उन्होंने खूब लगाया, लेकिन बातें इतनी हल्के-फुल्के अंदाज में कही गईं कि कहानी में कोई दम नहीं रह जाता। कुल मिलाकर निर्देशन, लेखन और कहानी में वो मजा नहीं, जो नाम में।
और कमियां भी जान लीजिए
फिल्म की कहानी में जब एक के बाद एक संदिग्ध आते हैं तो लगता है 'शुक्र है रिमोट में फॉरवर्ड बटन है'। कलाकार इतने हैं कि आप गिनते-गिनते थक जाते हैं। एक उपन्यास को फिल्म के रूप में ढालने में जो एहतियात बरतनी चाहिए थी, वो कहीं खो गई। भले ही फिल्म का क्लाइमैक्स देखने की उत्सुकता बनी रहे, लेकिन ढेरों किरदारों और उनकी बताई अलग-अलग कहानियों के चक्कर में फिल्म की असल कहानी अपने अंजाम तक नहीं पहुंच पाती।
किताबी कहानी को फिल्म की शक्ल देना आसान नहीं
'मर्डर मुबारक' जानी-मानी राइटर अनुजा चौहान की किताब 'क्लब यू टू डेथ' पर आधारित है। किसी कहानी को किताब से पर्दे पर उतारना इतना आसान नहीं। इससे पहले अनुजा की किताब 'जोया फैक्टर' पर इसी नाम से फिल्म बनी थी, जो फ्लॉप हो गई थी।
देखें या ना देखें?
क्यों देखें?- लगभग ढाई घंटे की इस फिल्म में शुरू से लेकर अंत तक सस्पेंस बना रहता है। इसमें मनाेरंजन, मजा और रोमांच सब है। पंकज का अभिनय इतना सधा हुआ है, जो चाहकर भी सीट से हिलने नहीं देता, लेकिन कहानी से ज्यादा उम्मीद न रखें। क्यों न देखें?- अगर क्राइम थ्रिलर फिल्मों से इतनी तौबा करते हैं कि कोई ठीक-ठाक मर्डर मिस्ट्री देखना भी मंजूर नहीं तो फिर आप यह फिल्म छोड़ सकते हैं। न्यूजबाइट्स स्टार- 3/5