'जाने जान' रिव्यू: फिल्म में नहीं दिखा करीना कपूर का करिश्मा, जयदीप अहलावत ने लूटी महफिल
क्या है खबर?
फिल्म 'जाने जान' पिछले कुछ दिनों से अपने पोस्टर, टीजर और ट्रेलर को लेकर चर्चा में रही है। इस फिल्म से करीना कपूर ने OTT पर कदम रखा है। वो बात अलग है कि इसका उस स्तर का प्रचार-प्रसार नहीं हुआ।
बहरहाल, आज यानी 21 सितंबर को फिल्म नेटफ्लिक्स पर आ गई है। इसमें करीना के साथ जयदीप अहलावत और विजय वर्मा ने अहम भूमिका निभाई है।
सुजॉय घोष के निर्देशन मे बनी 'जाने जान' कैसी है, आइए जानते हैं।
कहानी
क्या है फिल्म की कहानी?
कहानी के केंद्र में करीना (माया डिसूजा) है, जो अपने अतीत से भागते-भागते अपनी बेटी के साथ कलिम्पोंग पहुंच जाती है। एक दिन अचानक उसका पति वहां पहुंचता है जिसकी हत्या हो जाती है।
शक की सुई माया की तरफ घूमती है। उसका पड़ोसी जयदीप (नरेन) उसके प्यार में गिरफ्तार है। हत्या की गुत्थी सुलझाने का जिम्मा पुलिस इंस्पेक्टर विजय (करण आनंद) पर है।
अब इस मर्डर मिस्ट्री का अंजाम क्या होगा, जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
अदाकारी
करीना बनीं कमजोर कड़ी
करीना की OTT पर शुरुआत निराशाजनक रही। उनका अभिनय औसत से भी कमतर है।
उनके लिए मां की भूमिका निभाना उतना चुनौतीपूर्ण नहीं था क्योंकि असल में भी वह मां हैं। बावजूद इसके करीना अपने किरदार की नब्ज नहीं पकड़ पाईं।
अपनी पुरानी छवि से इतर गंभीर किरदार निभाने की जहमत तो उन्होंने उठाई, लेकिन उनकी अदाकारी में वो बात ही नहीं है।
एक तो उनका किरदार कायदे से नहीं लिखा गया और बची-खुची कसर करीना ने पूरी कर दी।
अभिनय
जयदीप हैं 'जाने जान' की जान
जयदीप अहलावत ने फिर साबित कर दिया है कि वह एक सुलझे हुए अभिनेता हैं। भले ही कहानी करीना के किरदार के आपसास रची गई, लेकिन असली हीरो जयदीप हैं, जो सम्मान के साथ पूरे अंकों से पास हुए हैं।
अपने आधे-अधूरे और बदसूरत किरदार को उन्होंने इतना जीवंत बना दिया कि उनसे नजरें हटाए नहीं हटतीं।
दूसरी तरफ विजय बेअसर रहे। न तो उनकी अदाकारी काम आई और न ही करीना के साथ उनकी रोमांटिक केमिस्ट्री रंग जमा पाई।
निर्देशन
निर्देशन में नहीं दम
रोमांच की चाशनी में पकी 'कहानी' और 'बदला' जैसी बेहतरीन थ्रिलर फिल्में दे चुके सुजॉय से एक बढ़िया मिस्ट्री थ्रिलर फिल्म की उम्मीद थी, लेकिन वह चूक गए।
रोमांच है, लेकिन जहां इसकी उम्मीद की जाती है, वहां से नदारद है।
सुजॉय ने कहानी और कलाकार जोर के चुने, लेकिन जिस तरीके से इसे परोसा गया, उसने इसे पटरी से उतार दिया, वहीं क्लाइमैक्स पर भी निर्देशक ने मेहनत नहीं की, जिसके चलते कहानी का प्रभाव और कम हो गया।
खामियां
ये भी हैं कमजोर कड़ियां
माया के किरदार में जो गहराई चाहिए थी, करीना उसे पिरोने में नाकाम रहीं और यह फिल्म की सबसे बड़ी कमी है।
जहां यह सवाल जहन में आता है कि आगे क्या होगा, वहीं कहानी खत्म हो जाती है। इसकी लय बीच-बीच में टूटती रहती है।
पहला हाफ बहुत धीमा है, वहीं कुछ जानकारियों की कमी भी खटकती है। जैसे नरेन अकेला क्यों है? नरेन और करण दोस्त हैं, लेकिन दोस्ती कब और कैसे हुई, इसका कोई अता-पता नहीं है।
जानकारी
संगीत और सिनेमैटोग्राफी
संगीत ऐसा है, जैसे सड़क चलते किसी की चप्पल टूट जाए और वह उसे वहीं छोड़ कर आगे चलता बने। कहीं भी कोई भी गाना आ जाता है। हालांकि, सिनेमैटोग्राफी अच्छी है। कलिम्पोंग के मनमोहक दृश्यों को खूबसूरती से कैमरे में कैद किया गया है।
परिणाम
देखें या ना देखें?
क्यों देखें?- अगर आप करीना के जबरा फैन हैं और वक्त बहुत ज्यादा है, तब 2 घंटे 19 मिनट की यह फिल्म आप देख सकते हैं, वहीं यदि आप जयदीप के प्रशंसक नहीं हैं तो 'जाने जान' देखने के बाद शर्तिया आप उनके प्रशंसकों में शुमार हो जाएंगे, क्योंकि इस फिल्म की 'रीढ़ की हड्डी' असल में जयदीप ही हैं।
क्यों न देखें?- अगर रोमांच की तलाश में फिल्म देखने वाले हैं तो यकीनन निराशा हाथ लगेगी।
न्यूजबाइट्स स्टार- 2/5