'हड्डी' रिव्यू: नवाजुद्दीन सिद्दीकी का दमदार अभिनय, भावनाओं और रोमांच का दिखा दिलचस्प मिश्रण
नवाजुद्दीन सिद्दीकी की फिल्म 'हड्डी' का पिछले साल ऐलान हुआ था। फिल्म का जब पहला पोस्टर आया था, तब महिला की वेशभूषा में नवाज के लुक ने खूब सुर्खियां बटोरी थी। नवाज का नया अंदाज देखने के बाद से ही प्रशंसक इस फिल्म का इंतजार कर रहे थे। ट्रेलर आने के बाद इसके लिए उत्सुकता बढ़ गई थी। अक्षत अजय शर्मा द्वारा निर्देशित यह फिल्म 7 सितंबर को ZEE5 पर रिलीज हो गई है। जानिए, कैसी है यह क्राइम थ्रिलर।
किन्नर के बदले की कहानी है 'हड्डी'
यह फिल्म एक किन्नर के बदले की कहानी है। फिल्म में नवाजुद्दीन ने किन्नर हरिका की भूमिका निभाई है, जिसे सभी 'हड्डी' बुलाते हैं। हड्डी अपराध की दुनिया से जुड़े एक कुख्यात गैंग के लिए काम करती है। इस गैंग का असल धंधा हनी ट्रैप का मालूम पड़ता है, लेकिन किसी को इसके मालिकों के असल मकसद के बारे में नहीं पता है। इसी तरह इस गैंग की वफादार हड्डी का असल मकसद भी किसी को नहीं मालूम होता है।
नवाज के दिखे कई रूप, हर रूप में लाजवाब
फिल्म में नवाजुद्दीन की कलाकारी जादुई है। वह पर्दे पर कुछ और ही बन जाते हैं। हड्डी की भूमिका में वह कभी पुरुष की वेशभूषा में नजर आते हैं, तो कभी महिला की। हड्डी टूट के प्यार करती है, प्यार को खोने पर तड़प उठती है और उतनी ही चतुराई से अपना बदला लेती है। मानों एक ही किरदार में नवाज ने कई किरदार निभाए हैं और हर रूप में वह लाजवाब रहे।
सहायक कलाकारों ने फिल्म को बनाया मजबूत
अनुराग कश्यप फिल्म में प्रमुख विलेन हैं। आमतौर पर क्राइम थ्रिलर का निर्देशन करने वाले अनुराग ने पर्दे पर भी अच्छी प्रस्तुति दी है। उनके किरदार में हैवानियत और हास्य का दिलचस्प मिश्रण है। गैंग प्रमुख की भूमिका में सौरभ सचदेव दर्शकों को बांधकर रखते हैं। राजेश कुमार उनके दाएं हाथ बने नजर आए। ईला अरुण ने फिल्म में ममता और शक्ति का प्रतिनिधित्व किया है। फिल्म के भावनात्मक पक्ष की जिम्मेदारी जीशान आय्यूब पर थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया।
रोमांच और भावनाओं का दिलचस्प संतुलन
रोमांच की बात करें तो फिल्म हर समय दर्शकों को बांधकर रखती है। साथ ही फिल्म का एक भावनात्मक पक्ष भी साथ चलता रहता है। एक तरफ फिल्म में भ्रष्टाचार, काली कमाई और हिंसा है, दूसरी ओर किन्नर समुदाय की भावनाएं और संस्कृति की झलक है। निर्देशक ने दोनों पक्षों के बीच बढ़िया संतुलन बनाकर रखा है। फिल्म में इतने सारे किरदार और इतनी सारी घटनाएं होने के बाद भी यह कहीं भी अपनी पकड़ नहीं खोती है।
दिल छूने वाला है संगीत
हिंसा और भावनाओं के बीच संतुलन बनाने में फिल्म के संगीत ने स्तंभ का काम किया है। चाहे हड्डी और इरफान (जीशान) का प्यार हो, गुरु मां (ईला) से उसका लगाव हो या फिर बदला लेने का जुनून, संगीत ने हर दृश्य को मजबूत बनाया है। फिल्म के कुछ शॉट्स रोंगटे खड़े करने वाले हैं। इसका श्रेय नवाज के बेहतरीन अभिनय के साथ ही फिल्म के सेट और सिनेमाटोग्राफी को भी जाता है।
क्लाइमैक्स में कमजोर हुआ लेखन
फिल्म में कई किरदार हैं। हड्डी कब किसकी दोस्त है और किसकी दुश्मन, यह समझने में दर्शकों को सिर खुजलाना पड़ सकता है। फिल्म रोमांचक ट्विस्ट्स के भरी है, लेकिन कई बार ये बोझिल भी हो जाते हैं। जिस शानदार तरीके से पूरी फिल्म बनाई गई, उसके मुकाबले इसका क्लाईमैक्स ड्रामे से भरपूर लगता है। ऐसा लगता है, निर्देशक आखिर में दर्शकों की तालियों और सीटियों के लालच में रह गए। हालांकि, इस दौरान भी नवाज का अभिनय दमदार है।
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- यह फिल्म नवाजुद्दीन के दमदार अभिनय के लिए देखना जरूरी है। क्राइम थ्रिलर फिल्मों के शौकीन दर्शक भी बिना कुछ सोचे इसे अपना समय दे सकते हैं। क्यों न देखें?- हिंसा से भरी क्राइम थ्रिलर फिल्में पसंद नहीं हैं, तो इस फिल्म को देखने से परहेज कर सकते हैं। न्यूजबाइट्स स्टार- 3.5/5