
'साइलेंस 2' रिव्यू: मनोज बाजपेयी की बेमिसाल अदाकारी पर इन कमियों से फिरा पानी
क्या है खबर?
अभिनेता मनोज बाजपेयी पिछली बार फिल्म 'जोरम' में दिखे थे। भले ही बॉक्स ऑफिस पर उनकी यह फिल्म फेल हो गई, लेकिन अभिनेता ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों के साथ-साथ समीक्षकों का दिल भी जीत लिया।
पिछले कुछ दिनों से अभिनेता फिल्म 'साइलेंस 2' को लेकर सुर्खियों में हैं, जाे आज यानी 16 अप्रैल को OTT प्लेटफॉर्म ZEE5 पर रिलीज हो गई है।
अबन भरूचा के निर्देशन में बनी यह फिल्म कैसी है, जानने के लिए पढ़िए हमारा रिव्यू।
कहानी
उलझी हत्याओं की गुत्थी सुलझाने की कहानी
'साइलेंस 2: द नाइट आउल' की कहानी ACP अविनाश वर्मा (मनोज) के इर्द-गिर्द घूमती है। 'साइलेंस' केवल एक हत्या पर आधारित थीं, वहीं 'साइलेंस 2' एक से ज्यादा हत्याओं पर आधारित है।
पूरे शहर में अराजकता है और हत्यारा खुलेआम घूम रहा है। एक-दूसरे से जुड़ीं और उलझी हुईं इन हत्याओं की गुत्थी सुलझाने में लगे हैं अविनाश और उनकी स्पेशल क्राइम यूनिट।
अब कहानी में आगे कैसे तार जुड़ते जाते हैं, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी होगी।
अभिनय
मनोज ने लगाई दमदार अदाकारी की मोहर
इस फिल्म से मनोज ने फिर साबित कर दिया है कि उनके अभिनय का कोई सानी नहीं है। वह अपनी दमदार अदाकारी की छाप छोड़ने में सफल रहे। उनका रौबीला अंदाज देखते ही बनता है।
मनोज ने फिल्म को शानदार बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी, लेकिन कहानी और लेखन ने उन्हें 'धप्पा' कर दिया।
पुलिस अधिकारी के रूप में प्राची देसाई स्क्रिप्ट से मात खा गईं, वहीं साहिल वैद्य और श्रुति भोपना जैसे कलाकारों ने ठीक-ठाक प्रदर्शन किया।
निर्देशन
निर्देशन की कसौटी पर खरे नहीं उतरे देवहंस
अबना भरूचा देवहंस की फिल्म का आधार अच्छा है, लेकिन पटकथा बिखरी हुई है। उन्होंने न तो सस्पेंस को फिल्म में ढंग से बुना है और ना ही कहानी का विस्तार ठीक से किया है।
चुस्त पटकथा के चलते मनोज की मेहनत में पानी जरूर फिर गया।
एकसाथ कई मुद्दों से निपटने के चक्कर में निर्देशक एक भी मुद्दे की गहराई में नहीं उतर पाए।
कुल मिलाकर निर्देशक दिखाना कुछ और चाहते थे और कहानी हमें ले गई कहीं ओर।
खामियां
कमियां और भी हैं
2 घंटे 22 मिनट की इस फिल्म का दूसरा भाग खींचा हुआ है, वहीं फिल्म का क्लाइमैक्स जोरदार नहीं है।
उधर रोमांच का तंबू मजबूती से ताना गया होता तो बात कुछ और होती।
ढेर सारे किरदारों की खिचड़ी और उनका परिचय फिल्म को पेचीदा बना देता है। फिल्म देख कभी-कभार ऐसा लगता है मानों 'CID' का कोई एपिसोड चल रहा हो।
कहानी और इसे मिले ट्रीटमेंट से यह फिल्म एक औसत सस्पेंस थ्रिलर बनकर रह जाती है।
जतीत
देखें या ना देखें?
क्यों देखें?- 'साइलेंस 2' भले ही औसत है, लेकिन मनोज के लिए इसे एक मौका जरूर मिलना चाहिए। यह उनकी अभिनय यात्रा का एक नया 'मील का पत्थर' है, वहीं सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों का कीड़ा है तो टाइम पास के लिए यह देखी जा सकती है।
क्यों न देखें?- यह 'साइलेंस' की सफलता को दोबारा भुनाने की कमजोर कोशिश है। अगर अच्छी कहानी या बढ़िया रोमांच की चाह में फिल्म देखने वाले हैं तो ठगे रह जाएंगे।
न्यूजबाइट्स स्टार- 2/5