'धक धक' रिव्यू: पहाड़ी रास्तों के साथ जिंदगी के उतार-चढ़ाव दिखाती है फिल्म
क्या है खबर?
सिनेमाघर 13 अक्टूबर को राष्ट्रीय सिनेमा दिवस मना रहे हैं। इस खास मौके पर फिल्म 'धक धक' रिलीज हुई है।
इस फिल्म का निर्माण तापसी पन्नू की आउटसाइडर्स फिल्म्स ने वायकॉम 18 के साथ मिलकर किया है।
यह एक एडवेंचर ड्रामा फिल्म है, जिसका निर्देशन तरुण दुडेजा ने किया है। रिलीज के कुछ दिन पहले ही फिल्म का ट्रेलर आया था, जिसमें 4 महिला बाइकर की कहानी देखने को मिली थी।
आइए जानते हैं कैसी है यह फिल्म।
कहानी
खारदुंगला निकलीं 4 महिलाएं
फिल्म अलग-अलग उम्र और पृष्ठभूमि की 4 महिलाओं की कहानी है। इनकी अपनी-अपनी जिंदगी इन्हें एक ऐसे मोड़ पर एक-दूसरे से मिलाती है, जहां चारों महिलाएं बाइक से दिल्ली से खारदुंगला के सफर पर निकल पड़ती हैं।
इस सफर में न सिर्फ दृश्य, राज्य और तापमान बदलते हैं, बल्कि सभी की जिंदगी में प्राथमिकताएं और नजरिया भी बदलता चलता है।
अब ये महिलाएं खारदुंग ला सफलतापूर्वक पहुंच पाती हैं या नहीं, यह जानने के लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।
कहानी
मानसिक और भावनात्मक मुश्किलों को भी दिखाती है फिल्म
ट्रेलर देखने से लगता है कि यह एक महिला केंद्रित फिल्म है, जो महिलाओं की मुश्किलों और उनके जज्बों को दिखाती है। असल में यह फिल्म इससे परे, हर आम इंसान की जिंदगी के छोटी-छोटी मुश्किल अनुभव बयां करती है।
भौतिक रोमांच के साथ ही यह फिल्म इंसान के मानसिक और भावनात्मक मुश्किलों के सफर को भी दिखाती है। अपने डर और नजरिए की वजह से कोई किस तरह अपने ही रास्ते मुश्किल करता है, फिल्म इसका अहसास कराती है।
अभिनय
कलाकारों ने मजबूती से पकड़े अपने किरदार
फिल्म में रत्ना पाठक शाह ने नानी मनप्रीत का किरदार निभाया है। उनकी जिद की वजह से ही यह ट्रिप शुरू होती है। उनका किरदार बुजुर्गों का अनुभव और सफर पूरा करने की दृढ़ता को दिखाता है।
दीया मिर्जा ने उज्मा का किरदार निभाया है। उनके हिस्से में कई भावुक दृश्य हैं, जिन्हें उन्होंने बखूबी पकड़ा है।
मंजरी (संजना सांघी) एक ऐसी लड़की है, जो पहली बार घर से अकेली निकली है। उन्होंने भी अपने किरदार से इंसाफ किया है।
जानकारी
फातिमा सना शेख के कंधों पर फिल्म
इन सभी का नेतृत्व स्काई के किरदार में फातिमा सना शेख कर रही हैं। फिल्म का केंद्रीय किरदार स्काई ही है। अपने स्टंट्स, बाइकिंग और इमोशन से उन्होंने फिल्म को बखूबी अपने कंधे पर उठाया है और आखिर तक दर्शकों को बांधे रखा है।
निर्देशन
दर्शकों को भी सफर से जोड़ने में सफल हुए निर्देशक
यह निर्देशक तरुण दुडेजा की पहली फिल्म है और उन्होंने इस रोमांचक सफर को बेहतरीन तरीके से पूरा किया है।
उन्होंने इन चारों महिलाओं की कहानी को आकर्षक तरीके से एक-दूसरे से जोड़ा है। इस सफर में ये महिलाएं जैसे-जैसे ऊंचाई पर पहुंचती हैं, वे अपनी उलझनों से आजाद होती जाती हैं। यह आजादी दर्शकों को भी बखूबी महसूस होती है।
फिल्म लंबे-चौड़े संवाद की बजाय हौले से अपना संदेश दे जाती है।
संगीत और लोकेशन
खूबसूरत नजारों ने आकर्षक बनाई फिल्म
फिल्म में सिनेमैटोग्राफर ने दिल्ली से लेकर हरियाणा के खेत, मनाली के पहाड़ और लेह-लद्दाख की खतरनाक सड़कों को बड़े शानदार तरीके से कैमरे में कैद किया है।
दूसरी तरफ फिल्म का संगीत इसकी भावनाओं को और गंभीर बनाने का काम करता है। हालांकि, फिल्म के गाने इसके भावुक पक्ष को मजबूती देते हैं, लेकिन रोमांच के मामले में 2 कदम पीछे ही रहते हैं।
साथ ही चारों कलाकारों ने अपनी-अपनी बाइक को बेहतरीन तरीके से थामा है।
जानकारी
यहां चूके
फिल्म एक रोमांचक सफर होने बाद भी रोमांचित करने में कमजोर रह गई। इसकी वजह है फिल्म में रोमांच पर भावनाओं का पलड़ा भारी होना। खारदुंगला से पहले पहाड़ी रास्तों से ज्यादा भावुक उतार-चढ़ाव आते हैं, जो एक वक्त के बाद भारी लगने लगते हैं।
निष्कर्ष
देखें या न देखें?
क्यों देखें?- फिल्म के सभी कलाकारों का काम शानदार है। यह एक खूबसूरत सफर की कहानी है, जो न सिर्फ सुंदर पहाड़, बल्कि जिंदगी के भी नए नजरिए को दिखाती है। अगर पहाड़ों के शौकीन हैं तो यह फिल्म आपके लिए है।
क्यों न देखें?- फिल्म में ड्रामा, रोमांच पर भारी पड़ता है। भावुक या संदेश देने वाली फिल्में पसंद नहीं आती हैं तो इससे परहेज कर सकते हैं।
न्यूजबाइट्स स्टार- 3/5