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'गणपत' रिव्यू: ठोस कहानी के बिना सिर्फ एक्शन, सर्कस बनकर रह गई टाइगर श्रॉफ की फिल्म
जानिए कैसी है फिल्म 'गणपत'

'गणपत' रिव्यू: ठोस कहानी के बिना सिर्फ एक्शन, सर्कस बनकर रह गई टाइगर श्रॉफ की फिल्म

Oct 20, 2023
02:20 pm

क्या है खबर?

टाइगर श्रॉफ और कृति सैनन की फिल्म 'गणपत' कई बार टलने के बाद 20 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है। 'हीरोपंती' के बाद कृति और टाइगर एक बार फिर से पर्दे पर साथ दिखे हैं। खास बात यह है कि यह कृति की पहली ऐक्शन फिल्म है। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन भी नजर आए हैं। आपको बताते हैं एक्शन से भरपूर यह फिल्म कितनी प्रभावशाली है।

कहानी 

अमीरों से जंग के लिए 'गणपत' का इंतजार कर रहे गरीब

इस साइंस फिक्शन फिल्म में भविष्य का एक शहर दिखाया गया है, जो अत्याधुनिक तकनीकों और सुरक्षा यंत्रों से लैस है। इस शहर में सिर्फ अमीर रहते हैं, जिन्होंने गरीबों को प्रताड़ित करके यह शहर बसाया है। गरीबों की बस्ती एक भविष्यवाणी के कारण अपने मसीहा 'गणपत' का इंतजार कर रही है, जो आकर इन्हें गरीबी के नर्क से मुक्त करेगा। वह अमीरों के शहर और गरीबों के बस्ती के बीच की दीवार तोड़ने के लिए आएगा।

लड़ाई

कुश्ती में सट्टेबाजी पर आधारित फिल्म

इस भविष्यवाणी से अनजान गुड्डू (गणपत) खुद अमीरों के नेता जॉन के यहां पला-बढ़ा है, जो गरीबों के सबसे बड़ा दुश्मन है। जॉन कुश्ती के खेल में सट्टा लगाकर कमाने का धंधा करता है। एक दिन गुड्डू किसी वजह से गरीबों की बस्ती पहुंचता है, जहां उसे अपनी सच्चाई का पता चलता है। इसके बाद शुरू होती है, उसकी बस्ती और शहर के बीच की दीवार को गिराने की लड़ाई।

अभिनय 

कलाकारों ने जमकर की है मेहनत

फिल्म में एक्शन ने अभिनय के लिए कोई जगह ही नहीं छोड़ी है। हर कलाकार, हर दृश्य में या तो एक्शन कर रहा है या डांस। एक्शन में टाइगर का कोई तोड़ नहीं है। उन्होंने पर्दे पर शानदार स्टंट प्रस्तुत किए हैं। उनके साथ कृति भी कंधे से कंधा मिलाकर स्टंट करती नजर आई हैं। कृति के हाव भाव ही फिल्म में भावनाओं को थोड़ी मजबूती देते हैं। अमिताभ की छोटी सी उपस्थिति जरूर दर्शकों को रोमांचित करती है।

 एक्शन

हर दृश्य में फिजूल का एक्शन, क्यों भई?

फिल्म की शुरुआत एक योद्धा के आने की भविष्यवाणी से होती है। सारी कहानी उस योद्धा और उसकी लड़ाई पर आधारित है, लेकिन फिल्म में लड़ाई के नाम पर सिर्फ रिंग में कुश्ती होती है। फिल्म आगे बढ़ती जाती है, जबकि कहानी एक ही जगह ठहरी है। छोटे से छोटे दृश्य में भी खूब एक्शन ठूंसा गया। फिल्म बिना किसी रोमांच या भावनाओं के एक्शन के सहारे बढ़ती रहती है। बिना ठोस स्क्रिप्ट के यह सर्कस बनकर रह जाती है।

निर्देशन 

बुरी तरह पटरी से उतरे निर्देशक

साइंस फिक्शन, एक्शन और पौराणिकता के बीच निर्देशक विकास बह्ल बुरी तरह से पटरी से उतर गए। अमीरों के शहर में सभी चेहरे विदेशी कलाकार हैं, जिनसे दर्शक जुड़ नहीं पाते हैं। संगीत के जरिए 'गणपत' के किरदार को पौराणिकता से जोड़ने की बेकार कोशिश नजर आती है। फिल्म में गणपत का अपनी सच्चाई जानने जैसे मोड़ भी बिना भावनाओं को छुए गुजर जाते हैं। फिल्म में कई मोड़ लाने की कोशिश की गई, लेकिन वे रोमांच नहीं बना सके।

निष्कर्ष 

देखें या न देखें?

क्यों देखें?- फिल्म शुरु से आखिर तक स्टंट भरे हैं। अगर टाइगर श्रॉफ या कृति सैनन के प्रशंसक हैं, तो इस फिल्म को समय दे सकते हैं। क्यों न देखें?- कोई दिलचस्प साइंस फिक्शन फिल्म की उम्मीद में इस फिल्म को देखेंगे, तो सिर पकड़ लेंगे। फिल्म में एक ही तरह का एक्शन देखते-देखते आप परेशान हो सकते हैं, मानों सामने मार्शल आर्ट्स की क्लास चल रही हो। न्यूजबाइट्स स्टार- 1.5/5

जानकारी

न्यूजबाइट्स प्लस

फिल्म के आखिर में इसके अगले भाग 'गणपत: द राइज ऑफ अ हीरो' की घोषणा कर दी गई है। OTT पर फिल्म का इंतजार कर रहे दर्शक इसे आने वाले समय में नेटफ्लिक्स पर देख सकेंगे।