'मिशन रानीगंज' रिव्यू: जिंदगी और मौत के बीच उम्मीद की रोमांचक कहानी है अक्षय की फिल्म
क्या है खबर?
पिछले साल जब खेतों में पगड़ी पहने अक्षय कुमार की तस्वीर सामने आई थी, तभी से ही उनकी नई फिल्म 'मिशन रानीगंज: द ग्रेट भारत रेस्क्यू'चर्चा में थी, जो आज यानी 6 अक्टूबर को सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है।
यह फिल्म पहले 'कैप्सूल गिल' के नाम से जानी जा रही थी। फिल्म बहादुर माइनिंग इंजिनियर जसवंत सिंह गिल की कहानी पर आधारित है।
जानिए कैसी है निर्देशक टीनू सुरेश देसाई की 'मिशन रानीगंज'।
कहानी
खदान मजदूरों की जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष की कहानी
'मिशन रानीगंज' 1989 में रानीगंज में हुए कोयला खदान हादसे पर आधारित है। फिल्म इस हादसे में खदान में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए चलाए गए बचाव अभियान को दिखाती है।
खदान में हुए धमाके में 65 मजदूर फंस गए थे। खदान में बढ़ते पानी और जहरीली गैस के बीच वे 3 दिनों तक जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष करते रहे। खदान से बाहर, जसवंत गिल उन्हें बचाने के अथक प्रयास करते रहे थे।
निर्देशन
निर्देशक ने पिरोए अभियान के सभी पहलू
फिल्म जसवंत गिल की बुद्धिमानी और लगन के साथ कई भावनाओं को परोसती है। यह खदान में फंसे मजदूरों की हिम्मत, उनके परिवारों की प्रार्थनाएं, गुस्सा और जसवंत गिल की कभी ना खत्म होने वाली उम्मीदों को एक साथ दिखाती है।
साथ ही इस बचाव अभियान में हुई राजनीति, विभागीय औपचारिकताएं और लापरवाहियों को भी दिखाया गया है।
निर्देशक ने इन सभी तत्वों को ऐसे बांधा है कि दर्शक खुद इस अभियान का हिस्सा बन जाते हैं।
अभिनय
अक्षय हैं मुख्य आकर्षण, परिणीति को नहीं मिली तरजीह
अक्षय इस फिल्म का मुख्य चेहरा हैं। जसवंत गिल के रूप में उनका अभिनय दर्शकों को जोड़ता है और उनको मजदूरों को बचा लिए जाने की आस देता है।
फिल्म में अक्षय की जोड़ी परिणीति चोपड़ा के साथ बनी है। हालांकि, पर्दे पर वह उनका किरदार कुछ मिनट ही नजर आया है।
उन्होंने जसवंत गिल की पत्नी निर्दोश की भूमिका निभाई है। उनका किरदार दर्शाता है कि एक निर्भीक अफसर के पीछे उसकी पत्नी की निडरता कितनी मायने रखती है।
अन्य कलाकार
सहायक कलाकारों के अभिनय में दिखा दम
फिल्म में अक्षय के साथ सबसे ज्यादा जगह कुमुद मिश्रा को मिली है, जिन्होंने कोल इंडिया के एक अधिकारी का किरदार निभाया है। यह अक्षय और कुमुद की जोड़ी ही दर्शकों में मजदूरों को बचाए जाने का रोमांच बनाकर रखती है।
दिव्येंदु भट्टाचार्य ने भ्रष्ट अधिकारी सेन के किरदार में फिल्म में खूब ट्विस्ट डाला।
रवि किशन, जमील खान, ओमकार दास समेत सभी सहायक कलाकारों ने जिंदगी के लिए जूझ रहे मजदूरों की हिम्मत और तकलीफ को बखूबी बयां किया।
संगीत
संगीत ने बढ़ाया रोमांच
कलाकारों के अभिनय के साथ ही फिल्म का संगीत दर्शकों को मानों खुद बचाव स्थल पर पहुंचा देता है, जहां एक-एक पल कीमती है। एक पल में यहां आशाएं बंधती हैं और दूसरे पल में सारी उम्मीदें टूटती नजर आती हैं।
फिल्म का संगीत भावनाओं के इस बेहतरीन उतार-चढ़ाव पर दर्शकों को लिए चलता है।
क्लाइमैक्स में फिल्म का गाना 'जीतेंगे' जिंदगी से इस जंग में शामिल हर किरदार की भावनाओं से रूबरू कराता है।
कमी
बॉलीवुड मसाले ने बिगाड़ा काम
फिल्म एक गंभीर, मुश्किल मिशन और सच्ची घटना पर आधारित है। इसकी शुरुआत अक्षय और परिणीति के भंगड़े से करना बचकाना लगता है।
फिल्म फंसे हुए मजदूरों की हिम्मत को दिखाती है। दर्शक उनसे भावनात्मक रूप से जुड़े होते हैं। ऐसे में फिल्म का अंत अक्षय और परिणीति के रोमांटिक गाने से करना भी गलत फैसला मालूम पड़ता है।
अक्षय पहले भी कई सिख किरदार निभा चुके हैं। ऐसे में पर्दे पर जसवंत की जगह अक्षय ही नजर आते हैं।
निष्कर्ष
देखें या न देखें?
क्यों देखें- फिल्म देश के एक अनाम हीरो की कहानी है। साथ ही फिल्म कोयला मजदूरों की दुर्दशा, आर्थिक हालत और मजबूरियों से परिचय कराती है। इन कहानियों से हर किसी को परिचित होना चाहिए। फिल्म रोमांच से भी भरपूर है।
क्यों न देखें- फिल्म का भावनात्मक पक्ष भारी है। भावुक फिल्में नापसंद हैं तो इससे परहेज कर सकते हैं, वहीं अगर भरपूर मनोरंजन की तलाश है तो भी शायद यह आपकी कसौटी पर खरी न उतरे।
न्यूजबाइट्स स्टार- 3.5/5
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
जसवंत गिल ने 2.5 मीटर लंबा स्टील का एक कैप्सूल बनाया था, जिसके जरिए एक-एक करके सभी मजदूरों को बाहर निकाला गया था। इसके बाद वह 'कैप्सूल गिल' नाम से मशहूर हो गए थे। 1991 में उन्हें सर्वोत्तम जीवन रक्षा पदक से नवाजा गया था।