'कल्कि 2898 AD' रिव्यू: प्रभास की फिल्म के नायक हैं अमिताभ बच्चन, निर्देशक ने दिखाया कमाल
कई बार रिलीज तारीख टलने के बाद आखिरकार नाग अश्विन के निर्देशन में बनी 'कल्कि 2898 AD' दुनियाभर के सिनेमाघरों में 27 जून को रिलीज हो गई है। प्रभास और दीपिका पादुकोण समेत कई दिग्गज सितारों से सजी फिल्म को लेकर दर्शकों में बेहद उत्साह था। मालूम हो कि इस फिल्म के जरिए निर्माताओं ने दर्शकों को बेहतरीन सिनेमाई अनुभव देने का वादा किया था। जानते हैं क्या 'कल्कि 2898 AD' दर्शकों की उम्मीदों पर खरी उतरती है या नहीं।
कल्कि अवतार की मां सुमति को बचाने की कहानी
'कल्कि 2898 AD' की कहानी महाभारत काल में अश्वथामा (अमिताभ बच्चन) को श्री कृष्ण द्वारा दिए गए श्राप और भगवान कल्कि की रक्षा के दायित्व से शुरू होती है। इसके बाद कहानी 6,000 साल आगे 2898 में पहुंचती है और दर्शकों को सर्वनाश के बाद की दुनिया के तीन शहरों काशी, शम्बाला और कॉम्प्लेक्स से परिचित कराती है। कॉम्प्लेक्स का शासक यास्किन (कमल हासन) एक नई दुनिया बनाना चाहता है, जिसके लिए उसे सम-80 उर्फ सुमति (दीपिका) की जरूरत है।
क्या भैरव से लड़ने में सफल होगा अश्वथामा?
शम्बाला के लोगों का मानना है कि सुमति भगवान कल्कि को जन्म देगी। ऐसे में जहां अश्वथामा, सुमति को यास्किन के चंगुल से बचाने की हुंकार भरता है, वहीं दूसरी ओर क्रूर शिकारी भैरव (प्रभास) इनाम की खातिर उसे कॉमप्लेक्स पहुंचाना चाहता है। भैरव और अश्वत्थामा में भयंकर लड़ाई देखने को मिलती है। क्या भैरव सुमति को कॉम्प्लेक्स को सौंपने में सफल होगा? अश्वत्थामा और भैरव के बीच क्या पुराने संबंध हैं? इन सवालों का जवाब आपको थिएटर जाकर मिलेगा।
प्रभास-अमिताभ का अभिनय जीत लेगा दिल
प्रभास ने भैरव के विचित्र स्वभाव, लालच और चालाक व्यक्तित्व को बखूबी निभाया। उन्होंने अश्विन के दृष्टिकोण को पर्दे पर अच्छे से उतारा। वह भैरव के किरदार में पूरी तरह से फिट बैठते हैं और उनके दृश्य बहुत ही मजेदार हैं। अश्वत्थामा बने अमिताभ फिल्म का मुख्य आकर्षण है। ऐसा लगता है कि वह इस भूमिका को निभाने के लिए ही बने हैं। कम डायलॉग होने के बाद भी वह हाव-भाव से बहुत कुछ बयां करते हैं।
दोहरी भूमिका में प्रभास
'कल्कि 2898 AD' प्रभास के प्रशंसकों के लिए किसी तोहफे से कम नहीं होगी क्योंकि इस फिल्म में भी अभिनेता 'बाहुबली' की तरह दोहरी भूमिका में दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, फिल्म के असली नायक प्रभास नहीं अमिताभ हैं। यह बिग बी की फिल्म है।
हासन और दीपिका ने भी किया कमाल
सुमति के किरदार में दीपिका अच्छी लगीं। उनके किरदार की भावनात्मक गहराई सम्मोहक है। हालांकि, फिल्म में उनके पास करने के लिए ज्यादा कुछ नहीं है। हासन ने कम स्क्रीन टाइमिंग के बाद भी खलनायक सुप्रीम यास्किन की भूमिका में जान डालने का काम किया है। उन्होंने इस किरदार में खुद को इस तरह ढाला है कि सभी तालियां बजाने पर मजबूर हो जाते हैं। दिशा पाटनी के किरदार रॉक्सी की बात करें तो वह बेकार और निरर्थक लगता है।
अश्विन के निर्देशन में चमके सहायक-कलाकार
राजेंद्र प्रसाद, पसुपति, शोभना और अन्ना बेन जैसे सहायक कलाकारों ने बेहतरीन अभिनय किया है, जिससे फिल्म में चार चांद लग गए हैं। एसएस राजामौली, राम गोपाल वर्मा, मृणाल ठाकुर, विजय देवरकोंडा और दुलकर सलमान की छोटी भूमिकाओं ने भी दर्शकों पर प्रभाव डाला।
लेखन और निर्देशन दोनों में चमके अश्विन
अश्विन ने लेखक और निर्देशक दोनों की भूमिका में शानदार काम किया। वह कलाकारों और क्रू की मदद से अपने दृष्टिकोण को पर्दे पर जीवंत करने में सफल रहे। निर्देशक का कहानी को भारतीय महाकाव्य महाभारत के क्लाइमेक्स से शुरू करके भविष्य से जोड़ने का विचार दिलचस्प लगता है। उनकी VFX टीम ने उनके दृष्टिकोण का शानदार ढंग से समर्थन करती है। अश्विन की फिल्म का क्लाइमैक्स बहुत रोमांचक है, जिसमें उनके लेखन और निर्देशन दोनों की क्षमता दिखती है।
फिल्म की जान है VFX
फिल्म का VFX आपको हर दृश्य में कमाल का अनुभव देगा। अश्विन और उनकी टीम ने इस तकनीक का इस्तेमाल करके फिल्म को दर्शनीय बनाया है। इसके ज्यादातर दृश्य हमें हॉलीवुड फिल्मों की याद दिलाएंगे। अश्वत्थामा और भैरव के बीच कल्काइमैक्स से पहले की लड़ाई इस फिल्म का दिल है। बेहतरीन VFX के साथ दृश्यों को शानदार ढंग से दिखाया गया है। 'कल्कि 2898 AD' को हाल ही में रिलीज हुई सबसे अच्छी VFX फिल्म कहना गलत नहीं होगा।
बेहतरीन है 'कल्कि 2898 AD' की सिनेमैटोग्राफी
जोर्डजे स्टोजिलिकोविच की सिनेमैटोग्राफी बेहतरीन है। कोटा वेंकटेश्वर राव का संपादन अच्छा है, लेकिन इसे और बेहतर बनाया जा सकता था, खास तौर पर फिल्म के पहले घंटे में। अनावश्यक दृश्यों को काटकर फिल्म की गति और टाइम को घटाया जा सकता था।
यहां खली कमी
'कल्कि 2898 AD' का दूसरा भाग रोमांच से भरपूर है, लेकिन इसका पहला भाग धीमा है। यह दर्शकों को ऊबाउ लग सकता है। प्रभास और दिशा के बीच के दृश्यों में जुड़ाव की कमी है। कई बार तो लगता है भैरव और रॉक्सी के बीच दृश्य हैं ही क्यों? उनके बीच फिल्माया गया गाना अनावश्यक लगता है। फिल्म 3 घंटे 1 मिनट लंबी है। निर्देशक इसकी लंबाई कम करने के लिए ऐसे दृश्य हटा सकते थे, जिनका महत्व कम है।
कैसा है 'क्लकि 2898 AD' का संगीत?
'कल्कि 2898 AD' के संगीत और बैकग्राउंड म्यूजिक की बात करें तो संतोष नारायणन द्वारा दिया गया फिल्म के गानों को आसानी से भुलाया जा सकता है, लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक के लिए ऐसा नहीं कहा जा सकता। वह हर दृश्य के हिसाब से फिट है।
देखें या ना देखें?
क्यों देखें?- 'कल्कि 2898 AD' बेहतरीन फिल्मों में से एक है, जिसमें भविष्य की दुनिया को पौराणिक पृष्ठभूमि के साथ सहजता से मिश्रित किया गया है। प्रभास, दीपिका, अमिताभ और कमल को साथ देखने का मौका भी कभी-कभार मिलता है। क्यों ना देखें?- पहले भाग की धीमी कहानी और लंबाई दर्शकों के धैर्य की परीक्षा ले सकती है। ऐसे मे अगर आप लंबे समय तक एक जगह पर नहीं बैठ सकते तो इससे दूरी बना सकते हैं। न्यूजबाइट्स स्टार- 3.5/5