#NewsBytesExplainer: भारतीय थिएटर का इतिहास है स्वर्णिम, जानिए सिनेमा में इसका योगदान
एक दौर था जब सिनेमा की शुरुआत नहीं हुई थी और लोगों के मनोरंजन का मुख्य जरिया थिएटर ही था। भारतीय थिएटर (रंगमंच) का अपना एक समृद्ध इतिहास रहा है। थिएटर और नाटकों के जरिए ना सिर्फ कला का प्रदर्शन किया जाता था, बल्कि समाज सुधार और जागरूकता फैलाने में भी इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। आइए भारतीय थिएटर के इतिहास, उत्पत्ति और इसके गौरवशाली परंपरा पर नजर डालते हैं।
कैसे हुई भारत में थिएटर की शुरुआत?
भारत में रंगमंच का इतिहास लगभग 5,000 साल पुराना है। ऐसा माना जाता है कि नाट्यकला का विकास पहले भारत में ही हुआ था। ऋग्वेद के सूत्रों में यम और यमी, पुरुरवा और उर्वशी आदि के कुछ संवाद हैं। कई लोगों का मानना है कि इसमें नाटक के विकास चिह्न देखने को मिले हैं। बताया जाता है कि इन्हीं संवादों से प्रेरणा लेकर लोगों ने नाट्यकला को विकसित किया। यह आगे जाकर वर्तमान थिएटर का रूप ले लिया।
भारत का पहला थिएटर कौनसा है?
भारतीय सिनेमा को बुलंदियों पर पहुंचाने में यहां के थिएटरों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। भारत के पहले थिएटर का नाम चैपलिन सिनेमा था, जिसे कोलकाता में जमशेदजी फ्रामजी मदन ने 1907 में बनवाया था। 1980 के आसपास इसकी स्थिति काफी खराब हो गई और इसे बंद करना पड़ा। 2013 में कोलकाता नगर निगम द्वारा इसे धवस्त कर दिया गया। कैपिटल सिनेमा (मुंबई), प्रिया सिनेमा (कोलकाता), डिलाइट सिनेमा (दिल्ली) और रीगल सिनेमा (दिल्ली) पुराने थिएटरों में शुमार थे।
पृथ्वीराज का पृथ्वी थिएटर सिनेमा का गौरव
जब भी भारतीय रंगमंच की चर्चा होगी तो दिवंगत अभिनेता पृथ्वीराज कपूर का नाम जरूर लिया जाएगा। उन्होंने पृथ्वी थिएटर की शुरुआत करके रंगमंच को एक नया आयाम दिया था। पृथ्वीराज ने 1944 में परंपरागत थिएटरों से अलग आधुनिक शहरी थिएटर की अवधारणा के रूप में पृथ्वी थिएटर का आगाज किया। इस थिएटर ने अनगिनत प्रस्तुतियां दी थीं। इस थिएटर के कलाकार अलग-अलग शहरों में घूम-घूम कर नाटक करते थे।
NSD है थिएटर की पढ़ाई के लिए शीर्ष संस्थान
थिएटर की पढ़ाई के लिए राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय (NSD) भारत का शीर्ष संस्थान है। NSD की स्थापना 1959 में संगीत नाटक अकादमी द्वारा की गई थी। 1975 में यह एक स्वतंत्र संस्था बन गई। अब इसे भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के तहत मान्यता प्राप्त है। NSD नई दिल्ली के मंडी हाउस में स्थित है, जो शहर में कलात्मक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र है। इस संस्थान के वर्तमान अध्यक्ष अभिनेता परेश रावल हैं।
थिएटर ने दिए फिल्म इंडस्ट्री को ये सितारे
शाहरुख खान का नाम उन सितारों में शामिल हैं, जिन्होंने थिएटर से अपने करियर की शुरुआत की थी। उन्होंने थिएटर में अपनी फिल्मों के टिकट तक बेचे हैं। कॉलेज की पढ़ाई के दौरान ही शबाना आजमी थिएटर में सक्रिय हो गई थीं। शबाना ने हिंदी थिएटर भी चलाया है। NSD में दाखिला लेने के बाद नसीरुद्दीन शाह ने लंबे वक्त तक थिएटर में काम किया। पंकज त्रिपाठी और नवाजुद्दीन सिद्दीकी के अभिनय को थिएटर ने ही निखारा।
नाटकों पर बन चुकी हैं ये बॉलीवुड फिल्में
महान नाटककार विलियम शेक्सपियर के नाटकों पर कई बॉलीवुड फिल्में बन चुकी हैं। रोहित शेट्टी की हालिया आई 'सर्कस' शेक्सपियर के नाटक 'द कॉमेडी ऑफ एरर्स' पर आधारित है। इसी नाटक पर गुलजार ने 1982 में फिल्म 'अंगूर' बनाई थी। आमिर खान की 'कयामत से कयामत तक' (1988) शेक्सपियर के नाटक 'द रोमियो एंड जूलियट' पर केंद्रित है। भारत की पहली फीचर फिल्म 'राजा हरिशचंद्र' दादा साहब फाल्के ने बनाई जो, भारतेंदु हरिशचंद्र के नाटक 'हरिशचंद्र' पर आधारित थी।
27 मार्च को मनाया जाता है वर्ल्ड थिएटर डे
प्रत्येक साल थिएटर को बढ़ावा देने के लिए दुनियाभर में 27 मार्च को वर्ल्ड थिएटर डे मनाया जाता है। इसका मकसद समाज और लोगों को रंगमंच की संस्कृति से जोड़ना है। इसके जरिए दुनियाभर में थिएटर को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जाता है। इस दिन नुक्कड़ नाटक, स्टेज शो और थिएटर में परफॉर्मेंस के कार्यक्रम रखे जाते हैं। इसकी शुरुआत 1961 में इंटरनेशनल थिएटर इंस्टीट्यूट द्वारा की गई थी।