ऑस्कर से कैंसर तक, किसी फिल्म से कम नहीं थी नरगिस की जिंदगी
नरगिस दत्त वो चमकता सितारा हैं, जिससे भारतीय सिनेमा हमेशा रोशन रहेगा। नरगिस की खूबसूरती तो मशहूर थी ही, उनकी अदाकारी के फिल्ममेकर्स भी कायल थे। उन्होंने हिंदी सिनेमा को 'मदर इंडिया', 'आवारा', 'बरसात', 'काला बाजार', 'श्री 420' जैसी फिल्में दी हैं। शादी के बाद नरगिस ने करियर छोड़ दिया और अपना घर संभालने का जिम्मा उठाया। नरगिस का जन्म 1 जून, 1929 को कोलकाता में हुआ था। उनकी जयंती के मौके पर जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ खास बातें।
फातिमा से बन गईं नरगिस
नरगिस का असली नाम फातिमा राशिद था। नरगिस ने अपने अभिनय करियर की शुरुआत बाल कलाकार के रूप में की थी। उन्होंने 1935 में आई फिल्म 'तलाश-ए-हक' से बाल कलाकार के रूप में बड़े पर्दे पर कदम रखा था। इस फिल्म को नरगिस की मां जद्दनबाई ने ही प्रोड्यूस किया था। इस फिल्म के क्रेडिट्स में ही पहली बार फातिमा का नाम नरगिस लिखा गया। इसके बाद वह इसी नाम से पहचानी जाने लगीं।
राज कपूर के साथ था अफेयर
राज कपूर और नरगिस की जोड़ी आज भी बड़े पर्दे की बेमिसाल जोड़ियों में से एक है। सिर्फ ऑनस्क्रीन ही नहीं, दोनों के ऑफस्क्रीन रोमांस के भी हर तरफ चर्चे थे। नरगिस राज कपूर से शादी करना चाहती थीं, लेकिन राज कपूर पहले से शादीशुदा थे। इस वजह से उनका रिश्ता खत्म हो गया। नरगिस से अलग होकर राज कपूर बुरी तरह टूट गए थे। उनकी पत्नी कृष्णा ने एक बार खुलासा किया था कि वह घंटों रोते रहते थे।
'मदर इंडिया' में किया शानदार काम
नरगिस 28 साल की थीं जब उन्होंने फिल्म 'मदर इंडिया' में शानदार परफॉर्मेंस दी थी। फिल्म 1957 में रिलीज हुई थी। यह फिल्म ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होने वाली पहली भारतीय फिल्म थी। इस फिल्म के लिए नरगिस ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का फिल्मफेयर पुरस्कार जीता था। कहा जाता है कि इस फिल्म ने ही नरगिस को सुनील दत्त के करीब लाने का काम किया था। फिल्म रिलीज होने के अगले साल 1958 में नरगिस और सुनील ने शादी की थी।
सुनील दत्त और नरगिस यूं बने हमसफर
फिल्मों में आने से पहले सुनील रेडियो में काम करते थे। एक इंटरव्यू के सिलसिले में दोनों की पहली मुलाकात हुई थी। इसके बाद जब सुनील फिल्मों में अपने लिए काम ढूंढ रहे थे, तब वे फिर नरगिस से मिले। इनकी नजदीकियां फिल्म 'मदर इंडिया' के सेट पर बढ़ीं। रिपोर्ट्स के अनुसार एक बार फिल्म के सेट पर आग लग गई। नरगिस को बचाने के लिए सुनील आग में कूद गए। इसके बाद ही नरगिस सुनील पर दिल हार बैठीं।
न्यूजबाइट्स प्लस
उस दौर में ग्लोबल फैशन भारत में दस्तक दे रहा था, लेकिन नरगिस ने अपना देसी अंदाज नहीं छोड़ा। उन्हें सफेद रंग की साड़ियां बेहद पसंद थीं और अकसर उसमें ही नजर आती थीं। इसलिए, उन्हें 'लेडी इन वाइट' कहा जाने लगा।
झेला कैंसर का दर्द
पति और तीन बच्चों के साथ खुशी-खुशी जी रहीं नरगिस के जीवन में कैंसर ने उथल-पुथल मचा दी। नरगिस को पैनक्रिएटिक कैंसर होने का पता चला था। न्यूयॉर्क में कैंसर का इलाज करवाकर नरगिस भारत लौट आईं। यहां उनकी तबीयत बिगड़ती चली गई और वह कोमा में चली गईं। 3 मई, 1981 को नरगिस का देहांत हो गया। इसके चंद दिनों बाद ही नरगिस के बेटे संजय दत्त की डेब्यू फिल्म 'रॉकी' रिलीज हुई थी।