
कान्स में कब शुरू हुआ था भारत का सफर? इन भारतीय फिल्मों को मिल चुका सम्मान
क्या है खबर?
दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित और भव्य फिल्म महोत्सवों में शुमार कान्स फिल्म फेस्टिवल का आगाज हो गया है। यह इस समारोह का 78वां संस्करण है, जो 24 मई तक फ्रांस के पैलास डेस फेस्टिवल्स आयोजित किया जाएगा।
दुनियाभर की जानी-मानी हस्तियां इस समारोह में शामिल हो रही हैं।
क्या आप जानते हैं कि कान्स में भारत की यात्रा कितने साल पुरानी है और यहां किन भारतीय फिल्मों को पुरस्कार से नवाजा जा चुका है?
आइए सबकुछ विस्तार से जानें।
शुरुआत
कान्स में इतिहास रचने वाली पहली भारतीय फिल्म
कान्स का हिन्दुस्तान से खास रिश्ता है। इस कड़ी की शुरुआत 1946 में देव आनंद के भाई चेतन आनंद की फिल्म 'नीचा नगर' से हुई थी।
पहली बार इसी फिल्म ने भारत का मान कान्स में बढ़ाया था। 'नीचा नगर' को फेस्टिवल के सबसे सम्मानित ग्रैंड प्रिक्स पुरस्कार से भी नवाजा गया और इतिहास रच दिया।
इसे 1980 के दशक में दूरदर्शन पर प्रसारित किया गया था। फिल्म में कामिनी कौशल और अदा सहगल लीड रोल में नजर आए थे।
प्रसिद्धि
....जब पहली बार भारतीय सिनेमा की दुनियाभर में हुई चर्चा
'नीचा नगर' का नाम सुनते ही अब भी भारतीय सिनेमा का सिर फख्र से ऊंचा हो जाता है।
ये उस वक्त की फिल्म है, जब सत्यजीत रे का सिनेमा के पटल पर उदय भी नहीं हुआ था। भारतीय सिनेमा को विश्व परिदृश्य पर चर्चा दिलाने का पहला काम चेतन आनंद ने ही किया।
यूट्यूब पर मौजूद मैक्सिम गोर्की के नाटक 'द लोअर डेप्थ्स' से प्रेरित 'नीचा नगर' समाज में अमीर और गरीब के बीच के अंतर को दिखाती है।
सम्मान
अब तक इन भारतीय फिल्मों को मिला सम्मान
साल 1954 में बिमल रॉय की फिल्म 'दो बीघा जमीन' को कान्स में इंटरनेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया था। 1955 में 'बूट पॉलिश' को स्पेशल मेंशन- चाइल्ड आर्टिस्ट तो साल 1956 में महान निर्देशक सत्यजीत रे की 'पथेर पांचाली' को बेस्ट ह्यूमन डॉक्यूमेंट अवॉर्ड मिला।
साल 1983 में मृणाल सेन की 'खारिज' ने जूरी पुरस्कार जीता तो 1988 में मीरा नायर की फिल्म 'सलाम बॉम्बे' ने कैमरा डी'ओर ऑडियंस अवॉर्ड जीतकर भारत का नाम दुनियाभर में रोशन किया।
जानकारी
ये भारतीय फिल्में भी कतार में शामिल
'पिरावी', 'सैम एंड मी', 'प्रिंटेड रेनबो', इरफान खान की 'द लंचबॉक्स', विक्की कौशल की फिल्म 'मसान' भी कान्स में सम्मान पा चुकी है। उधर 'ऑल देट ब्रीद्स' से पायल कपाड़िया की 'ऑल वी इमेजिन एज लाइट' तक काे कान्स में सम्मानित किया जा चुका है।
ज्यूरी
कान्स में जज की कुर्सी पर बैठीं ये बॉलीवुड हस्तियां
इस साल भारतीय फिल्म निर्देशक पायल कपाड़िया ने कान्स में बतौर जूरी सदस्य हिस्सा लिया।
ऐश्वर्या राय 2003 में कान्स जूरी की पहली भारतीय महिला अदाकारा रही हैं। उनके बाद साल 2005 में अभिनेत्री और निर्माता, निर्देशक नंदिता दास को जूरी सदस्य के तौर पर चुना गया था।
दिग्गज अभिनेत्री शर्मिला टैगोर ने 2009 में, विद्या बालन ने 2013 में, शेखर कपूर ने 2010 में तो 2022 में दीपिका पादुकोण ने कान्स के जूरी पैनल में अपनी जगह बनाई थी।