UPSC के लिए मॉक टेस्ट देना कब से शुरू करें और किन बातों का रखें ध्यान?
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की सिविल सेवा परीक्षा (CSE) में सफल होने के लिए मॉक टेस्ट देना बेहद जरूरी है। परीक्षा के लिए गंभीर सभी उम्मीदवार मॉक टेस्ट के महत्व को अच्छी तरह जानते हैं। मॉक टेस्ट देने से प्रदर्शन सुधरता है और इसके साथ ही परीक्षा के पैटर्न को समझने में मदद मिलती है। समय के साथ UPSC परीक्षा में कठिनाई का स्तर बढ़ रहा है, ऐसे में उम्मीदवारों को सही रणनीति के साथ मॉक टेस्ट देने चाहिए।
शुरूआत में न दें फुल लेंथ मॉक टेस्ट
UPSC की तैयारी के अलग-अलग चरण होते हैं। अगर आप पहले चरण में हैं और NCERT और बुनियादी किताबों को पढ़ रहे हैं तो फुल लेंथ मॉक टेस्ट न दें। इस समय आप विषय अनुसार टेस्ट का अभ्यास करें। बुनियादी तैयारी के बाद आप फुल लेंथ मॉक टेस्ट देना शुरू कर दें। पूरी तैयारी खत्म होने का इंतजार न करें। शुरुआत में 15 दिन में एक मॉक टेस्ट देने का प्रयास करें। बाद में टेस्ट की संख्या बढ़ा दें।
प्रारंभिक परीक्षा से पहले देने चाहिए इतने मॉक टेस्ट
UPSC परीक्षा पास करने और परीक्षा के डर को खत्म करने के लिए 40 से 50 प्रतिशत पाठ्यक्रम पूरा होने के बाद नियमित रूप से मॉक टेस्ट का अभ्यास करें। प्रारंभिक परीक्षा से पहले उम्मीदवारों को 30 से 40 मॉक टेस्ट देने की सलाह दी जाती है। सिर्फ टेस्ट देना ही काफी नहीं है, हर टेस्ट के समाधानों को पढ़ना भी जरूरी है। समाधान पढ़ने से ही नई जानकारियां मिलेंगी और मुख्य परीक्षा का आधार बनेगा।
टेस्ट सीरीज का चुनाव कैसे करें?
ऑनलाइन या ऑफलाइन टेस्ट सीरीज चुनते समय UPSC मानकों का ध्यान रखना चाहिए। टेस्ट को पढ़कर देखें और विश्लेषण करें कि इसमें सभी विषय शामिल हैं या नहीं। कुछ कोचिंग संस्थान अपने मॉक टेस्ट में बहुत कठिन प्रश्न देते हैं, जबकि वास्तव में परीक्षा में ऐसे सवाल नहीं पूछे जाते। इन्हें हल करने से समय बर्बाद होगा। टेस्ट सीरीज चुनते समय प्रश्नों की कठिनाई का स्तर देखने की बजाय UPSC परीक्षा में संभावित प्रश्नों के स्तर को देखें।
समय का रखें ध्यान
कई उम्मीदवार मॉक टेस्ट को किताब की तरह पढ़ते हैं और समयानुसार हल नहीं करते। इससे उनका प्रदर्शन खराब होता है। UPSC परीक्षा में सफल होने के लिए आपको टाइमर लगाकर टेस्ट देना चाहिए। टेस्ट देते समय बिल्कुल परीक्षा जैसा माहौल बनाएं। अकेले कमरे में टेस्ट दें। मोबाइल फोन को दूर रख दें। परीक्षा में नेगेटिव मार्किंग होती है, मॉक टेस्ट में भी इसका ध्यान रखें। जिन प्रश्नों के बारे में आपको कोई जानकारी नहीं है, उनका उत्तर न दें।
प्रश्नों को दोबारा दोहराएं
मॉक टेस्ट में कम नंबर आने पर प्रश्नों को दोहराएं। उनसे संबंधित जानकारियों को बार-बार पढ़ें। मॉक टेस्ट में अपने प्रदर्शन का विश्लेषण करें। आप किन विषयों में अच्छे अंक हासिल कर रहे हैं, उन्हें नोट करें। अपने कमजोर क्षेत्रों की पहचान करें। जिन सवालों को हल नहीं कर पाए हैं, उन्हें बार-बार पढ़ें। कुछ महत्वपूर्ण विकल्पों को भी तैयार करें। विश्लेषण के आधार पर तय करें कि टेस्ट में कितने सवाल हल करना सही रहेगा।