हर प्रतियोगी परीक्षा में फेल होने वाले लक्ष्य ने UPSC परीक्षा में हासिल की 38वीं रैंक
क्या है खबर?
संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) की परीक्षा सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक मानी जाती है।
इस परीक्षा में शामिल होने वाले उम्मीदवारों के बीच यह आम धारणा होती है कि इसे पास करना सामान्य छात्रों के बस की बात नहीं है, लेकिन IAS लक्ष्य सिंघल की सफलता की कहानी इस धारणा के विपरीत है।
लक्ष्य कई प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हुए लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली और जब उन्होंने UPSC की परीक्षा दी तो वे इसमें सफल हो गए।
जानकारी
लक्ष्य के घरवालों को नहीं था उन पर विश्वास
लक्ष्य दिल्ली के रहने वाले हैं और वे पढ़ाई में कोई खास नहीं थे। इसी कारण उनके घरवालों को भी उनके ऊपर विश्वास नहीं था कि वे UPSC जैसी परीक्षा पास कर पाएंगे।
हालांकि, कक्षा 10 में अच्छे अंक आने के बाद घरवालों ने उन्हें UPSC की तैयारी करने की अनुमति दे दी।
कक्षा 12 की पढ़ाई के बाद उन्होंने इंजीनियरिंग करने का फैसला किया। उन्होंने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है, लेकिन वह कंप्यूटर इंजीनियरिंग करना चाहते थे।
इंजीनियरिंग
इंजीनियरिंग के दौरान UPSC से जुड़ी जानकारियां जुटाने में लग गए थे लक्ष्य
इंजीनियरिंग की पढ़ाई तो लक्ष्य सिंघल शुरू कर चुके थे, लेकिन उनके मन में कुछ और ही चल रहा था।
वह असल में IAS अधिकारी बनना चाहते थे। इंजीनियरिंग के दौरान उनका रुझान UPSC की तरफ हुआ।
लक्ष्य बताते हैं कि इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान ही उन्होंने UPSC परीक्षा से संबंधित जानकारियां जुटानी शुरू कर दीं।
उन्होंने इसके लिए कोचिंग भी ज्वाइन कर ली थी और इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होते ही उन्होंने UPSC की तैयारी शुरू कर दी।
कोचिंग
UPSC की तैयारी के लिए लक्ष्य ने ली थी कोचिंग
लक्ष्य ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली में कोचिंग करने का फैसला किया। हालांकि, वे अपने इस कोचिंग के अनुभव को बहुत खराब मानते हैं।
वे कहते हैं दिल्ली में कोचिंग संस्थानों को इतना ज्यादा व्यवसायीकरण कर दिया गया है कि वहां हर जगह लोग पैसा लूटने बैठे हैं।
वह कहते हैं कि किसी परीक्षा में सफल होने के लिए जरूरी नहीं कि उम्मीदवार घर से दूर ही रहे।
परीक्षा
UPSC के पहले प्रयास में सिर्फ छह अंक से चूके थे लक्ष्य
दिल्ली में सिविल सर्विस परीक्षा के लिए कोचिंग में तैयारी सही से न हो पाने के कारण लक्ष्य ने घर पर ही रहकर तैयारी करने का फैसला किया।
उन्होंने रणनीति बनाकर सीमित संसाधनों के माध्यम से पढ़ाई करी और बार-बार उन्हीं किताबों को रिवाइज किया।
इसी के बल पर वे पहले ही प्रयास में पहले प्रारंभिक, फिर मुख्य परीक्षा और बाद में इंटरव्यू के चरण तक पहुंच गए।
हालांकि इंटरव्यू राउंड में उनका छह अंकों से चयन रुक गया।
सीख
पहले प्रयास में की गलतियों से लक्ष्य ने ली सीख
लक्ष्य बताते हैं कि पहले प्रयास में चयनित न होने के बाद उन्होंने अपनी कमियों को देखा और 10 दिन केवल इस पर व्यतीत किए कि इन्हें दूर कैसे किया जाए।
अपने दूसरे प्रयास में लक्ष्य ने वो गलतियां नहीं दोहराईं। इसी दौरान उन्होंने यह भी तय कर लिया था कि अगर उनका इस बार चयन नहीं होता है तो वे यह राह छोड़कर कुछ और करेंगे, लेकिन दूसरे प्रयास में उन्होंने ऑल इंडिया 38वीं रैंक हासिल की।