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अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने दो इस्लामी विद्वानों की किताबों को अपने सिलेबस से हटाया
AMU ने दो इस्लामिक विद्वानों की किताबों को इस्लामिक स्टडीज विभाग के सिलेबस से हटाने का किया फैसला

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय ने दो इस्लामी विद्वानों की किताबों को अपने सिलेबस से हटाया

लेखन तौसीफ
Aug 03, 2022
04:00 pm

क्या है खबर?

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) ने पाकिस्तान और मिस्र के दो इस्लामिक विद्वानों द्वारा लिखी गई किताबों को इस्लामिक स्टडीज विभाग के सिलेबस से हटाने का फैसला किया है। विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने इस निर्णय के पीछे का कारण बताते हुए कहा कि उन्हें कुछ शिकायतें मिली थी, जिसमें लेखकों की शिक्षाएं 'आपत्तिजनक' बताई गई थीं। बता दें कि इन लेखकों पर आरोप हैं कि ये इस्लामिक स्टेट के हिमायती रहे हैं।

किताब

मौलाना अबुल आला मौदूदी और सैयद कुतुब की लिखी किताबें सिलेबस से हटाई गईं

विश्वविद्यालय के अधिकारियों के मुताबिक, जिन दो लेखकों की किताबों को सिलेबस से हटाया गया है उनका नाम मौलाना अबुल आला मौदूदी (पाकिस्तान) और सैयद कुतुब (मिस्र) है। बता दें कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने ये फैसला देश कि 25 शिक्षाविदों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखे जाने के बाद लिया है। मोदी को लिखे पत्र में शिक्षाविदों ने इन लेखकों की किताबों से छात्रों को नहीं पढ़ाए जाने की मांग की गई थी।

पत्र

प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में मौदूदी को लेकर क्या बाते लिखी गईं थीं?

शिक्षाविदों ने AMU, जामिया मिलिया इस्लामिया और हमदर्द विश्वविद्यालय सहित राज्यों के अनुदान से चलने वाली कई विश्वविद्यालयों में इन दो लेखकों की किताबों द्वारा पढ़ाई कराए जाने पर एतराज जताया गया था। मोदी को लिखी चिट्ठी में दावा किया गया कि हिंदू समाज और संस्कृति पर लगातार हो रहे हमले ऐसे पाठ्यक्रम का प्रत्यक्ष परिणाम हैं। पत्र में दावा किया गया कि मौदूदी हर जगह गैर मुसलमानों के नरसंहार किए जाने का समर्थन करता रहा है।

जानकारी

मौदूदी और कुतुब कौन थे?

1903 मे हैदराबाद में जन्मे मौदूदी जमात-ए-इस्लामी हिंद के संस्थापकों में से एक हैं। उन्होंने 100 से अधिक किताबें लिखी हैं। मुस्लिम देशों के अलावा अरब देशों के शासक भी उनकी किताबों से प्रभावित थे। वहीं कुतुब का जन्म 1906 में मिस्र में हुआ था। वे 20वीं सदी के प्रमुख इस्लामी विचारकों में से एक थे और अपने वयस्क जीवन में वह एक कवि, साहित्यिक आलोचक और सामाजिक आलोचक के रूप में मिस्र में धर्मनिरपेक्ष साहित्यिक आंदोलन का हिस्सा थे।

पढ़ाई

BA से लेकर PhD तक पढ़ाई जाती हैं मौदूदी की किताबें

एबीपी न्यूज से बात करते हुए AMU के इस्लामिक स्टडीज विभाग के चेयरमैन मोहम्मद इस्माइल ने कहा कि मौदूदी की किताबें विश्वविद्यालय में BA से लेकर PhD तक में है। मौदूदी की एक किताब 'इस्लामिक लॉ एंड कॉन्स्टिट्यूशन जो MA में पढ़ाई जाती है, वह भारतीय संविधान के खिलाफ है' के सवाल पर इस्माइल ने कहा कि वह किताब कुरान और सुन्ना के हिसाब से है, यहां का जो संविधान है वह अलग है।

विवाद

विवाद से बचने के लिए सिलेबस से हटाए जाएंगे लेख- जनसंपर्क अधिकारी

AMU के सिलेबस से इन दो लेखकों की किताबों को हटाए जाने की पुष्टि करते हुए विश्वविद्यालय के जनसंपर्क अधिकारी शाफे किदवई ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, "विश्वविद्यालय में किसी भी विवाद से बचने के लिए सिलेबस से उनके लिखे भागों को हटाने का निर्णय लिया गया है।" उन्होंने आगे कहा, "वर्षों से परिस्थितियां काफी बदली हैं। जो बरसों पहले पढ़ाने लायक समझा जाता था, वह अब पढ़ाने लायक नहीं समझा जाता...।"