सोमवार को शेयर बाजार में भारी गिरावट के पीछे क्या कारण रहे?
सोमवार को भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की गई। ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों और वैश्विक केंद्रीय बैंकों की तरफ से कड़ी नीतियों के संकेतों के बीच निवेशकों में चिंता बनी हुई है और भारी बिकवाली देखी जा रही है। सोमवार को शेयर बाजार का सेंसेक्स 1,189 अंक गिरकर 55,822 और निफ्टी 371 अंक गिरकर 16,664 पर बंद हआ। जापान, चीन और हांगकांग समेत दूसरे एशियाई बाजारों में भी ऐसा ही हाल देखने को मिला।
कई बड़े शेयरों में आई गिरावट
सोमवार को लंबे समय बाद दलाल स्ट्रीट में बिकवाली का ऐसा माहौल देखने को मिला। रिलायंस इंडस्ट्रीज में 3.19 प्रतिशत, HDFC बैंक के शेयर में 3.01 प्रतिशत, टाटा स्टील में 4.76 प्रतिशत और टाटा मोटर्स के शेयर में 5.01 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गई। इसी तरह SBI, NTPC और बजाज फाइनेंस के शेयरों में गिरावट देखी गई है। दूसरी तरफ हिंदुस्तान लीवर और डॉ रेड्डीज आज निवेशकों को मुनाफा देने वाले शेयर रहे।
विदेशी निवेशक निकाल रहे हैं पैसा
वैश्विक बैंकों से ब्याज दरों में बढ़ोतरी के संकेतों के बीच विदेशी निवेशक भारतीय बाजार से अपना पैसा वापस निकाल रहे हैं। ये निवेशक 1 अक्टूबर से 17 दिसंबर के बीच 76,526 करोड़ रुपये और अकेले दिसंबर महीने में 25,000 करोड़ रुपये से अधिक पैसा निकाल चुके हैं। इसके अलावा बेहतर रिटर्न्स के लिए भी विदेशी निवेशक अपना पैसा खींच रहे हैं। इस वजह से आज अधिकतर बड़े शेयरों में गिरावट देखी गई।
बढ़ती ब्याज दरों ने बढ़ाई निवेशकों की चिंता
US फेडरल रिजर्व जैसे कई बड़े वैश्विक बैंक बढ़ती महंगाई को रोकने के लिए ब्याज दरें बढ़ाने के संकेत दे चुके हैं। वहीं बैंक ऑफ इंग्लैंड ने शुक्रवार को पॉलिटी रेट में इजाफा किया था। भारतीय रिजर्व बैंक भी अगले साल दरें बढ़ा सकता है। अगर ये बैंक दरों में बढ़ोतरी जारी रखते हैं तो विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजार से पैसा निकालना भी जारी रहेगा और आने वाले हफ्तों में यह और रफ्तार पकड़ सकता है।
ओमिक्रॉन वेरिएंट भी पसार रहा है पैर
कोरोना वायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के प्रसार ने भी निवेशकों को सतर्क कर दिया है। ओमिक्रॉन के बढ़ते मामलों के कारण अगर यात्रा संबंधी पाबंदियां और लॉकडाउन लगते हैं तो वो अर्थव्यवस्था को प्रभावित करेंगे। साथ ही इसने अनिश्चितता का माहौल बना दिया है। वहीं कोरोना की पहली और दूसरी लहर से झटका खाई भारतीय अर्थव्यस्था अभी उभरने के प्रयास में हैं और अगर यहां ओमिक्रॉन के मरीज बढ़ते हैं तो इसके लिए यह बड़ा झटका हो सकता है।
निवेशकों को क्या करना चाहिए?
कई जानकारों का कहना है कि लंबे समय के लिए निवेश करके बैठे निवेशकों को घबराने की जरूरत नहीं है। पिछले साल भी बाजार में ऐसी गिरावट देखी गई थी, लेकिन चीजों पर नियंत्रण होते ही यह तेजी से रिकवर हुई थी। वहीं कुछ मान रहे हैं कि अभी तक पिछली गिरावट का असर पूरी तरह दूर नहीं हुआ है और ताजा स्थितियों को देखते हुए निवेशकों को सतर्क रहने की जरूरत है।