पिछले चार सालों में NPA के रूप में बैंकों को 2.17 लाख करोड़ रुपये का नुकसान
क्या है खबर?
पिछले चार सालों में भारतीय बैंकों को नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स (NPA) के रूप में 2.17 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
100 करोड़ रुपये से ऊपर कर्ज लेने वाले कुल 525 कर्जदारों के कर्ज को NPA में डाला गया है और औसतन हर कर्जदार पर बैंकों को 413 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
ये पहली बार ये है जब 100 करोड़ रुपये से अधिक कर्ज लेने वाले बड़े कर्जदारों के आंकड़े सामने आए हैं।
जानकारी
मीडिया संगठन की RTI से हुआ खुलासा
बीते दिनों भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने सभी बैंकों को NPA में डाले जाने वाले कर्ज की जानकारी देने का आदेश जारी किया था। इसके बाद मीडिया संगठन CNN-न्यूज 18 ने इससे संबंधित आकंड़े हासिल करने के लिए कई RTI दायर की थीं।
नॉन-परफॉर्मिंग एसेट्स
क्या होता है NPA?
अगर किसी कर्ज की वसूली के सारे प्रयास व्यर्थ रहते हैं और बैंक को लगता है कि उसे कर्ज के पैसे वापस नहीं मिलेंगे तो वो उसे NPA में डाल देते हैं यानि भूल जाते हैं।
NPA में डाला गया कर्ज बैंक के बहीखाते से अलग रहता है, हालांकि इस बीच वो कर्ज वसूली के प्रयास करते रहते हैं। लेकिन NPA में 15-20 प्रतिशत की ही वसूली हो पाती है।
कई बार NPA को माफ भी कर दिया जाता है।
रिपोर्ट
2014 के बाद NPA में डाले गए कर्ज में हुई लगातार वृद्धि
इन RTI के जवाबों में सामने आया है कि 2014-15 के बाद सरकारी और निजी बैंकों द्वारा NPA में डाले गए कर्ज में लगातार वृद्धि देखने को मिली है।
2015 से 2018 के बीच अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को NPA के कारण कुल 2.17 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
आंकड़ों के अनुसार, जहां 2014-15 में 109 कर्जदारों का 40,798 करोड़ रुपये कर्ज NPA में गया, वहीं 2015-16 में ये आंकड़ा 199 कर्जदारों के 69,976 करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
आंकड़े
पिछले दो सालों से NPA में हर साल 70 प्रतिशत की वृद्धि
इसके बाद के दो सालों में NPA और कर्जदारों की संख्या में सबसे अधिक तेजी से वृद्धि देखने को मिली।
2016-17 में इसमें 72 प्रतिशत वृद्धि हुई और कुल 343 कर्जदारों के 1,27,797 करोड़ रुपये NPA में डाले गए।
अगले साल भी यही स्थिति रही और NPA में लगभग 70 प्रतिशत की वृद्धि देखने को मिली। 2017-2018 में ये बढ़कर 525 कर्जदारों के कुल 2.17 लाख करोड़ रुपये कर्ज तक पहुंच गया।
जानकारी
नोटबंदी के बाद NPA में तेजी से वृद्धि
आंकड़ों के विश्लेषण से सामने आता है कि 8 नवंबर, 2016 को नोटबंदी की घोषणा के बाद के दो सालों में NPA में शामिल किए गए कर्ज में सबसे अधिक तेजी से वृद्धि देखने को मिली है।
प्रभाव
बैंकों पर छाए संकट का एक बड़ा कारण है NPA
बता दें कि भारत के कई बैंकों पर छाए आर्थिक संकट का कारण बड़े कर्जदारों के कर्ज न चुकाने और इससे बैंकों को होेने वाले नुकसान को भी माना जाता है।
यही कारण है कि मौजूदा सरकार का एक लक्ष्य NPA को घटाना भी रहा है। हालांकि, आंकड़े अलग ही तस्वीर पेश करते हैं।
इस बीच सरकार बैकों को अधिक पैसा देकर और उनके पुनर्गठन के जरिए लगातार उन्हें बचाने की कोशिश कर रही है।