बॉम्बे हाई कोर्ट ने पूछा- नोटों का साइज क्यों बदला? RBI ने दिया यह अजीब तर्क
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने नोटों के साइज बदलने के पीछे अजीब तर्क दिया है। RBI ने गुरुवार को बॉम्बे हाई कोर्ट को बताया कि भारतीय मुद्रा को डॉलर जैसी विदेशी मुद्राओं के बराबर और पर्स में आ सकने वाली बनाने के लिए नोटों का साइज बदला गया है। साथ ही केंद्रीय बैंक ने कहा कि अब नोटों के साइज में और बदलाव नहीं होंगे। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
RBI ने रखा यह तर्क
हाई कोर्ट में दाखिल किये जवाब में RBI ने कहा कि नोटों को वॉलेट-फ्रेंडली बनाने के लिए उनका साइज बदला गया। इस पर हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश प्रदीप नंदराजोग ने मजाकिया लहजे में कहा, "मुझे नहीं पता था कि RBI फैशन को लेकर इतना संजीदा हो गया है। अब नोट वॉलेट-फ्रेंडली हो गये हैं, वॉलेट पॉकेट-फ्रेंडली हो जाएगा और पॉकेट बैंक-फ्रेंडली बन जाएगी।" जज ने आगे पूछा कि आपको यह समझने में इतना समय लगा?
RBI ने चार हफ्तों में दाखिल किया जवाब
हाई कोर्ट ने RBI से नोटों का साइज बदलने को लेकर सवाल पूछा था। इसका जवाब देने में RBI ने चार हफ्ते लिये। इसके बाद कोर्ट ने बैंक से यह समझाने को कहा कि उसने नोटों के साइज और फीचर में बदलाव क्यों किए। RBI गुरुवार को इस लेकर शपथ-पत्र देने नहीं दे पाया। RBI के वकील ने हाई कोर्ट को बताया कि 1967 से लेकर 2019 तक केवल एक बार नोटों का साइज बदला गया है।
RBI की मोबाइल ऐप को लेकर कोर्ट ने कहा ये
RBI दृष्टिबाधित लोगों को नोट की पहचान कराने के लिए एक मोबाइल ऐप लाने पर विचार कर रहा है। इस पर कोर्ट ने कहा कि दृष्टिबाधित लोगों के लिए नोटों को हाथ से छूकर महसूस करने से बेहतर विकल्प नहीं है। कोई भी तकनीक इसे बदलने में कामयाब नहीं हो सकती। कोर्ट ने कहा कि कुदरत के अपने तरीके है। दृष्टिबाधित लोग उभरी हुई चीजों को महसूस कर सकते हैं। आपको (RBI) यह बात समझनी चाहिए।
दृष्टिबाधित लोगों के लिए नोटों पर ये फीचर
RBI के वकील ने कोर्ट को बताया को 100 रुपये से अधिक की कीमत वाले नोटों पर एक खास तरह का पैटर्न है जिसे 'ब्लीड लाइन' कहा जाता है। इस पर नेशनल एसोसिएशन फॉर ब्लाइंड के वकील उदय वारुंजिकर ने कहा कि ये लाइन कुछ ही दिनों में साफ हो जाती है। इस पर RBI के वकील ने कहा कि ऐसा नहीं होगा क्योंकि ज्यादा कीमत वाले नोट छोटे नोटों के मुकाबले कम इस्तेमाल होते हैं।
जज ने दिया कश्मीर का संदर्भ
इसके बाद कोर्ट ने पूछा कि कम कीमत वाले नोटों पर ब्लीड लाइन क्यों है। बेंच ने RBI से कहा कि दृष्टिबाधित लोगों के लिए चीजें आसान करने पर काम करना चाहिए। बैंक ने कहा कि वह ऐसे लोगों के लिए ऐप ला रहा है। इस पर कोर्ट ने कश्मीर का संदर्भ देते हुए कहा कि उस राज्य में नेटवर्क नही हैं। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए संचार पर पाबंदी है। ऐसे में वहां के दृष्टिबाधित लोगों का क्या होगा।
बिना इंटरनेट चलेगी ऐप
हाई कोर्ट के इस सवाल पर RBI के वकील ने कहा कि डाउनलोड होने के बाद उस ऐप के लिए इंटरनेट की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि, उन्होंने कहा कि वह इस बारे में पूरी तरह आश्वस्त नहीं है।