विकास दर कम रहने का शेयर बाजार पर भारी असर, सेंसेक्स और निफ्टी में बड़ी गिरावट
अप्रैल-जून तिमाही में देश की GDP विकास दर कम रहने का असर मंगलवार को शेयर बाजार पर देखने को मिला। मुंबई के BSE सेंसेक्स में लगभग 800 अंकों की गिरावट दर्ज की गई। वहीं NSE निफ्टी का सूचकांक भी 200 से अधिक अंक लुढ़क गया। बता दें कि शुक्रवार को आए आंकड़ों में अप्रैल-जून तिमाही में विकास दर पांच प्रतिशत दर्ज की गई थी, जोकि पिछले 6 साल (मार्च 2013 के बाद) में सबसे कम है।
8 जुलाई के बाद सबसे बड़ी गिरावट
शुक्रवार को आई इस रिपोर्ट के बाद तीन दिन शेयर बाजार बंद रहे थे। लेकिन मंगलवार को जब शेयर बाजार खुले तो इसमें भारी गिरावट देखने को मिली। BSE सेंसेक्स दो प्रतिशत यानि 770 अंक लुढ़क कर 36,563 अंकों पर बंद हुआ। वहीं, NSE निफ्टी सूचकांक में भी दो प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली और वो 225 अंक गिरकर 10,798 अंकों पर बंद हुआ। 8 जुलाई के बाद दोनों बाजारों में दर्ज की गई ये सबसे बड़ी गिरावट है।
अमेरिका-चीन के टैरिफ वॉर का भी असर
शेयर बाजार में इस बड़ी गिरावट का मुख्य कारण देश की विकास दर कम रहने के अलावा अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर को भी माना जा रहा है। अमेरिका ने पिछले हफ्ते के अंत में चीन पर नए टैरिफ लगाए थे।
मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट का विकास दर पर असर
शुक्रवार को आए GDP आंकड़ों में विकास दर गिरने के कारणों में एक मुख्य कारण मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट को माना गया था। अगस्त में भी मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट देखने को मिली है। मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में गिरावट का एक कारण लोगों की खर्च करने की क्षमता में कमी आना भी है। विशेषज्ञों का मानना है कि लोग पैसे कम खर्च कर रहे हैं, जिसके कारण उत्पादों की मैन्युफैक्चरिंग भी कम हो रही है।
कई बड़ी कंपनियों को रोकना पड़ा है गाड़ियों का निर्माण
ऑटो सेक्टर अर्थव्यस्था के इस संकट की एक बानगी पेश करता है। इस सेक्टर में अप्रैल से अब तक 3.5 लाख से अधिक लोगों की नौकरी जा चुकी है। विशेषज्ञों का कहना है कि लोग गाड़ियां खरीद नहीं रहे हैं और इस कारण कई बड़ी कंपनियों को नई गाड़ियों का निर्माण रोकना पड़ा है। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी की बिक्री में अगस्त में 33 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
बैंकों के विलय के फैसले का भी नहीं हुआ कोई असर
शुक्रवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 10 सरकारी बैंकों का विलय करके चार बड़े सरकारी बैंक बनाने की घोषणा भी की थी। लेकिन मोदी सरकार का ये फैसला भी शेयर बाजार पर भी कोई असर डालने में नाकाम रहा। कॉर्पोरेशन बैंक और पंजाब नेशनल बैंकों के नेतृत्व वाले सरकारी बैंक स्टॉक में भी 9 प्रतिशत की गिरावट देखने को मिली। हालांकि सरकार के इस फैसले का पूरा असर आने वाले समय में ही साफ होगा।