लाल सागर में बढ़े हमलों का भारत पर दिखने लगा असर, निर्यातकों के लिए बढ़ी लागत
क्या है खबर?
ईरान समर्थित हूती विद्रोही लगातार लाल सागर में वाणिज्यिक जहाजों को निशाना बना रहे हैं। इस बीच अमेरिका और ब्रिटेन ने इन हमलों के खिलाफ अपनी जवाबी कार्रवाई तेज कर दी है।
हमलों की वजह से वाणिज्यिक जहाजों को दक्षिण अफ्रीका के सुरक्षित समुद्री मार्ग से होकर गुजरना पड़ रहा है। इससे पहले पश्चिमी देशों में आपूर्ति प्रभावित हो रही थी, लेकिन अब इसका असर भारत में दिखने लगा है।
आइए जानते हैं कि इसके पीछे की वजह क्या है।
रिपोर्ट
क्यों चिंता में है भारतीय शिपिंग कंपनियां?
इकॉनोमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट्स के अनुसार, लाल सागर में हूती विद्रोहियों के वाणिज्यिक जहाजों पर हमले के कारण वैश्विक व्यापार पर संकट मंडरा रहा है। इससे अब भारतीय शिपिंग कंपनियां भी अछूती नहीं हैं।
भारतीय शिपिंग कंपनियों को यूरोप जाने वाले अपने वाणिज्यिक जहाजों को स्वेज नहर की बजाय केप ऑफ गुड होप मार्ग से ले जाना पड़ रहा रहा है। इससे न केवल जहाजों को समय अधिक लग रहा है, बल्कि लागत भी बढ़ गई है।
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समुद्री मार्ग बदलने से कितनी बढ़ी लागत?
RRB शिप चार्टरिंग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) राजेश भोजवानी ने बताया कि भारतीय निर्यातकों के लिए यूरोप और अन्य देशों तक माल पहुंचाने की परिवहन लागत 3 गुना तक पहुंच गई है।
उन्होंने कहा कि कई बीमा कंपनियों ने लाल सागर में चलने वाले जहाजों के लिए प्रीमियम 100 गुना तक बढ़ा दिया है, जबकि कुछ ने बीमा कवर की पेशकश पूरी तरह से बंद कर दी है और इससे कार्गो में नुकसान उठाना पड़ रहा है।
कंपनियों
भारतीय निर्यातकों के समक्ष क्या है चुनौती?
भोजवानी ने बताया कि लाल सागर की जगह वैकल्पिक मार्ग का इस्तेमाल करने से यात्रा का समय 8-10 दिनों तक बढ़ जाता है और इससे ईंधन की खपत और उसकी लागत काफी ज्यादा बढ़ जाती है।
उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति ने भारतीय निर्यातकों के कारोबार को खतरे में डाल दिया है और बढ़ती लागत के कारण भारतीय शिपिंग कारोबारी इन क्षेत्रों में अपने प्रतिद्वंदी कारोबारियों से मुकाबला करने की स्थिति में नहीं रह गए हैं।
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भारत के निर्यात में कितनी गिरावट का अनुमान?
भारत की कई शिपिंग कंपनियां द्वारा इस्पात, इंजीनियरिंग सामान, कपड़ा, रसायन, वाहन और कृषि उत्पादों सहित बड़ी संख्या में अन्य वस्तुएं लाल सागर मार्ग के माध्यम से यूरोप और पश्चिम में निर्यात की जाती हैं।
विकासशील देशों के निर्यात संबंधी एक प्रारंभिक आकलन रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वित्त वर्ष 2024 में भारत के कुल निर्यात में 6.7 प्रतिशत (लगभग 2,500 अरब रुपये) की गिरावट आ सकती है।
पिछले साल कुल निर्यात लगभग 37,478 अरब रुपये था।
गिरावट
स्वेज नहर से गुजरने वाले जहाजों में आई कितनी कमी?
सबसे बड़ी शिप ब्रोकर की इकाई क्लार्कसन रिसर्च सर्विसेज लिमिटेड की रिपोर्ट के अनुसार, लाल सागर में बढ़ते खतरों के कारण दिसंबर, 2023 के पहले 15 दिन की तुलना में स्वेज नहर से गुजरने वाले जहाजों की संख्या में 44 प्रतिशत की गिरावट आई है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 3 जनवरी को तक जहाजों के जरिए 25 लाख टन माल इस रास्ते से निकला, जबकि पिछले महीने की शुरुआत में यह संख्या 40 लाख टन थी।