
सिलिकॉन वैली बैंक की पूर्व पेरेंट फर्म SVB फाइनेंशियल ने फाइल की बैंकरप्सी प्रोटेक्शन
क्या है खबर?
अमेरिका की सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) की पेरेंट फर्म SVB फाइनेंशियल ने बैंक डूबने के लगभग एक हफ्ते बाद बैंकरप्सी प्रोटेक्शन फाइल किया है। इसके जरिये ग्रुप अपनी संपत्तियों की बिक्री सुरक्षा चाहता है।
SVB फाइनेंशियल ग्रुप ने बैंकरप्सी से बचने के लिए ऐसे समय में अपील की है, जब उसकी बैंकिंग यूनिट को अमेरिकी प्रशासन ने बंद कर दिया है।
बता दें, SVB कैलिफोर्निया के कानून के तहत एक कॉमर्शियल बैंक था और फेडरल रिजर्व का हिस्सा था।
बैंकरप्सी
दिवालिया होने की थी आशंका
फेडरल रिजर्व का हिस्सा होने की वजह से ये सिलिकॉन वैली बैंक बैंकरप्सी के लिए योग्य नहीं था और इसी वजह से उसका मामला फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन (FDIC) के पास गया था।
सिलिकॉन वैली बैंक शुक्रवार को न्यूयॉर्क में बैंकरप्सी फाइलिंग में शामिल नहीं था।
वेंचर कैपिटल कंपनी की SVB कैपिटल और SVB सिक्योरिटीज भी चैप्टर 11 की प्रक्रिया में शामिल नहीं हैं। ये अपना काम पहले की तरह करती रहेंगी।
बैंक
स्टार्टअप्स और क्रिप्टो कंपनियों को फंड देता SVB
FDIC एक स्वतंत्र एजेंसी है, जो अमेरिका की वित्तीय प्रणाली में स्थिरता और जनता का विश्वास बनाए रखने का काम करती है।
SVB डूबने से पहले तक संपत्ति के हिसाब से अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा अमेरिकी बैंक था।
सिलिकॉन वैली बैंक टेक्नोलॉजी से जुड़े स्टार्टअप्स और क्रिप्टो कंपनियों को फंड देने के लिए जानी जाती थी। इसने भारत के भी लगभग 21 स्टार्टअप्स को फंड दे रखा था। बैंक डूबने से कई क्रिप्टो फर्मों की हालत खराब है।
बंद
10 मार्च को बंद किया गया बैंक
10 मार्च को अमेरिकी नियामक संस्थाओं ने बैंक को बंद करने का आदेश दिया था।
FDIC को इस बैंक का रिसीवर नियुक्त किया गया और बैंक की 210 अरब डॉलर की संपत्ति को बेचे जाने की बात कही गई। FDIC को बैंक के ग्राहकों का पैसा सुरक्षित रखने की भी जिम्मेदारी दी गई है।
FDIC ने बताया था कि बैंक को दोबारा खोला जाएगा, जिसमें ऑनलाइन सेवाओं समेत आधिकारिक चेक क्लियर किए जाएंगे।
कारण
क्यों बंद हुआ बैंक?
बैंक बंद होने का तात्कालीक कारण इसके शेयर में गिरावट आना था। बैंक के बंद की खबर से दो दिन पहले सिलिकॉन वैली बैंक की मूल कंपनी SVB फाइनेंशियल ग्रुप के शेयरों में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज में भारी गिरावट दर्ज हुई।
इस वजह से अमेरिकी बैंकों को स्टॉक मार्केट में 100 अरब डॉलर का नुकसान हुआ है। वहीं, यूरोपियन बैंकों को 50 अरब डॉलर का घाटा हुआ है। इसके बाद बैंक को कारोबार करने से रोक दिया गया।