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    अमेरिकी बैंकों के बंद होने से अरबों के क्रिप्टो बिजनेस को पैदा हुआ बड़ा खतरा

    अमेरिकी बैंकों के बंद होने से अरबों के क्रिप्टो बिजनेस को पैदा हुआ बड़ा खतरा
    लेखन रजनीश
    Mar 13, 2023, 12:31 pm 1 मिनट में पढ़ें
    अमेरिकी बैंकों के बंद होने से अरबों के क्रिप्टो बिजनेस को पैदा हुआ बड़ा खतरा
    SVB और SEN के बंद होने को अरबों के क्रिप्टो बिजनेस पर बड़े खतरे के तौर पर देखा जा रहा है

    डिजिटल करेंसी मार्केट के लिए बीता साल काफी उथल-पुथल भरा रहा। इस दौरान डिजिटल करेंसी से जुड़े कई हाई-प्रोफाइल स्टार्टअप की वैल्यूएशन कम हो गई है। अब ये मार्केट बुरे दौर से बाहर आ ही रही थी कि अमेरिकी बैंकों के बंद होने से एक बार फिर इसकी मुश्किलें बढ़ती दिख रही हैं। सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) और सिल्वरगेट कैपिटल कॉर्प के बंद होने ने डिजिटल करेंसी के लिए नई मुश्किलें पैदा कर दी हैं।

    क्रिप्टो कंपनियों पर पड़ा असर

    SVB की विफलता से डिजिटल एसेट की दिग्गज सर्किल इंटरनेट फाइनेंशियल कॉर्पोरेशन की स्टेबलक्वाइंस पर प्रभाव पड़ा है। अपनी विश्वसनीयता, स्थिरता और बड़े पैमाने पर उपयोग किए जाने वाले टोकन के बड़े जारीकर्ता सर्किल इंटरनेट ने खुलासा किया कि SVB के पास उसका 2,000 करोड़ रुपये से अधिक डिजिटल करेंसी का भंडार था। इस खबर के कारण सर्किल का टोकन USD कॉइन डॉलर के साथ 1:1 पेग से नीचे गिर गया।

    पारंपरिक बैंकिंग चैनल में लगता था समय

    शुरुआती सालों में ओवर-द-काउंटर ट्रेडिंग डेस्क, हेज फंड और निवेशक समेत क्रिप्टोकरेंसी में धाक जमाने की चाह रखने वालों को डिजिटल संपत्ति और बैंकों के बीच फंड ट्रांसफर के लिए महंगी और लंबी प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा। तब ये दोनों जुड़े हुए नहीं थे। यदि कोई निवेशक अपने बैंक से किसी एक्सचेंज में पैसा वायर करता था तो पारंपरिक बैंकिंग चैनल से इस काम में कई दिन लगते थे। इससे बाजार के लिए लेन-देन में देरी होती थी।

    सिल्वर एक्सचेंज नेटवर्क से ने बदल दिया फंड ट्रांसफर का सिस्टम

    एक मुश्किल यह भी थी कि सप्ताह के अंत में बैंक बंद होने के चलते एक्सचेंजों के बीच फंड ट्रांसफर करना संभव नहीं था। वहीं क्रिप्टो का व्यापार 24/7 चलता था। इसमें बड़ा बदलाव 2017 में आया, जब सिल्वरगेट ने सिल्वरगेट एक्सचेंज नेटवर्क (SEN) की स्थापना की। इसने कॉइनबेस ग्लोबल इंक जैसी हेज फंड और क्रिप्टो फर्मों सहित यूजर्स को किसी भी दिन और किसी भी समय तुरंत फंड ट्रांसफर करने की अनुमति दी। इसका इस्तेमाल भी फ्री था।

    SEN ने अस्थिर क्रिप्टो बाजार को तेज और कम जोखिम बनाया

    सिल्वर गेट के SEN ने अस्थिर क्रिप्टो बाजार में तेजी से और कम जोखिम के साथ लेन-देन को आसान बना दिया। अब SEN के बंद होने को किप्टो के विकास में बड़ी मुश्किल के तौर पर देखा जा रहा है। हालांकि, कुछ लोग इस मुश्किल को थोड़े समय की परेशानी मान रहे हैं और उनका ये मानना है कि इसका कोई नया विकल्प जल्द आएगा। नए विकल्प तेजी से बढ़ रहे हैं।

    SEN के बंद होने से मुश्किल हो रही है ट्रेडिंग

    SEN के बंद होने से ट्रेडिंग मुश्किल हो रही है। शोध फर्म काइको के अनुसार, कुछ अमेरिकी एक्सचेंजों पर बिटकॉइन-टू-डॉलर और बिटकॉइन-टू-टीथर ट्रांजेक्शन शनिवार की शुरुआत से 35 प्रतिशत से 45 प्रतिशत के बीच गिर गई है। इस बीच किप्टो कंपनियां वैकल्पिक बैंकिंग और पेमेंट सर्विस के लिए विकल्प तलाश रही हैं। दूसरी तरफ बैंक भी क्रिप्टो कंपनियों से संबंधित जमा राशि को वापस ले रहे हैं या जमा राशि को कम कर रहे हैं।

    SEN के बिना 20-40 प्रतिशत तक बढ़ सकती है कंवर्जन लागत

    सिग्नेचर बैंक ने हाल ही में कहा कि वह क्रिप्टो कंपनियों से संबंधित जमा राशि को वापस ले रहा है। नियामकीय दबाव के चलते अन्य बैंक क्रिप्टो कंपनियों से संबंधित अपनी जमा राशि को 10 से 15 प्रतिशत तक सीमित कर रहे हैं। पेमेंट कंसल्टेंट क्रोन कंसल्टिंग के CEO रिचर्ड क्रोन ने कहा कि SEN जैसे मजबूत विकल्प बहुत कम हैं। उसके बिना फिएट कंवर्जन की लागत 20 प्रतिशत से 40 प्रतिशत तक बढ़ सकती है।

    तैयार हो रहे हैं SEN के नए विकल्प

    इससे जुड़े नए विकल्प भी उभर रहे हैं। BCB ग्रुप ब्लिंक का संचालन करता है और यह यूरोप में क्रिप्टो कंपनियों के लिए SEN जैसा पेमेंट नेटवर्क है। इसके जल्द ही अमेरिका में लॉन्च होने की उम्मीद है। BCB के CEO ओलिवर वॉन के मुताबिक, पिछले सप्ताह उनके नेटवर्क को 60 से अधिक रिक्वेस्ट मिली हैं और वह नए ग्राहकों को जोड़ रहे हैं। जल्द ही वह कई ग्राहकों को डॉलर भुगतान की सुविधा रोल आउट करेंगे।

    क्या होती है क्रिप्टोकरेंसी?

    क्रिप्टोकरेंसी पूरी तरह वर्चुअल या डिजिटल होती है। इसे देखा या छुआ नहीं जा सकता है, लेकिन डिजिटल कॉइन के रूप में ऑनलाइन वॉलेट में जमा किया जा सकता है। यह एक तरह की डिजिटल कैश प्रणाली है और कम्प्यूटर के जरिए इनकी माइनिंग होती है। इस पर किसी देश या सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। साल 2009 में बिटकॉइन के साथ इसकी शुरुआत हुई और ढेरों नाम इस वर्चुअल करेंसी सिस्टम से जुड़ते चले गए।

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