
केंद्र सरकार का बड़ा फैसला, चालू वित्तीय वर्ष में लागू नहीं होगी कोई नई योजना
क्या है खबर?
कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के चरमराई देश की अर्थव्यवस्था का असर अब बड़े स्तर पर दिखने लगा है।
सरकार भी इससे अछूती नहीं रही है। यही कारण है कि केंद्र सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष यानी 31 मार्च, 2021 तक देश में कोई भी नई योजना लागू नहीं करने का निर्णय किया है।
ऐसे में अब देश के लोगों को पूरे साल किसी भी कल्याणकारी योजना का लाभ नहीं मिलेगा।
बयान
आत्मनिर्भर भारत और गरीब कल्याण योजना पर लागू नहीं होगी रोक
वित्त मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि कोरोना महामारी के चलते बढ़े आर्थिक संकट को देखते हुए खर्चों की कटौती के तहत यह फैसला लिया गया है।
हालांकि, आत्मनिर्भर भारत और प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत की गई घोषणाओं के लिए खर्च जारी रहेगा।
बजट के तहत पहले से स्वीकृत योजनाएं भी 31 मार्च तक निलंबित रहेंगी। ऐसे में साफ है कि इस वर्ष कोई भी नई योजना देखने को नहीं मिलेगी।
रोक
सरकार ने इन योजनाओं पर लगाई रोक
वित्त मंत्रालय के आदेशानुसार मार्च 2021 तक कोई भी नई स्कीम शुरू नहीं होगी। यह आदेश वित्त वर्ष 2020-21 में स्वीकृत या मूल्यांकन वाली सभी स्कीम पर लागू रहेगा।
एक्पेंडिचर विभाग से मिली सैद्धांतिक अनुमति वाली स्कीम भी इसमें शामिल होगी। इसी तरह SFC के 500 करोड़ से उपर की नई स्कीम पर भी रोक जारी रहेगी।
वित्त मंत्रालय के एक्पेंडिचर विभाग ने गुरुवार को आदेश जारी किया है। मंत्रालयों और विभागों 30 जून सूची सौंपने के लिए कहा है।
पैकेज
सरकार कर चुकी 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान
बता दें कि कोरोना महामारी के बीच धराशाही हुई अर्थव्यवस्था में जान फूंकने के लिए केंद्र सरकार ने आर्थिक सुधारों के साथ-साथ कुल 20 लाख करोड़ रुपये के राहत पैकेज का ऐलान किया है।
घोषणा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि भारत कोरोना महामारी से जूझ रहे विश्व के सामने इकोनॉमी रिवाइवल का एक उदाहरण पेश करेगा। आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित यह पैकेज लोगों को नए अवसर प्रदान करेगा।
आर्थिक वृद्धि दर
भारत की आर्थिक वृद्धि दर गिरकर 3.1 प्रशित पर पहुंची
बता दें कि 2019-20 की जनवरी-मार्च तिमाही में कोरोना महामारी के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर घटकर 3.1 प्रतिशत पर आ गई है। जबकि, साल 2018-19 की इसी तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में 5.7 प्रतिशत का विस्तार हुआ था।
इसी तरह साल 2019-20 में भारतीय अर्थव्यवस्था साल 2018-19 के 6.1 प्रतिशत विस्तार के मुकाबले 4.2 प्रतिशत ही रही है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत की जीडीपी वृद्धि 1.9% होने का अनुमान लगाया था।