मई महीने में वापस जुड़ी 2.1 करोड़ नौकरियां, बेरोजगारी दर उच्च स्तर पर बरकरार
कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन में रियायतों के साथ ही मई में नौकरियों की स्थिति सुधरी और पूरे महीने में 2.1 करोड़ नौकरियां बाजार से जुड़ीं। ये वहीं नौकरियां हैं जो मार्च और अप्रैल के महीने में खत्म हो गई थीं। हालांकि इस दौरान बेरोजगारी दर 23.5 प्रतिशत के उच्च स्तर पर बनी रही। थिंक-टैंक भारतीय अर्थव्यवस्था निगरानी केंद्र (CMIE) ने मंगलवार को बयान जारी करते हुए ये बातें कहीं।
मई में 7.5 प्रतिशत रही नौकरियों की वृद्धि दर
CMIE के अनुसार, 2.1 करोड़ नौकरियां जुड़ने के कारण मई में नौकरियों की वृद्धि दर 7.5 प्रतिशत रही। वहीं छोटे व्यापारियों और दैनिक मजदूरों की नौकरियों में 39 प्रतिशत का इजाफा हुआ। CMIE प्रमुख महेश व्यास ने ताजा आंकड़ों पर कहा, "अप्रैल के महीने में सक्रिय श्रम बाजार को छोड़ने वाले कई लोग मई में काम पर वापस लौटे हैं। बड़ी संख्या में नौकरियां जाने के कारण अप्रैल में कई लोगों ने खुद को बेरोजगार घोषित कर लिया था।"
श्रम योगदान दर और बेरोजगारी दर में सुधार
अगर अन्य आंकड़ों की मई में बेरोजगारी दर अप्रैल के बराबर 23.5 प्रतिशत ही रही। हालांकि इस बीच श्रम योगदान दर 35.6 प्रतिशत से बढ़कर 38.2 प्रतिशत हो गया। इसी के साथ रोजगार दर भी 27.2 प्रतिशत से सुधर कर 29.2 प्रतिशत हो गई। इन आंकड़ों पर व्यास ने कहा, "श्रम बाजार के मुख्य आंकड़े अप्रैल की तुलना मई में सुधार दिखाते हैं, लेकिन लॉकडाउन से पहले की तुलना में श्रम बाजार अभी भी काफी कमजोर है।"
अच्छी गुणवत्ता वाली नौकरियों के कम होने पर जाहिर की चिंता
व्यास ने अपने बयान में अच्छी गुणवत्ता की नौकरियों के कम होने पर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, "वेतनभोगी नौकरियां पाना तुलनात्मक अधिक कठिन होता है और लॉकडाउन के दौरान कम हुईं वेतनभोगी नौकरियों का उबरना अधिक कठिन है। ये अच्छी नौकरियां भी होती हैं।"
कोरोना वायरस संकट के कारण दशकों में सबसे बुरी मंदी की आशंका
बता दें कि कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए भारत ने दुनिया का सबसे सख्त लॉकडाउन लगाया था और इसका अर्थव्यवस्था पर बहुत बुरा असर पड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक मार्च और अप्रैल के महीने में देशभर में 20 लाख से अधिक नौकरियां गईं। कई अर्थशास्त्रियों ने इस संकट के कारण मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की GDP विकास दर के अपने अनुमान घटा दिए हैं और दशकों में सबसे बुरी मंदी की चेतावनी दी है।
कोरोना वायरस संकट से पहले से ही सुस्त थी भारतीय अर्थव्यवस्था
कोरोना वायरस संकट से पहले से ही भारत की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं चल रही थी, जिसके कारण इस संकट का अर्थव्यवस्था पर असर और गहरा होगा। पिछले हफ्ते सरकार द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2019-20 में भारत की विकास दर 4.2 प्रतिशत रही जो पिछले 11 सालों में सबसे कम है। कोरोना वायरस के असली संकट का अनुमान अप्रैल-जून तिमाही के आंकड़ों से पता लगेगा। इससे पहले जनवरी-मार्च तिमाही में भारत की विकास दर 3.1 प्रतिशत रही।